CGPMAY: प्रधानमंत्री आवास योजना पर छत्तीसगढ़ में फास्ट काम होने से लोगों का साकार हो रहा है पक्के मकान का सपना

CGPMAY: छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना पर तेजी से काम कर रही है। इसका नतीजा यह हुआ है कि लोगों का अपना पक्का मकान होने का सपना अब जमीन पर उतरने लगा है।

Update: 2024-10-12 07:00 GMT

रायपुर। जाहिर है, हर गरीब का ये सपना होता है कि उसका भी अपना घर हो। किसी तरह झोंपड़ीनुमा कच्चा मकान बना लेने वाले गरीब के लिए पक्का मकान तो जैसे नामुमकिन ही होता है। लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना ने छत्तीसगढ़ के ऐसे ग्रामीणों की तकदीर बदल दी है। प्रधानमंत्री आवास योजना में नाम आने के बाद गरीबों के खाते में इसकी राशि आ रही है। साथ ही इससे अपना खुद का पक्का मकान बनाने का सपना भी साकार हो रहा है। गरीबों के घरों की बुनियादें प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मजबूत कर रहे हैं।

अंतिम छोर के गांव की अपनी पहचान होती है। शहर से दूर होने के साथ यहाँ की अपनी जीवनशैली होती है। दूर-दूर घर होते हैं। घर पर गाय बकरियां होती है। हरे-भरे पेड़ पौधे होते हैं। छोटी-छोटी बाड़ियाँ होती है, जहाँ पसंद की साग सब्जियां उगाई गई और आसपास मुर्गे-मुर्गियां छोटे चूजे घूमते-फिरते होते हैं। सुबह से शाम तक चहल-पहल होती है। अपनी परम्पराएं, अपनी संस्कृति और मजबूत रिश्ते मगर कच्चे घर होते हैं। इन्हीं पहचान के बीच किसी के टूटे हुए तो किसी के जैसे-तैसे बने मिट्टी और खपरैल वाले घर भी होते हैं। गाँव में किसी के पक्के मकान का होना उनके रसूखदार होने की पहचान हुआ करती थी। क्योंकि गरीबी की वजह से पक्के मकान का सपना अनगिनत ग्रामीणों के लिए महज सपना ही था, खेती-किसानी या फिर पीढ़ी दर पीढ़ी कच्चे मकानों में ही जिंदगी गुजार देने वाले ग्रामीणों ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उनका भी पक्का मकान बनेगा और अपने जीते-जी वे किसी रसूखदारों के बीच पक्के मकान में रह पाएंगे। लेकिन अब सभी का ये सपना सच हो रहा है।

कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा के अन्तिम छोर के गाँव पतुरियाडाँड़ में रहने वाले गुलाब सिंह अपने तीन बेटों के साथ घर पर रहते हैं। लगभग 60 बसंत देख चुके गुलाब सिंह बताते हैं कि किसी तरह गांव में खेती किसानी और मजदूरी से घर का खर्च चल जाता था। अब बेटे भी यहीं करते हैं। उनकी कई पीढ़ी गुजर गई पर पक्का मकान बन पाएगा, ऐसा कभी सोचा भी नहीं था। उन्होंने बताया कि उनके कच्चे मकान में जिंदगी कट गई। कच्चे मकान में बारिश के समय बहुत ही ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ा। कभी खपरैल के बीच से टपकते बारिश के पानी में रातों की नींदे खराब हुई तो कई बार नीचे फर्श कीचड़मय हुआ।

गुलाब सिंह से बताया कि उन्हें इस बात की चिंता थी कि वास्तव में पक्का मकान बनाने के लिए पैसे मिलेंगे या नहीं। कई बार तो लगता था कि खाते में पैसा नहीं आएगा और पक्के मकान का सपना कभी पूरा नहीं हो पायेगा। गुलाब सिंह ने बताया कि जब खाते में राशि आई तो मकान का सपना हकीकत में बदल गया है। खाते से राशि निकालकर अपनी मकान को मूर्त रूप दे रहा है। गुलाब सिंह ने बताया कि उन्हें खुशी है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों के खाते में पैसा डाला है और यह राशि उनके जैसे गरीब परिवारों के सपनों को सच कर रहा है।

जगतपाल को मिला पक्का मकान

जशपुर जिले के विकासखंड मनोरा के ग्राम पंचायत करदना में प्रधानमंत्री आवास योजना वरदान साबित हुआ है। पहाड़ के नीचे बस्ती छतौरी में रहने वाले जगतपाल राम का पक्का आवास के साथ शौचालय बनकर तैयार है। जगतपाल अपने पक्के मकान का मालिक बन गया है और अब वे खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को ऐसे जनकल्याणकारी योजना के लिए आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया। विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा समुदाय के जगतपाल झोपड़ी बनाकर निवास करते थे। जिन्हें बरसात के मौसम में प्रतिवर्ष छत से बारिश का पानी टपकता था, सांप बिच्छू जैसे जहरीलें जीव-जंतुओं का डर बना रहता था। हर साल छत की मरम्मत करने में जमा पूंजी खर्च हो जाती थी, समुचित रोशनी की भी व्यवस्था नहीं थी।

