CG School Education: खबर का बड़ा असर: NPG की खबर के तीन घंटे के भीतर DEO ने निलंबित शिक्षक का बहाली आदेश किया रद्द, डीपीआई ने लगाई फटकार

CG School Education: छत्तीसगढ़ के सबसे तेज और विश्वसनीय न्यूज वेबसाइट NPG.NEWS की खबर का आज बड़ा असर हुआ। डीईओ ने निलंबित शिक्षक को सेटिंग कर गांव के स्कूल से शहर के स्कूल में पोस्टिंग कर दिया। एनपीजी न्यूज ने आज प्रमुखता से इस खबर को प्रकाशित किया था। पता चला है, अफसरों की फटकार के बाद डीईओ ने अपना ही आदेश निरस्त कर दिया। नीचे खबर पढ़े विस्तार से...

Update: 2025-12-03 14:45 GMT



CG School Education: रायपुर। NPG.NEWS की खबर के महज कुछ घंटों बाद ही बड़ा इंपैक्ट आया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने डीईओ को फटकार लगाई और निलंबित शिक्षक का निलंबन आदेश खबर प्रकाशित होने के तीन घंटे के भीतर निरस्त कर दिया गया। खबर के नीचे देखिए निरस्त करने का आदेश....

कोरबा जिले का यह मामला था। जिसमें शासकीय प्राथमिक शाला कदमडीह विकासखंड कोरबा में पदस्थ सहायक शिक्षक डाकेश कुमार साहू को युक्तियुक्तकरण के तहत प्राथमिक शाला बागबहार संकुल नकिया में पदस्थ किया गया था, जो कि शहर से बाहर का इलाका था। जुलाई 2025 में उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया था। ज्वाइनिंग के महज एक महीने के अंदर स्थानीय सरपंच और ग्रामीणों की लिखित शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी को मिल गई, जिसमें शिक्षक पर अध्यापन कार्य न कराकर मोबाइल पर व्यस्त रहना , छात्र-छात्राओं से सफाई का कार्य करवाना , कभी-कभी नशे में रहना , स्कूल देर से आना व जल्दी चले जाना , दैनंदिनी संधारित न करना जैसे गंभीर आरोप लगे थे। इसके बाद 1 सितंबर को जिला शिक्षा अधिकारी ने शिक्षक को निलंबित कर दिया था।

3 महीने के भीतर हो गई शहर के अंदर बहाली

27 नवंबर को जिला शिक्षा अधिकारी ने पत्र जारी कर शिक्षक के निलंबन अवधि को कार्य अवधि मानते हुए उन्हें शहर के भीतर शासकीय प्राथमिक शाला रिसदा में बहाल कर दिया। जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि संबंधित शिक्षक ने शारीरिक और मानसिक परेशानी के कारण मलेरिया, पीलिया और दस्त होने से डॉ नीलिमा महापात्रो मनोरोग विशेषज्ञ से इलाज कराया और भविष्य में इस प्रकार की गलती दोबारा न होने की बात कहते हुए क्षमा याचना की है।

जिला शिक्षा अधिकारी का पत्र ही खोल रहा पूरे मामले की पोल

इस पूरे मामले को ध्यान से देखें तो साफ पता चलता है कि यह पूरा खेल ही शिक्षक को शहर के अंदर लाने के लिए खेला गया था । शिक्षक को यदि पीलिया मलेरिया और दस्त एक साथ हो गया था तो इसका संबंध स्कूल में बैठकर लगातार मोबाइल चलाने और अध्यापन कार्य न कराने , नशा करके आने , छात्र छात्राओं से सफाई करने से हो ही नहीं सकता और फिर मनोरोग विशेषज्ञ इन बीमारियों का इलाज करते ही नहीं है। इन सब गलतियां का कारण यह बीमारी है तो कोई शिक्षक यह कैसे कह सकता है कि इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी, क्योंकि तबीयत तो फिर कभी भी खराब हो सकती है और सबसे बड़ी बात जिला शिक्षा अधिकारी को यदि शिक्षक को बहाल ही करना था तो फिर शहर के अंदर के स्कूल में बहाल करने की क्या जरूरत थी। बताया जा रहा है कि यह इकलौता मामला नहीं है न्यायालय के नाम पर ऐसे और कई मामलों में बिना न्यायालय के निर्णय के ही संशोधन का खेल खेला गया है । और यह केवल कोरबा जिले का मामला नहीं है बल्कि अन्य जिलों में भी इसी प्रकार का खेल खेला गया है । स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षा मंत्री को ऐसे मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए खास तौर पर तब जब आगे विधानसभा की कार्रवाई होनी है। यदि स्कूल शिक्षा विभाग सभी जिलों से जारी हुए संशोधन आदेशों और संशोधन किए गए आदेशों के पीछे के कारणों की जानकारी ही मंगा ले तो बहुत बड़ा घोटाला निकल कर सामने आएगा। बहुत से प्रकरणों में तो विभाग से गलती ही हुई थी जिसे सुधर गया है लेकिन बहुत से प्रकरण ऐसे भी हैं जिसमें इस प्रकार का खेल खेला गया है।

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