CG Weather Update: छत्तीसगढ़ में प्री-मानसून का कहर, पांच दिन की बारिश में जनजीवन अस्त-व्यस्त, सभी जिलों के लिए अलर्ट जारी

CG Weather Update: छत्तीसगढ़ में मई महीने के अंतिम सप्ताह में हुई भारी बारिश ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है. बीते पांच दिनों में प्रदेश में कुल मिलाकर 2,840 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो कि सामान्यतः मई में होने वाली बारिश के मुकाबले छह गुना अधिक है. आइये जानते है कैसा रहेगा छत्तीसगढ़ के मौसम का हाल.

Update: 2025-05-28 06:53 GMT
छत्तीसगढ़ में प्री-मानसून का कहर, पांच दिन की बारिश में जनजीवन अस्त-व्यस्त, सभी जिलों के लिए अलर्ट जारी
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CG Weather Update: छत्तीसगढ़ में मई महीने के अंतिम सप्ताह में हुई भारी बारिश ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है. बीते पांच दिनों में प्रदेश में कुल मिलाकर 2,840 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो कि सामान्यतः मई में होने वाली बारिश के मुकाबले छह गुना अधिक है. आइये जानते है कैसा रहेगा छत्तीसगढ़ के मौसम का हाल.

भारतीय मौसम विभाग ने इस असामान्य वर्षा को प्री-मानसून की शुरुआत के रूप में देखा है, और इसे जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों का परिणाम भी माना जा रहा है.

समय से पहले पहुंचा मानसून

मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि केरल में मानसून तय समय से पहले पहुंच गया है, और संभावना है कि छत्तीसगढ़ में भी मानसून 8 जून तक दस्तक दे सकता है. यह पिछले पांच सालों में सबसे जल्दी एंट्री मानी जा रही है. आमतौर पर छत्तीसगढ़ में मानसून 13 जून तक प्रवेश करता है, और वह भी बस्तर क्षेत्र से.

मई महीने में कैसा रहता है मौसम

आमतौर पर मई महीने में छत्तीसगढ़ में 430 मिमी से लेकर 450 मिमी तक बारिश होती है. लेकिन इस साल मात्र पांच दिनों में ही प्रदेश ने सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. विशेषज्ञों के मुताबिक यह स्थिति असामान्य है, बल्कि इसके प्रभाव भी व्यापक और बहुआयामी होंगे. खेतों से लेकर सड़कों तक, घरों से लेकर सरकारी दफ्तरों तक, इस बारिश ने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है.

जन जीवन अस्त-व्यस्त

बारिश का असर जलभराव और बाढ़ तक सीमित नहीं रहा. इसके साथ आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिनमें जानमाल का नुकसान हुआ है. कोरबा जिले से एक दुखद खबर आई, जहां कक्षा आठवीं में पढ़ने वाले एक छात्र की बिजली गिरने से मौत हो गई.

कहाँ कितनी बारिश

राज्य के उत्तरी हिस्से अंबिकापुर में मंगलवार को दोपहर के समय तेज बारिश हुई, जिससे कई इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई. नदी-नालों का जलस्तर तेजी से बढ़ा और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों पर पानी बहने लगा. कई स्थानों पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. अंबिकापुर की स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि वहां की भौगोलिक स्थिति वर्षा जल को तेजी से जमा करने में मदद करती है, जिससे अचानक बाढ़ का खतरा और बढ़ जाता है.

तापमान में भी देखी गई गिरावट

बारिश के साथ तापमान में भी गिरावट देखी गई है. बीते दो दिनों की बात करें तो 25 मई को छत्तीसगढ़ का अधिकतम तापमान 34.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जो 26 मई को घटकर 34.1 डिग्री सेल्सियस रह गया. वहीं, पेंड्रा रोड पर सबसे अधिक तापमान 36.3 डिग्री और न्यूनतम तापमान 23.4 डिग्री दर्ज किया गया. यह गिरावट इस बात की ओर संकेत करती है कि मौसम में तेजी से परिवर्तन हो रहा है, और आने वाले दिनों में इसके और भी असर देखने को मिल सकते हैं.

पिछले 24 घंटों की बात करें तो राज्य में 460 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई है. इसमें सबसे अधिक वर्षा सुहेला में हुई, जहां 60 मिमी बारिश दर्ज की गई. यह आंकड़े साबित करते हैं कि प्रदेश में वर्षा का वितरण असमान है, और कुछ क्षेत्रों में यह खतरे की सीमा तक पहुंच चुका है. इसके साथ ही यह भी देखा गया कि बीते छह दिनों में बारिश की गति लगातार बदलती रही है. जहां शुक्रवार को 30 से ज्यादा इलाकों में बारिश हुई थी, वहीं शनिवार को यह संख्या घटकर मात्र 12 रह गई. रविवार को फिर से 50 से ज्यादा इलाकों में वर्षा हुई, जबकि सोमवार को यह आंकड़ा 17 इलाकों तक ही सीमित रहा. मंगलवार को 27 से अधिक स्थानों पर कम से कम 10 मिमी बारिश दर्ज की गई.

8 जून तक पहुंचेगा मानसून

इस बीच, मौसम विभाग का अनुमान है कि केरल में मानसून ने तय समय से पहले दस्तक दे दी है और छत्तीसगढ़ में यह 8 जून तक पहुंच सकता है. यह तारीख सामान्य समय से लगभग पांच दिन पहले की है. आमतौर पर छत्तीसगढ़ में मानसून की शुरुआत बस्तर क्षेत्र से होती है और वहां यह 13 जून के आसपास पहुंचता है. यदि इस बार 8 जून तक मानसून पहुंचता है, तो यह पिछले पांच सालों में सबसे जल्दी प्रवेश माना जाएगा.

इन परिस्थितियों में राज्य सरकार और प्रशासन को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी है कि अगले कुछ दिनों तक बारिश का दौर जारी रह सकता है. ऐसे में सभी जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है, जिसमें गरज-चमक के साथ बारिश, आकाशीय बिजली और ओलावृष्टि की संभावना व्यक्त की गई है.

इस दौरान नागरिकों से अपील की गई है कि वे सावधानी बरतें. अगर आकाशीय बिजली की गड़गड़ाहट सुनाई दे, तो तुरंत किसी सुरक्षित पक्के आश्रय में चले जाएं. खुले मैदानों या पेड़ों के नीचे खड़े होने से बचें. अगर कोई सुरक्षित स्थान न हो तो उखड़ू बैठने की मुद्रा में रहें. बिजली के खंभों, तारों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूर रहना भी आवश्यक है. कई लोग इस दौरान मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, जो खतरे को और बढ़ा सकता है.

प्रदेश के सामने फिलहाल दोहरी चुनौती है एक ओर मानसून की समय से पहले और तेज एंट्री, तो दूसरी ओर इससे उत्पन्न आपदाओं से निपटने की तैयारी. अगर समय रहते सजगता नहीं बरती गई, तो आने वाले दिनों में स्थिति और अधिक विकराल हो सकती है.

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