पूरा हुआ पक्के मकान का वादा

रायगढ़ जिला अंतर्गत तमनार विकासखण्ड के ग्राम पंचायत महलोई में रहने वाली दुरपति राठिया कच्चे मकान में रहकर रोजी-मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करती थी। पक्का आवास बनाने के लिए वह पाई-पाई जोड़कर रकम जमा की थी। लेकिन उन्हे पक्के आवास के लिए जोड़े पैसे बेटे की शादी में खर्च करना पड़ा। विधवा महिला के लिए अब पक्का आवास बनाना मानो असंभव सा लगने लगा। तभी पीएम आवास योजना ने उनके पक्के घर के इरादे को बल दिया और आज दुरपति का कच्चा मकान पक्के मकान में तब्दील हो गया है। दुरपति राठिया का भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण अंतर्गत आवास स्वीकृत होने से उनके चेहरे पर खुशी स्पष्ट दिखती है।

मजदूरों के बन रहे नए पक्के मकान

बिलासपुर जिले के सीपत में रहने वाले 53 साल के रामगोपाल धीवर एक निर्माण मजदूर के रूप में ईंटें बिछाते हैं और स्तंभों, नींव और बीम को मजबूत करते हैं, तो उनके मन में अपना खुद का घर बनाने का सपना भी मचलता था। एक दिन रामगोपाल को मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना के बारे में पता चला। जिससे उनके जैसे मजदूरों को आवास सहायता मिलती है। उन्होंने इस योजना के लिए आवेदन किया। रामगोपाल का आवेदन स्वीकृत हुआ और उन्हें अपने परिवार के लिए एक पक्का घर बनाने के लिए एक लाख रुपये की पर्याप्त राशि मिली। रामगोपाल के जीवन भर के संघर्ष को तब और गहरा अर्थ मिला जब उनकी बहू ने सुरक्षित वातावरण में रहने के अवसर के लिए खुशी और विष्णु देव सरकार का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास योजना के तहत रामगोपाल जैसे मजदूर और उनके परिवार के लिए पक्के घर बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।

टपकती छत से मिली मुक्ति

जशपुर जिले के ग्राम पंचायत मूढ़ी में निवास करने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा रामनिधि का आवास वर्ष 2023-24 में पीएम जनमन के तहत स्वीकृत हुआ। उन्होंने बताया कि जनमन योजना में उन्हें आवास निर्माण के लिए 2 लाख रूपए की सहायता राशि मिली और मनरेगा योजना के तहत 12 हजार रूपए का शौचालय बनवाया गया। साथ ही उन्हें मनरेगा से 95 दिवस रोजगार की राशि भी मिली है। रामनिधि ने बताया कि पहले उनका घर कच्चा था, जिसके कारण बरसात में बहुत परेशान होना पड़ता था। बरसात के समय छत से पानी टपकता था। पॉलीथीन बांध कर घर पर रहना पड़ता था। घर कच्चा होने के कारण कई बार सांप-बिच्छू घर में घुस जाते थे। उन्होंने बताया कि उन्हें हर साल बरसात के पहले घर की मरम्मत भी करनी पड़ती थी। लेकिन अब उन्हें बारिश में टपकती छत से मुक्ति मिल गई है। रामनिधि ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पक्का आवास मिलने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रति आभार जताते हुए कहा कि अब उन्हें बारिश में टपकती छत से मुक्ति मिल गई है।

जीवन की सबसे बड़ी परेशानी हल

रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की तीन सबसे मूल आवश्यकता है, जिनकी पूर्ति के लिए हर व्यक्ति लगातार प्रयास करता है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां आजीविका के सीमित संसाधन होते हैं, वहां लोग अपने परिवार की बुनियादी जरूरत को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, ऐसे में यदि इनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शासकीय सहायता मिल जाए तो जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा के अन्तिम छोर के गाँव पतुरियाडाँड़ में रहने वाली पिंकी पैकरा को भी अपने पक्के मकान का पूरा होने का इंतजार है। वह कहती है कि कच्चे मकान में रहने से बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। पक्का मकान बारिश के दिनों में उन्हें किसी परेशानी में नहीं डालेगा और वह सुकून से रह पाएगी। ग्रामीण पंचराम और उनकी पत्नी रूपकुंवर के खाते खाते में भी आवास बनाने के लिए राशि आयी तो इन्होंने मकान पूरा करा लिया है। पंचराम ने बताया कि उनके घर का प्लास्टर का काम ही शेष है, जल्द ही यह काम पूरा हो जाएगा और वे पक्के मकान में रहने लगेंगे। गांव के लबदराम भी पीएम आवास के हितग्राही है। इन्होंने खाते में राशि आते ही काम शुरू कर दिया है। अभी तक 65 हजार प्राप्त कर चुके लबदराम ने बताया कि जल्दी ही उनका घर पूरा हो जाएगा और वे अपने परिवार के साथ कच्चे मकान को अलविदा कह देंगे। इन सभी हितग्राहियों ने पीएम आवास के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया और अपने सपने के आशियाने को लेकर गौरवान्वित महसूस करते हुए खुशी व्यक्त की।

लाखों परिवार को मिल रहा उनका अपना छत

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य में निवासरत दूरस्थ अंचल के लोगों तक बुनियादी सुविधाएं के साथ जनकल्याणकारी योजनाओं से पात्र हितग्राहियों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए हैं। इन योजनाओं में से प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण बेसहरा और जरूरतमंद परिवारों के पक्के घर के सपनों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत मिले आर्थिक सहयोग से कई परिवारों के जीवन में रोशनी आई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का कहना है कि प्रदेश सरकार की कोशिशों की वजह से लाखों परिवार को उनका छत मिल सका है।

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