High Court News: बिना मान्यता चल रही CBSE स्कूलें, मर्सिडीज़ वालों को बचाने बदले नियम, नाराज़ चीफ जस्टिस बोले-अब ये सब नहीं चलेगा

High Court News: छत्तीसगढ़ में 330 स्कूलें ऐसी है, जहां CBSE पाठ्यक्रम के नाम पर बच्चों व पालकों के साथ फ्रॉड किया जा रहा है। कांग्रेस नेता विकास तिवारी ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य शासन व सीबीएसई पाठ्यक्रम के बहाने फ्रॉड करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मंगलवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच मे सुनवाई हुई। राज्य सरकार अपने ही जवाब पर फंस गई। बीते सुनवाई में नर्सरी के लिए मान्यता की आवश्यकता नहीं होने की जानकारी दी थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने वर्ष 2013 के सर्कुलर की जानकारी देते हुए सरकार के जवाब को झूठा करार दिया। यह जानकारी मिलते ही चीफ जस्टिस ने विभागीय अफसरों को जमकर फटकार लगाई। सीजे ने कहा, मर्सिडीज वाले बड़े लोगों को बचाने नियम ही बदल दिया है।

Update: 2025-08-05 12:22 GMT

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High Court News: बिलासपुर। बिना मान्यता के प्रदेश में चल रहे नर्सरी स्कूलों के मामले में कांग्रेस नेता विकास तिवारी की याचिका पर डिवीजन बेंच में आज सुनवाई हुई। शिक्षा विभाग के सचिव के अवकाश पर होने के चलते संयुक्त सचिव द्वारा पेश शपथ पत्र में बताया गया कि नर्सरी के लिए मान्यता देने को लेकर शिक्षा विभाग में कोई प्रावधान नहीं है। यह सुनते ही चीफ जस्टिस नाराज हो गए। सीजे ने कहा कि पान दुकान वाले भी बिना मान्यता के नर्सरी स्कूल चला सकते हैं। आप लोग बड़े स्कूल वालों को बचाने के लिए कमेटी बनाते हैं और दो दिनों में शपथ पत्र दे देते हैं। आप लोगों ने जो भी प्रावधानों में बदलाव किए हैं वह तो आगे की तारीख से लागू होंगे। 2013 से चल रहे नर्सरी स्कूलों को मान्यता लेने का प्रावधान है। जिन स्कूल प्रबंधन ने बिना मान्यता लिए बच्चों व पालकों के साथ फ्रॉड किया है, सभी बच्चों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा दिलाएं। ऐसे स्कूलों पर राज्य सरकार कार्रवाई करे। यह तो सीधा-सीधा फ्रॉड है। इन लोगों ने क्राइम किया है।

बिना मान्यता के नर्सरी स्कूल चलाए जाने और एक ही स्कूल के नाम से मान्यता लेकर मिलते जुलते नामों से अलग-अलग ब्रांच खोलकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने और लाखों रुपए वसूलने वाले स्कूलों के खिलाफ रायपुर निवासी कांग्रेस नेता विकास तिवारी ने अधिवक्ता संदीप दुबे के जरिए हाई कोर्ट मे जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में उन्होंने बताया था कि ऐसे स्कूलों की शिकायत करने पर उनके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी गई।

शपथ पत्र में दी गलत जानकारी, नाराज हुआ कोर्ट-

बीते सुनवाई में शिक्षा सचिव के शपथ पत्र को अदालत में झूठा पाया था। शिक्षा सचिव ने शपथ पत्र में बताया था कि नर्सरी स्कूलों को मान्यता की जरूरत नहीं होती। जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने नियमों को दिखाते हुए बताया था कि सन 2013 से नर्सरी स्कूलों में मान्यता लेने का अधिनियम है। राज्य शासन द्वारा झूठी जानकारी देने के लिए हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए शिक्षा सचिव से दोबारा शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा था।

आज मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। शिक्षा सचिव के अवकाश में रहने के चलते संयुक्त सचिव ने शपथ पत्र पेश कर जानकारी दी। पांच सदस्यीय कमेटी ने 2013 में नर्सरी शालाओं के मान्यता लेने वाले अधिनियम को रद्द करने का प्रस्ताव दिया है। इस शपथ पत्र पर चीफ जस्टिस भड़क गए। उन्होंने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जो भी आप लोग बदलाव करेंगे वह बदलाव की तिथि के बाद से लागू होगा, ना कि पहले से। 2013 से तो नर्सरी स्कूलों के लिए भी मान्यता लेने का प्रावधान था, पर स्कूलों ने 12 साल बिना मान्यता के स्कूल चला लिया। यह क्या मजाक है कि पहले आपने खुद नियम बनाया नर्सरी से लेकर ऊपर की कक्षाओं के लिए अनुमति लेने का प्रावधान है और जब कहीं फंस गए तो कह रहे हैं कि नर्सरी के लिए अनुमति की जरूरत नहीं पड़ती।

