गलत फैसले पर जब जज बर्खास्त हो जाते हैं, तो तहसीलदार क्यों नहीं? खुद ही शिकायत की और खुद ही मजिस्ट्रेट बनकर युवक को भेज दिया जेल

छत्तीसगढ़ में हाई कोर्ट ने मजिस्ट्रेट बनकर तहसीलदार द्वारा जेल भेजने पर युवक को 25 हजार क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। मगर जब न्यायपालिका में गलत फैसले पर जजों को सेवा से बर्खास्त कर दिया जाता है तो सवाल उठता है, द्वेषपूर्ण फैसला देने वाले तहसीलदारों पर ऐसी कार्रवाई क्यों नहीं?

Update: 2024-05-01 09:19 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ में तहसीलदार ने एक युवक को मामूली विवाद पर जेल भेज दिया। दिलचस्प यह है कि तहसीलदार खुद ही शिकायतकर्ता बना और खुद ही वारंट बनाकर युवक को जेल भेज दिया। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के डबल बेंच ने इस कार्रवाई को नियम विरूद्ध बताते हुए युवक को 25 हजार क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है।

13 साल बाद न्याय

तहसीलदार के गलत फैसले से युवक को हफ्ते भर रायपुर जेल में रहना पड़ा। इसके बाद वह रिहा हुआ। पीड़ित युवक के पिता ने वकील के मार्फत बिलासपुर हाई कोर्ट में केस दाखिल किया। चीफ जस्टिस रमेश सिनहा और जस्टिस रजनी दुबे की बेंच ने कल तहसीलदार की कार्रवाई को गलत करार देते हुए 25 हजार रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।

तहसीदार पर कार्रवाई क्यों नहीं?

तहसीलदार, नायब तहसीलदार मजिस्ट्रेट बनकर अनाप शनाप आर्डर पास करते हैं मगर उन पर कार्रवाई का कोई सिस्टम नहीं। जबकि, उनसे उपर जजों से कोई गलत फैसला होता है तो उन पर ज्यूडिशरी से कड़ी कार्रवाई हो जाती है। न्यायपालिका का अपना सिस्टम है, जिसके जरिये कोर्ट में होने वाले फैसलों पर नजर रखी जाती है। इस मामले में तहसीदार द्वारा बिना वजह पावर का प्रदर्शन करने युवक को जेल भेजने की कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित है। सरकार को तहसीलदार को बर्खास्त नहीं तो कम-से-कम निलंबित करके जांच तो करनी चाहिए। जिससे आगे कोई तहसीलदार या नायब तहसीलदार मजिस्ट्रेट बनकर दुर्भावना से कार्रवाई न करें।

जानिये क्या है मामला

रायपुर जिले के आरंग तहसील के बेहर गांव में अवैध कटाई की शिकायत हुई थी। आरंग तहसीलदार नरेंद्र बंजारा इसकी जांच करने गांव गए थे। वहां दशरन साहू से विवाद हो गया। इस पर तहसीलदार ने शासकीय कार्य में बाधा पैदा करने की पुलिस में शिकायत कर दी। पुलिस ने युवक को तुरंत हिरासत में लेकर इश्तगासा पेश कर दिया। शाम को शिकायतकर्ता तहसीलदार के पास ही युवक को पेश किया गया और उसने उसे जेल भेज दिया। तहसीलदार युवक को जेल भेजने पर इतने अडिग थे कि रात 10 बजे रायपुर सेंट्रल जेल को खोलवाकर उसे भीतर दाखिल कराया गया। इसकी शिकायत उस समय तत्कालीन कलेक्टर से की गई थी। कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद युवक हफ्ते बार बाद जेल से छूट बाहर आ पाया।

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