High Court News: न पदस्थापना, न प्रतिनियुक्ति आदेश, हाई कोर्ट ने शिक्षक की याचिका पर कलेक्टर को जवाब तलब करने के दिए निर्देश

High Court News: प्रदेश में संचालित आत्मानंद स्कूल में नौकरी करने से इंकार करने वाले शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में शिक्षा अधिकारियों ने शामिल नहीं किया। इसे लेकर शिक्षिका मंजूश्री बर्मन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर युक्तियुक्तिकरण प्रक्रिया में शामिल करने और नई पदस्थापना की मांग की है। जस्टिस रविंद्र अग्रवाल ने समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर बिलासपुर को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता शिक्षिका मंजूश्री बर्मन के अभ्यावेदन पर नियमानुसार कार्रवाई का निर्देश दिया है।

Update: 2025-07-04 07:19 GMT

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High Court News: बिलासपुर। आत्मानंद स्कूल में नियुक्ति के नाम पर शिक्षा अधिकारियों ने मनमानी की। जिन शिक्षकों ने असहमति जताई थी उसे भी आत्मानंद स्कूल में पदस्थ कर दिया। युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के दौरान ऐसे शिक्षकों को अतिशेष की सूची में शामिल करते हुए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में शामिल करना था। राज्य शासन के आदेश भी डीईओ व बीईओ ने अपनी चलाई और शामिल नहीं किया। शिक्षा अधिकारियों की मनमानी की शिकार शिक्षिका मंजूश्री बर्मन ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में शामिल करने और आत्मानंद के बजाय अन्यत्र स्कूल में पदस्थापना की मांग की है।

याचिकाकर्ता शिक्षिका मंजूश्री बर्मन ने अपपनी याचिका में बताया है कि वर्तमान में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम विद्यालय करगीकला, ब्लॉक कोटा, जिला बिलासपुर में व्याख्याता (भौतिकी) के रूप में पदस्थ है। आत्मानंद में पदस्थापना के लिए उसे ना तो पदस्थापना आदेश दिया गया है और ना ही प्रतिनियुक्ति आदेश ही दिया गया है। याचिकाकर्ता ने स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देेशों का हवाला देते हुए कहा है कि युक्तियुक्तकरण के दौरान आत्मानंद स्कूल में नौकरी के लिए असहमति जताने वाले शिक्षकों को प्रक्रिया में शामिल करना था। याचिका के अनुसार उसने भी असहमति जताई थी। असहमति केबाद उसे आत्मानंद स्कूल में पदस्थ कर दिया है। इस संबंध में उसे विभाग की ओर से कोई आधिकारिक पत्र भी जारी नहीं किया गया है। याचिका के अनुसार उसे युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में शामिल कर अन्यत्र स्कूल में पदस्थापना दी जाए। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस संबंध में उसने कलेक्टर बिलासपुर के समक्ष अभ्यावेदन 03 जून 2025 पेश किया था। जिस पर सुनवाई नहीं की गई है। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने याचिकाकर्ता के इस मांग का कि कलेक्टर के समक्ष पेश किए गए अभ्यावेदन का शीघ्र निराकरण कराई जाए। विरोध नहीं किया है। ला अफसरों ने कोर्ट से कहा कि

यदि कलेक्टर बिलासपुर को ऐसा निर्देश जारी किया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। राज्य शासन की ओर से जवाब पेश करने के बाद हाई कोर्ट ने कलेक्टर बिलासपुर को निर्देशित किया कि आदेश के प्राप्ति की तारीख से चार सप्ताह की अवधि के भीतर याचिकाकर्ता के 03 जून 2025 के लंबित अभ्यावेदन पर निर्णय लें। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया कि वह एक सप्ताह के भीतर कलेक्टर बिलासपुर को 03 जून 2025 के अभ्यावेदन की प्रति के साथ इस आदेश की एक प्रति पेश करे।

डीईओ को पत्र लिखकर शिक्षकों ने की थी इस तरह की मांग-

स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों असहमति देने वाली व्याख्याता का भी काउंसलिंग किया जाना है, परंतु 4 जून को जिला शिक्षा का अधिकारी द्वारा केवल अतिशेष व्याख्याताओ को ही युक्ति करण में शामिल किया जा रहा है, पूर्व में जो अतिशेष कार्यरत है वह स्वीकृत पद के विरुद्ध पदस्थ हैं, जबकि आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों में कार्यरत व्याख्याता स्वीकृत पद के ही हैं। 4 जून 2025 को आयोजित काउंसलिंग में आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों में कार्यरत व्याख्याता को पहले काउंसलिंग में शामिल नहीं किया जाता है जो भविष्य में असहमति देने वालों के लिए कोई पद शेष नहीं रहेगा, जबकि पूर्व में स्वीकृत पद के विरुद्ध कार्यरत व्याख्याता को शामिल कर मनपसंद स्थान प्राप्त होगा। शिक्षकों ने डीईओ को पत्र लिखकर मानवीय आधार पर समस्याओं को देखते हुए पहले उत्कृष्ट आत्मानंद में कार्यरत व्याख्याताओ को 4 जून 2025 में पहले ही शामिल कर काउंसलिंग करने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता ने इन अफसरों को बनाया था पक्षकार-

1 सचिव स्कूल शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़

2 संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़

3 कलेक्टर, बिलासपुर

4- जिला शिक्षा अधिकारी, जिला बिलासपुर

5. खंड शिक्षा अधिकारी, बिलासपुर 

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