नाराज सीजे ने कहा, दो दिन पहले आपने कमेटी बनाई और दो दिन में रिपोर्ट भी आ गया-

चीफ जस्टिस ने कहा कि 2013 से अनुमति का नियम है जब हमने संज्ञान लिया और सुनवाई शुरू की तब आपको ध्यान आया। 25 जुलाई को कमेटी बनी और दो दिनों में रिपोर्ट भी आ गई,वो भी 2013 का। चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता कार्यालय के लॉ अफसर से नाराजगी जताते हुए कहा कि आप लोगों का विजन क्लियर नहीं है। आप लोग क्या पॉलिसी बनाते हैं, क्या नोटिफिकेशन होता है। इससे जनता को और राज्य को क्या फायदा होगा कुछ भी आप लोगों को क्लियर नहीं है। पिछले सुनवाई में पूछा गया कि क्या नर्सरी स्कूलों के लिए मान्यता की जरूरत है या नहीं है तो आप पकड़े गए और आपने कह दिया कि इसके लिए जरूरत नहीं है।

2013 से मान्यता की जरूरत है पर 12 सालों तक बिना मान्यता के स्कूल चला लिए गए फीस ले लिए गए। और जब पकड़े गए तो आप लोग कहते हैं कि मान्यता की जरूरत नहीं है। मैं आप लोगों की प्रॉब्लम समझ रहा हूं, जब आपने देखा कि यह बड़े लोग है और नियमों के पालन करने पर 12 साल बिना मान्यता के स्कूल चलाने पर इनका स्कूल बंद हो जाएगा,इनको मुआवजा देना होगा, क्रिमिनल केस बनेगा तब आपको लगता है कि इनको बचाना पड़ेगा और आपने कह दिया की मान्यता की जरूरत नहीं है।

जिन्होंने 12 साल तक फ्रॉड किया,उसके खिलाफ कार्रवाई कर हमें बताएं-

डिवीजन बेंच ने कहा कि 2025 में आप नियम बना देते हैं कि नर्सरी स्कूलों के लिए मान्यता की जरूरत नहीं है तो उससे हमें मतलब नहीं है वह आगे लागू होगा ना कि पीछे के वर्षों के लिए। जिन्होंने बिना मान्यता के 12 साल स्कूल चलाई है उन्होंने बच्चों के साथ फ्रॉड किया है पेरेंट्स के साथ फ्रॉड किया है,उसके खिलाफ कार्रवाई करिए और हमें बताइए।

जिन बच्चों के साथ किया फ्रॉड, उनको दिलाएं पांच-पांच लाख का मुआवजा-

सीजे ने कहा कि 28 जुलाई 2025 को आपकी रिपोर्ट आई उसके बाद नर्सरी स्कूलों के लिए मान्यता लेने का प्रावधान नहीं होगा यह आप लागू कर सकते हैं पर इससे पहले 2013 से मान्यता लेने का प्रावधान था और बिना मान्यता लिए स्कूल चलाने वालों ने अपराध तो किया है, हम बच्चों के भविष्य के साथ नहीं खेल सकते बच्चों को 5-5 लाख रुपए मुआवजा दिलवाएं और दूसरे स्कूलों में शिफ्ट कीजिए। गली मोहल्ले में स्कूल खोलकर पैसे कमाए गए और मालिक खुद मर्सिडीज़ गाड़ियों में घूम रहे हैं। बच्चों को मुआवजा दिलवाई है तो उनके द्वारा कमाया गया सारा पैसा निकल जाएगा। आज आपको पॉलिसी में यह अमेंडमेंट मर्सिडीज़ में घूमने वाले प्राइवेट स्कूल वालों के लिए करना पड़ रहा है पर इसे पूर्व की तिथि से लागू नहीं किया जा सकता।

हर रोज नया स्कैम-

चीफ जस्टिस ने कहा कि छत्तीसगढ़ एक विकासशील राज्य है और यहां शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लापरवाही के कारण नर्सरी स्कूलों में गरीब छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार नहीं मिल रहा है, यह बेहद दु:खद है और इसमें संवेदनशीलता की जरूरत है। रोज नए स्कैम हो रहे हैं, रोज सुबह उठों तो एक नया स्कैम देखने को मिलता है। ऐसा ही चलेगा तो क्या हम लोग करेंगे।

सीजे ने पूछा, सिकरेट्री कब तक हैं अवकाश पर-

मामले में चीफ जस्टिस ने 13 अगस्त को शिक्षा सचिव को नया शपथ पत्र देने के निर्देश दिए। जब उन्हें पता चला कि शिक्षा सचिव छुट्टी में है तो उन्होंने पूछा कि कब तक शिक्षा सचिव छुट्टी से आ जाएंगे? सरकारी वकील ने उन्हें बताया कि 15 दिन की छुट्टी में होने की जानकारी है, एक्जेक्ट तिथि उन्हें नहीं पता तब चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्हें एग्जेक्ट डेट चाहिए, शिक्षा सचिव तो हमारे डर से 15 दिन की छुट्टी क्या छुट्टी आगे बढ़ाकर 30 दिन की छुट्टी में चले जाएंगे, वह परेशान हो गए हैं हमसे क्योंकि उनसे भी बहुत कुछ संभाले नहीं संभल रहा है। सरकारी वकील ने बताया कि उनकी जगह संयुक्त सचिव शपथ पत्र पेश कर देंगे वह भी आईएएस हैं। जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इतने संवेदनशील मुद्दे को टाला नहीं जा सकता यदि सचिव साहब छुट्टी से आ जाए तो उनका शपथ पत्र 13 को पेश करवाइए अन्यथा जॉइंट सेक्रेटरी का ही पेश करवा दीजिएगा। मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को रखी गई है।

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