Dantewada Flood: दंतेवाड़ा में बाढ़ का भयानक मंजर, फर्स्ट फ्लोर तक पानी भर गया, आधी रात 109 लोगों का किया गया रेस्क्यू, खबर इसलिए नहीं बनी सुर्खिया...

Dantewada Flood: छत्तीसगढ़ के इतिहास में दंतेवाड़ा के डंकनी नदी में आई बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि बाकी जिलों से सड़क संपर्क टूटा ही शहर में भी हाहाकार मचा दिया। वो तो गनीमत रहा कि जिला प्रशासन ने मौके की नजाकत को भांपकर एसडीआरएफ की टीम बुला ली। और सुबह चार बजे तक 109 लोगों को रेस्क्यू कर जान बचा लिया। इसमें 35 छात्राएं भी हैं। दंतेवाड़ा में बाढ़ की खबरें इसलिए सुर्खिया नहीं बटोर सकीं कि लाइट गुट होने से वीडियो बन नहीं सकता था और अधिकांश मीडिया के ऑफिसों और पत्रकारों के घरों में पानी घुस गया, इसलिए खबर बनने की स्थिति नहीं थी।

Update: 2025-08-28 16:02 GMT

Dantewada Flood: रायपुर। छत्तीसगढ़ में कभी बाढ़ नहीं आती। महानदी के तटीय इलाकों में कभी-कभार बाढ़ जैसी स्थिति बनती है तो उससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होता। 30 साल पहले 95 में आई बाढ़ से एक बार जरूर शिवरीनारायण समेत जांजगीर जिले का बड़ा इलाका प्रभावित हुआ था। मगर कभी ऐसा नहीं हुआ कि आधा से अधिक शहर डूब जाए, जिले का सर्किट हाउस से लेकर बड़़े अधिकारियों के बंगले डूबान में आ जाए।

दंतेवाड़ा में ऐसा ही हुआ। 26 और 27 अगस्त दो दिन में दंतेवाड़ा जिले में 211 मिमी बारिश से ऐसा हुआ, जो कभी नहीं हुआ। डंकनी नदी दंतेवाड़ा शहर के बीचों बीच होकर गुजरती है। उसमें ऐसा बाढ़ आया कि आधा से अधिक शहर डूब गया। जगदलपुर हाईवे पर बना ब्रिज टूट जाने से दंतेवाड़ा का जगदलपुर समेत रायपुर से सड़क संपर्क टूट गया। दरअसल, शहर के प्रवेश स्थल पर नदी का बांध टूट गया। बांध टूटने से नदी का पानी शहर में घुसा और फिर आधे शहर को लबालब करते हुए फिर नदी में जाकर मिल गया। चूकि सब कुछ अचानक हुआ, इसलिए किसी को कुछ समझने के लिए टाईम नहीं मिल पाया। बांध जब टूटा, तब शाम का अंधेरा घनीभूत हो रहा था। भारी बारिश से बिजली पहले से डिस्कनेक्ट कर दी गई थी।

राजस्व और आपदा विभाग के अधिकारी बताते हैं, जिला प्रशासन ने तुरंत मोर्चा संभाला। तुरंत एसडीआरएफ को बुलाया गया। मगर बाढ़ का मंजर भयानक था। लोगों के पक्के घरों में एक-एक फ्लोर तक पानी भर चुका था। सबसे मुश्किल काम रहा हॉस्टल में फंसी छात्राओं को निकालना। क्योंकि, वहां जाने के रास्ते में काफी पानी भर गया था। मगर 35 छात्राओं को बचा लिया गया। जिला प्रशासन की टीम 27 अगस्त की सुबह चार बजे तक रेस्क्यू में जुटी रही। कलेक्टर कुणाल दुदावत खुद मौके पर डटे रहे।


पत्रकारों के ऑफिस और घर भी डूबे

दंतेवाड़ा बाढ़ की खबरों से छत्तीसगढ़ के लोग अनजान रहे, उसकी वजह यह है कि लाइट गुल होने की वजह से कोई वीडियो या फोटो लेने की स्थिति में नहीं था। फिर लगभग सारे मीडिया के ऑफिसों में पानी भर गया था। पत्रकारों के घर भी डूब गए थे। बिजली और इंटरनेट सर्विस भी ठप्प हो गई थी। इस वजह से दंतेवाड़ा की बाढ़ बड़ी खबर नहीं बन पाई।

दंतेवाड़ा में 24 घंटे में 211 मिमी बारिश

लगातार हो रही बारिश से बस्तर के चार जिलों में जनजीवन प्रभावित हुआ है। आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, 26 और 27 अगस्त को सबसे अधिक वर्षा दंतेवाड़ा जिले में दर्ज की गई, जहाँ क्रमशः 93.7 मिमी और 118.4 मिमी बारिश हुई। सुकमा में 35 से 109.3 मिमी, बीजापुर में 34.9 से 50.2 मिमी तथा बस्तर में 67.3 से 121.3 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई जिससे 25 गाँव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।

राहत शिविर बनाए गए

राजस्व सचिव एवं आपदा राहत आयुक्त रीना बाबासाहेब कंगाले ने जानकारी दी कि प्रभावित लोगों के लिए 4 जिलों में कुल 43 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिनमें दंतेवाड़ा जिले से 1,116, सुकमा से 790, बीजापुर से 120 और बस्तर से 170 , इस प्रकार कुल 2,196 प्रभावितों को राहत शिविर में ठहराया गया है। बाढ़ से अब तक 5 जनहानि, 17 पशुधन हानि, 165 मकानों को आंशिक और 86 मकानों को पूर्ण क्षति की सूचना मिली है। सभी जिलों में नगर सेना एवं एस.डी.आर.आफ के द्वारा राहत बचाव कार्य किया जा रहा है एवं राहत शिविर में ठहराये गये लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग जिलों से बाढ़ की स्थिति को देखते हुए सतत संपर्क बनाये हुए है एवं आवश्यक सहयोग प्रदान किया जा रहा है। जिला सुकमा में आपदा मित्रों के द्वारा बाढ़ की स्थिति से निपटने हेतु जिला प्रशासन का सहयोग किया जा रहा है।

सीएम ने सियोल से की मीटिंग

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस समय दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में हैं। बाढ़ की हालत की उन्हें सूचना मिली तो दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और जगदलपुर के कलेक्टरों से वीडियोकांफ्रेंसिंग कर वहां के हालात पर चर्चा की। उन्होंने प्रभारी सचिवों को तुरंत प्रभावित जिलों का दौरा करने का निर्देश दिया। विष्णु देव साय ने जनहानि और नुकसान पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि प्रभावित परिवारों को त्वरित सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी और पुनर्वास कार्य प्राथमिकता पर किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन और राहत दल लगातार सक्रिय रहें, हर जरूरतमंद तक तुरंत मदद पहुँचे और राहत सामग्री समय पर मिले।

सीएम की लोगों से अपील

मुख्यमंत्री ने आम नागरिकों से अपील की कि वे प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें और किसी भी आवश्यकता की स्थिति में तुरंत स्थानीय नियंत्रण कक्ष से संपर्क करें। मुख्यमंत्री साय ने विश्वास जताया कि प्रशासन और जनता के सामूहिक सहयोग से हम इस आपदा पर शीघ्र काबू पाएंगे और प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य जीवन जल्द बहाल होगा।

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