विष्णुदेव सरकार की सुध से सुधरी खेती-किसानी, 7 महीने में राज्य के किसानों के हित में लिए कई बड़े फैसले

छत्तीसगढ़ धान का कटोरी है। खेती-किसानी यहां के लोगों की आजीविका का साधन होने के साथ यहां की संस्कृति में भी रची बसी है। ग्रामीण जनजीवन में तीज-त्यौहार भी खेती किसानी से जुड़े हैं

Update: 2024-07-30 13:46 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ धान का कटोरी है। खेती-किसानी यहां के लोगों की आजीविका का साधन होने के साथ यहां की संस्कृति में भी रची बसी है। ग्रामीण जनजीवन में तीज-त्यौहार भी खेती किसानी से जुड़े हैं। खेतों की जुताई-बुआई से लेकर फसल की कटाई तक हर अवसर पर हरेली, पोला, नवाखाई, छेरछेरा आदि त्यौहार मनाए जाते हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में नई सरकार ने मोदी जी की गारंटी पर अमल करते हुए छत्तीसगढ़ में कृषि और किसानों की उन्नति के लिए तत्परता के साथ अनेक कदम उठाए हैं। धान के कटोरे के रूप में प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ किसानों को धान की सबसे ज्यादा कीमत मिलने के लिए भी जाना जाता है। नई सरकार ने छत्तीसगढ़ की इस ताकत को और मजबूत करने के लिए नए बजट में अनेक प्रावधान किए हैं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 13 दिसंबर को शपथ लेने के बाद 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस सुशासन दिवस के अवसर पर मोदी की गारंटी पूरी करते हुए 12 लाख से अधिक किसानों के खाते में दो साल के बकाया धान के बोनस के रुप में 3716 करोड़ रुपए की राशि अंतरित की। मुख्यमंत्री ने कृषक उन्नति योजना के तहत किसानों को समर्थन मूल्य और 3100 रुपए प्रति क्विंटल की अंतर की राशि प्रदान करने का ऐलान किया है। खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में किसानों ने 21 क्विंटल प्रति एकड़ और 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 24.72 लाख किसानों से 144.92 लाख मीटरिक टन धान की खरीदी की गई है। किसानों को वर्तमान में समर्थन मूल्य का भुगतान किया गया है। कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को अंतर की राशि के रुप में लगभग 13 हजार करोड़ रुपए का भुगतान कर राज्य सरकार एक और वायदा पूरा करेगी। देश की जीडीपी में कृषि का बड़ा योगदान है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार भी कृषि ही है और यह धान का कटोरा कहलाता है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अल्पावधि में राज्य के किसानों के हित में कई फैसले लिए हैं, इससे राज्य में खेती-किसानी को नया सम्बल मिला है। किसान बेहद खुश है। उनके मन में एक नई उम्मीद जगी है।

3716 करोड़ रूपए दिए धान का बोनस

छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी तथा दो साल के बकाया धान बोनस की राशि 3716 करोड़ रूपए का भुगतान करके एक ओर जहां अपना संकल्प पूरा किया है, वहीं दूसरी ओर किसानों से बीते खरीफ विपणन वर्ष में 144.92 लाख मीट्रिक टन धान की रिकार्ड खरीदी की है। किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 31,914 करोड़ रूपए का भुगतान एवं किसान समृद्धि योजना के माध्यम से मूल्य की अंतर की राशि 13,320 करोड़ का भुगतान करके यह बता दिया है कि छत्तीसगढ़ की खुशहाली और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का रास्ता खेती-किसानी से ही निकलेगा।

कृषि बजट में 33 प्रतिशत बढ़ोतरी

किसानों का मानना है कि राज्य सरकार के अब तक के फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार किसानों की हितैषी है। खेती-किसानी ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। कृषि के क्षेत्र में सम्पन्नता से ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और विकसित राज्य बनाने का सपना साकार होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने इस साल कृषि के बजट में 33 प्रतिशत की वृद्धि की है।

धान खरीदी के अंतर की राशि भी दी

छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने संकल्प के मुताबिक समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान में प्रति क्विंटल 917 रूपए के मान से अंतर की राशि भी दे दी है। किसानों को प्रति क्विंटल के मान से 3100 रूपए के भुगतान की यह राशि देश में सर्वाधिक है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इस साल के बजट में कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत 10 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है।

