CG Teacher News: टेट की अनिवार्यता खत्म करने अभियान, सर्व शिक्षक संघ ने सांसदों को ज्ञापन सौंपने लिया निर्णय
CG Teacher News: टेट की अनिवार्यता को खत्म करने के लिए सर्व शिक्षक संघ ने सांसदों को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया है। सांसदों को ज्ञापन सौंपकर संसद के शीतकालीन सत्र में मुद्दा उठाने की मांग करेंगे। इसके लिए छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों से व्यक्तिगत मुलाकात कर ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया है।
CG Teacher News: बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट ने नए शिक्षकों के साथ ही कार्यरत शिक्षकों के लिए टेट की अनिवार्यता कर दी है। इसे लेकर प्रदेश के साथ ही देशभर के शिक्षकों की दिक्कतें बढ़ गई है। शिक्षक संगठनों के नेताओं द्वारा लगातार इसकी अनिवार्यता को लेकर मुद्दे उठाए जा रहे हैं। शिक्षक संगठन के नेता राज्य सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अपील की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अब प्रमोशन उन्हीं शिक्षकों को मिल पाएगा जिन्होंने टीईटी पास कर रखा है। शीर्ष अदालत ने यह भी शर्त रख दी है कि यदि 2 साल के भीतर शिक्षक टेट पास नहीं करते हैं तो उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। हालांकि जिनकी सेवाएं 5 साल से कम बची है उन्हें न्यायालय ने छूट देते हुए नौकरी से बाहर नहीं करने का आदेश दिया है। ऐसे शिक्षकों को प्रमोशन की पात्रता नहीं होगी। मतलब साफ है, नौकरी तो बनी रहेगी पर उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा। जिन शिक्षकों की सेवा अवधि 5 साल से अधिक बची है और यदि वह 2 साल के भीतर टीईटी पास नहीं करते हैं तो फिर उनके लिए दिक्कतें खड़ी हो सकती है और इसी को लेकर देशभर के शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है।
इस मुद्दे से निपटने के लिए अलग-अलग शिक्षक संगठन अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में सर्व शिक्षक संघ ने इस मुद्दे को लोकसभा और राज्यसभा तक पहुंचाने का निर्णय लिया है। संघ ने छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों को ज्ञापन के माध्यम से मुद्दे से अवगत कराने के अलावा शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में संशोधन की पहल कराने प्रयास करेंगे।
सांसदों को सौंपेंगे ज्ञापन
सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप पाण्डेय ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर तमिलनाडु सरकार समेत कई राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने इस मामले को लार्जर बेंच के पास भी भेजा है। इस पर अभी विस्तृत चर्चा होनी बाकी है। हम ज्ञापन के माध्यम से सांसदों को अवगत कराएंगे और उनसे अपील करेंगे कि शीतकालीन सत्र में संसद के पटल पर वह इस मुद्दे को गंभीरता के साथ रखे। देश भर के शिक्षकों के हित में चर्चा कर शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 23 में संशोधन कराए । शिक्षा का अधिकार अधिनियम की कंडिकाओं का उल्लेख करते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने इन शर्तों को लागू किया है और यदि उन कंडिकाओं को ही केंद्र सरकार द्वारा परिवर्तित कर दिया जाता है तो अपने आप इस समस्या का निराकरण हो जाएगा इसके लिए हमने कानून के जानकारों से भी सलाह मशविरा किया है।
प्रदीप पाण्डेय का कहना है कि शिक्षक का अनुभव ही उसकी सबसे बड़ी जमा पूंजी होती है। जो शिक्षक बीते एक या दो दशक से लगातार बच्चों को पढ़ा रहे हैं उनकी गुणवत्ता का आकलन एक टीईटी परीक्षा से करना कहीं से भी उचित नहीं है।