CM Vishnudeo Sai: दो साल में 100 से अधिक दौरे, नक्सलगढ़ की पहचान बदलने की जुनून, आदिवासी बेटे ने खामोशी से बदल दी बस्तर की बयार
CM Vishnudeo Sai: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जब से सत्ता की कुर्सी संभाली है, उसी वक्त से बस्तर की तस्वीर बदलने लगी। जशपुर के आदिवासी बेटे साय ने बस्तर पर फोकस किया और अब उसका नतीजा भी चौतरफा दिखने लगा है। सीएम साय ने कहा भी था कि बस्तर का विकास नए छत्तीसगढ़ की नींव है। दो साल में उन्होंने इसे चरितार्थ भी किया। करीब 100 दौरे किए। पहली बार कोई मुख्यमंत्री जगदलपुर में दो दिन रुककर वहाँ के आम आदमी से बात की। उद्यमियों, व्यापारियों, समाजसेवियों के साथ बैठ बस्तर के विकास पर मंथन किया, तो उधर नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई भी जारी रही।
CM Vishnudeo Sai: रायपुर। शांतिप्रिय और खामोशी से काम करने वाले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रणनीति बना कर बस्तर के लिए काम करना शुरू किया। उन अफसरों को बस्तर भेजा, जो वहां की भौगोलिक परिस्थितियों को समझने के अलावा वहां की जरुरतों को समझते थे। महज दो साल के कार्यकाल में उन्होंने बस्तर के गांवों तक विकास की रौशनी पहुंचा दी।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावी सभाओं में बस्तर को लेकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी। उन्होंने कह दिया था कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही वामपंथी उग्रवाद का सफाया होगा और दुर्गम आदिवासी इलाकों तक विकास की पहुंच होगी। केंद्र सरकार की मंशा के अनुरूप मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रणनीति बनाई और करीब- करीब हर माह वे बस्तर दौरे पर रहे, कभी- कभी दो से अधिक दौरे भी हो गए। साय सौ से अधिक बस्तर दौरा कर चुके हैं। उनके लगातार बस्तर दौरे से अफसरों पर दबाव बना। बस्तर दौरे में वे सुरक्षा बलों के अफसरों और जवानों से मिल कर उनका हौसला बढ़ाते रहे। इससे सुरक्षा बलों का आत्म विश्वास बढ़ा। केंद्र सरकार ने फोर्स की संख्या बढ़ा कर मदद की और मुख्यमंत्री साय ने इसका पूरा इस्तेमाल कर रणनीति पर नजर रखी। ऐसा पहली बार हुआ है जब बस्तर में नक्सली इधर- उधर भागते फिर रहे हैं और लगातार आत्म समर्पण कर रहे हैं।
हिड़मा जैसे नक्सलियों की रीढ़ और बड़े नक्सली नेताओं को मार गिराया गया है। बस्तर में सिमटते वामपंथी उग्रवाद से यह सुनिश्चित हो रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा तय तारीख मार्च 2026 तक नक्सलियों का पूरा सफाया हो जाएगा। निश्चित रूप से यह छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए बड़ी कामयाबी होगी और इससे बस्तर के विकास रास्ता पूरी तरह खुल जाएगा, आदिवासी खुली हवा में सांस ले सकेंगे।
शाह के दौरों से मिली मदद
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बार- बार बस्तर दौरे पर आते रहे, उन्होंने भी अफसरों और जवानों से मुलाकात कर चर्चा की। इससे भी मुख्यमंत्री साय को बड़ी मदद मिली। सीएम साय खुद ही सक्रिय हुए और अफसरों के भरोसे न छोड़ कर स्वयं सर्च ऑपरेशनों पर निगरानी रखने लगे।
आदिवासियों के बीच गए साय
मुख्यमंत्री साय ने बस्तर के दूरस्थ गांवों तक पहुंच कर आदिवासियों से मुलाकात शुरू कर दी। सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया, इससे आदिवासियों को सरकार पर भरोसा होने लगा। सरकारी योजनाओं से मिलने वाली मदद और विकास से गांव में जागरुकता बढ़ती चली गई।
नियाद नेल्लानार की बड़ी भूमिका
सरकार ने आदिवासी इलाकों में नियाद नेल्लानार अभियान शुरू किया। इस अभियान ने बस्तर के गांवों को विकास से जोड़ना शुरू किया। नक्सल प्रभावित गांवों में जैसे- जैसे सड़कें बनने लगी, वैसे- वैसे नक्सली पीछे हटते चले गए और जंगल के भीतर घुस गए। गांवों में सड़क के अलावा बिजली, पानी, स्वास्थ्य सुविधाओं ने विकास को गति दी। सोलर ऊर्जा ने गांव रौशन हो गए, इससे बिजली खंभे की पहुंच आदि की चुनौती समाप्त हो गई। नक्सलियों ने जिन स्कूलों को बम से उड़ा दिया था, वहां अब फिर से स्कूल की घंटी बजने लगी है। स्कूलों की दीवारों से नक्सल नारे गायब हो गए हैं। केंद्र सरकार की मदद से अब बीएसएनएल के मोबाइल टॉवर लगने लगे हैं, इससे मोबाइल फोन के जरिए जंगल में भी संवाद का रास्ता खुल गया है।
बस्तर का विकास–स्थानीय पहचान और आधुनिक अवसरों का संतुलित मॉडल
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर का विकास स्थानीय संस्कृति के संरक्षण और आधुनिक सुविधाओं के संतुलन के आधार पर होगा। कृषि, सिंचाई, जैविक खेती, वनोपज प्रसंस्करण, पर्यटन और स्थानीय रोजगार पर विशेष फोकस किया जा रहा है।
नक्सलवाद के विरुद्ध ‘सामाजिक मनोवैज्ञानिक मोड़’
मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली जाकर नक्सल पीड़ितों द्वारा अपनी बात रखना ऐतिहासिक कदम है। इससे बस्तर के लोगों में बड़ा आत्मविश्वास आया और देश के सामने माओवादी हिंसा का वास्तविक चेहरा उजागर हुआ।
जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य व डिजिटल कनेक्टिविटी में तेजी से सुधार
मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर और सरगुजा में मोबाइल टावरों की स्थापना, स्कूलों का पुनः संचालन और युक्तियुक्तकरण के माध्यम से शिक्षा गुणवत्ता में तेजी से वृद्धि हुई है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और सुविधाओं का विस्तार
नियद नेल्ला नार योजना के अंतर्गत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, KCC कार्ड, बिजली, पानी, सड़क और अन्य सुविधाएँ तेजी से उपलब्ध कराई जा रही हैं।
बस्तर जिले के दुर्गम क्षेत्रों में 240 करोड़ की लागत से बनेंगी 87 नई सड़कें
बस्तर अपनी घनी वन सम्पदा और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अक्सर आवागमन की चुनौतियों का सामना करता रहा है, जहां सैकड़ों बसाहटें मुख्यधारा से कटी हुई थीं। इन विषम परिस्थितियों के बावजूद केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनातंर्गत जिले के अंदरूनी बसाहटों को बारहमासी आवागमन सुविधा से जोड़ने के लिए डामरीकृत पक्की सड़कों का निर्माण लगातार किया जा रहा है। इसी कड़ी में अभी हाल ही में भारत सरकार से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनातंर्गत फैज-4 के तहत जिले में 240 करोड़ 68 लाख रुपये की लागत से 87 नई सड़कों के निर्माण को मंजूरी मिल गई है।
इन सड़कों की कुल लंबाई करीब 237 किलोमीटर है, जो बस्तर के ग्रामीण और दूरस्थ निवासियों के लिए एक वास्तविक जीवनरेखा साबित होंगी। यह परियोजना केवल सड़कों का निर्माण नहीं, बल्कि उन विरल आबादी वाले क्षेत्रों तक विकास, स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित करने का एक मजबूत प्रयास है।
पीएमजीएसवाय के अंतर्गत स्वीकृत इन सड़कों में कई ऐसी हैं जो विशेष रूप से दुर्गम क्षेत्रों को जोड़ती हैं। इनमें प्रमुख हैं जगदलपुर विकासखण्ड की तिरिया से पुलचा तक की 14.40 किलोमीटर लंबी सड़क और लोहण्डीगुडा विकासखण्ड की बारसूर पल्ली रोड से कचेनार तक 7.50 किलोमीटर की कनेक्टिविटी, जो स्थानीय निवासियों के लिए बाजार, स्कूल, अस्पताल और सरकारी कार्यालयों तक पहुंचाना आसान बनाएगी। सबसे चुनौतीपूर्ण माने जाने वाले दरभा विकासखण्ड में, दरभा कोलेंग रोड से खासपारा ककालगुर, लेण्ड्रा अटल चैक से भाटागुडा जैसे महत्वपूर्ण पड़ावों को जोड़ने वाली सड़क तथा पुराने ग्राम पंचायत से पडिया आठगांव एवं कुरेंगापारा रोड से जालाघाटपारा व्हाया चालकीपारा तक की सड़कें भी शामिल हैं। ये सभी नाम उन बसाहटों के हैं जहां बेहतर कनेक्टिविटी अत्यंत आवश्यक थी।
इस परियोजना के तहत बकावंड और लोहांडीगुड़ा जैसे विकासखंडों में सर्वाधिक 50 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कें स्वीकृत की गई हैं। कुल 87 सड़कों का यह विशाल नेटवर्क बस्तर के लोगों को न केवल सुगम आवागमन प्रदान करेगा, बल्कि विषम परिस्थितियों में रहने वाले प्रत्येक ग्रामीण तक शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ बिना किसी बाधा के पहुंचना भी सुनिश्चित करेगा। यह स्वीकृति बस्तर के समग्र सामाजिक-आर्थिक उत्थान की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
बस्तर ओलंपिक के संभाग स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन 11 से 13 दिसम्बर तक
संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में 11 दिसम्बर से 13 दिसम्बर तक इसका आयोजन किया जाएगा। बस्तर ओलंपिक के जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं के तीन हजार विजेता खिलाड़ी संभाग स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे। करीब 500 नक्सल पीड़ित और पुनर्वासित नक्सली भी इन स्पर्धाओं में हिस्सेदारी करेंगे। राज्य सरकार बस्तर के युवाओं को खेल, संस्कृति और रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ना चाहती है। बस्तर ओलंपिक में भाग लेने के लिए संभाग के सभी 32 विकासखंडों के कुल तीन लाख 91 हजार से अधिक प्रतिभागियों ने अपना पंजीयन कराया था। विकासखंड स्तरीय प्रतियोगिताओं के दस हजार से अधिक विजेता खिलाड़ियों ने जिला स्तरीय स्पर्धाओं में भागीदारी की। जिला स्तरीय आयोजनों के करीब तीन हजार विजेता संभाग स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे। संभाग स्तरीय स्पर्धाओं में लगभग 500 नक्सल पीड़ित और पुनर्वासित नक्सली भी हिस्सेदारी करेंगे। 11 खेलों एथलेटिक्स, तीरंदाजी, बैडमिंटन, फुटबॉल, हॉकी, वेटलिफ्टिंग, कराटे, कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल और रस्साखींच में ये अपना खेल कौशल दिखाएंगे।