कृषि को बढ़ावा देने अभिनव पहल

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई अभिनव पहल की जा रही है। जशपुर जिले के कुनकुरी में कृषि व्यवसाय प्रबंधन महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र तथा बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर में पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट एवं प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी महाविद्यालय, सूरजपुर जिले के सिलफिली एवं रायगढ़ में शासकीय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, तथा मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के खडगंवा में कृषि महाविद्यालय खोलने की व्यवस्था बजट में की है। कृषि में आधुनिक उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय की स्थापना एवं राज्य स्तरीय नवीन कृषि यंत्र परीक्षण प्रयोगशाला के भवन का निर्माण, दुर्ग एवं सरगुजा जिले में कृषि यंत्री कार्यालय तथा रासायनिक उर्वरकों की जांच के लिए सरगुजा जिले में गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी।

8 हजार 500 करोड़ ब्याज मुक्त कर्ज का लक्ष्य

राज्य के किसानों को सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 8 हजार 500 करोड़ का लक्ष्य तथा भूमिहीन कृषि मजदूरों की सहायता हेतु दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के तहत भूमिहीन परिवारों को प्रतिवर्ष 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता देने के लिए बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान है।

सिंचाई के लिए 1700 करोड़ की योजनाएं

छत्तीसगढ़ में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, सौर सुजला योजना के माध्यम से सिंचित रकबे में बढ़ोत्तरी का प्रयास किया जा रहा है। नवीन सिंचाई योजना के लिए 300 करोड़ रूपए, लघु सिंचाई की चालू परियोजनाओं के लिए 692 करोड़ रूपए, नाबार्ड पोषित सिंचाई परियोजनाओं के लिए 433 करोड़ रूपए एवं एनीकट तथा स्टाप डेम निर्माण के लिए 262 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है। केलो सिंचाई परियोजना की अधूरी नहरों को पूरा करने के लिए 100 करोड़ रुपए, जल संसाधन के बेहतर प्रबंधन हेतु डिजिटल सूचना प्रणाली विकसित करने के लिए राज्य जल सूचना केन्द्र की स्थापना हेतु 01 करोड़ 56 लाख का प्रावधान किया गया है। सिंचाई रकबे के विस्तार के लिए नवीन सिंचाई परियोजनाओं हेतु 300 करोड़ रूपए, लघु सिंचाई की चालू परियोजनाओं हेतु 692 करोड़ रूपए, नाबार्ड पोषित सिचाई परियोजनाओं के लिए 433 करोड़ रूपए तथा एनीकट एवं स्टॉपडेम निर्माण हेतु 262 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। सिंचाई बाधों की देखभाल एवं मरम्मत के लिए राज्य बांध सुरक्षा संगठन को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा।

कृषि सहायक गतिविधियों का समन्वित प्रयास

छत्तीसगढ़ में किसानों एवं भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार, कृषि एवं सहायक गतिविधियां के लिए समन्वित प्रयास पर राज्य सरकार का फोकस है। चालू वित्तीय वर्ष कृषि बजट 33 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 13 हजार 435 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। किसानों को सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 8500 करोड़ रूपए की साख सीमा छत्तीसगढ़़ सरकार ने तय की है।

9.13 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की उपलब्धता

खरीफ सीजन 2024-25 के लिए राज्य में 13.68 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों की मांग के विरूद्ध अब तक 9.13 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गयी है, जो मांग का 67 प्रतिशत है। सोसायटियों में विभिन्न खरीफ फसलों के बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। खरीफ सीजन 2024-25 में 5 लाख 59 हजार 203 क्ंविटल बीज की मांग के विरूद्ध 6 लाख 39 हजार 4 क्विंटल बीज उपलब्ध है, जो कि मांग का 114 प्रतिशत है। सोसायटियों से किसान लगातार बीज का उठाव कर रहे है। अब तक 03 लाख 75 हजार क्विंटल बीज का उठाव किसानों ने किया है, जो कि बीज की डिमांड का 67 प्रतिशत है।

खाद-बीज भंडारण और उठाव पर रखें नजरः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने वर्तमान खरीफ सीजन को देखते हुए राज्यभर की सहकारी समितियों में सोसायटियो में गुणवत्तापूर्ण खाद-बीज भंडारण एवं उठाव की स्थिति पर निरंतर निगरानी रखने को कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसानों को खाद-बीज के लिए किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े, इसलिए पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने अपने खेती-किसानी के दीर्घ अनुभव के आधार पर कहा है कि खरीफ सीजन में किसान भाईयों द्वारा डीएपी खाद की मांग ज्यादा की जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए डीएपी खाद की मांग और सप्लाई पर विशेष निगरानी रखी जानी चाहिए। खाद-बीज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सेंम्पलिंग एवं प्रयोगशाला के माध्यम से जांच का विशेष अभियान संचालित किया जाए।

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