CG Power Company : अपनों को ही लगा बिजली का करंट, सालों की लापरवाही अब सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर भारी, पढ़े पूरी खबर
CG Power Company : मैनेजमेंट की भारी चूक और वसूली का जाल छत्तीसगढ़ राज्य पावर कंपनी में इन दिनों एक अजीबोगरीब संकट खड़ा हो गया है।
CG Power Company : अपनों को ही लगा बिजली का करंट, सालों की लापरवाही अब सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर भारी, पढ़े पूरी खबर
CSPDCL Recovery Notice : मैनेजमेंट की भारी चूक और वसूली का जाल छत्तीसगढ़ राज्य पावर कंपनी में इन दिनों एक अजीबोगरीब संकट खड़ा हो गया है। कंपनी के ही पूर्व सेवादारों यानी सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों को विभाग ने लाखों रुपये की वसूली का नोटिस थमा दिया है। मामला बिजली बिल में मिलने वाली छूट से जुड़ा है। नियमों के अनुसार, पावर कंपनी के वर्तमान कर्मचारियों को बिजली बिल में 50 प्रतिशत की छूट दी जाती है, जबकि रिटायर होने के बाद यह छूट घटकर 25 प्रतिशत रह जाती है। लेकिन प्रबंधन की बड़ी लापरवाही यह रही कि सैकड़ों कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद भी सॉफ्टवेयर और रिकॉर्ड में बदलाव नहीं किया गया और उन्हें सालों तक 50 फीसदी की छूट ही मिलती रही। अब जब सालों बाद विभाग की नींद खुली है, तो इसका खामियाजा उन बुजुर्ग पेंशनभोगियों को भुगतना पड़ रहा है, जिनके बिल में अचानक हजारों-लाखों रुपये का एरियर (Arrears) जोड़ दिया गया है।
CSPDCL Recovery Notice : 1900 से अधिक कर्मचारी घेरे में, लाखों का आर्थिक बोझ प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस तकनीकी और प्रशासनिक लापरवाही के शिकार प्रदेश भर के करीब 1900 से अधिक सेवानिवृत्त कर्मचारी हुए हैं। विभाग ने 10 से 15 साल पुराने बिलों की जांच की और अब उस समय दी गई अतिरिक्त छूट की राशि को वापस मांग रहा है। कई रिटायर्ड कर्मचारियों के घरों में जब इस महीने का बिजली बिल पहुंचा, तो वे उसे देखकर दंग रह गए। बिल में एरियर के नाम पर 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक की भारी-भरकम राशि जोड़ दी गई है। सालों तक विभाग इस बात से अनजान रहा कि वह अपने रिटायर्ड कर्मचारियों को नियम से ज्यादा रियायत दे रहा है, जिससे कंपनी को लाखों रुपये का नुकसान हुआ। ताज्जुब की बात यह है कि फील्ड दफ्तरों और जोन कार्यालयों ने रिटायरमेंट के तुरंत बाद बिलिंग सॉफ्टवेयर में डेटा अपडेट क्यों नहीं किया, इस पर विभाग के पास कोई ठोस जवाब नहीं है।
CSPDCL Recovery Notice : अजीबोगरीब प्रकरण : 2011 में रिटायरमेंट, वसूली 2015 से शुरू वसूली की इस प्रक्रिया में कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो जांच के घेरे में हैं। एक विशेष प्रकरण में देखा गया कि एक कर्मचारी साल 2011 में सेवानिवृत्त हुआ था। नियमानुसार उसकी छूट 2011 में ही कम हो जानी चाहिए थी, लेकिन विभाग ने उसे 2015 से लेकर 2025 तक की अवधि का एरियर भेजा है। सवाल यह उठता है कि अगर 2011 से 2015 के बीच बिल सही आ रहा था, तो अचानक 2015 में बिलिंग का तरीका किसने बदला? क्या यह जानबूझकर की गई कोई गड़बड़ी थी या सिस्टम में कोई तकनीकी छेड़छाड़ हुई थी? एक अन्य कर्मचारी के बिल में अचानक 50 हजार रुपये की राशि जोड़ दी गई है, जिससे उसके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। पेंशन पर निर्भर बुजुर्गों के लिए एकमुश्त इतनी बड़ी राशि चुकाना लगभग नामुमकिन है।
विद्युत अधिनियम का उल्लंघन और संघ का कड़ा विरोध इस पूरे विवाद ने अब कानूनी और संगठनात्मक रूप ले लिया है। छत्तीसगढ़ विद्युत सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ ने इस वसूली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संघ के प्रदेश महामंत्री पुनारद राम साहू ने छत्तीसगढ़ राज्य वितरण कंपनी (MD) को एक तीखा पत्र लिखकर इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगाने और निष्पक्ष जांच की मांग की है। संघ का तर्क है कि 'विद्युत अधिनियम 2003' के उपनियमों के तहत 2 वर्ष से अधिक पुरानी किसी भी बकाया राशि की वसूली नहीं की जा सकती। ऐसे में 10-15 साल पुराने एरियर निकालना पूरी तरह से गैर-कानूनी है। संघ ने मांग की है कि बिजली बिलों में हुई इस चूक की जांच की जाए और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, क्योंकि बिल में बदलाव करना विभाग की जिम्मेदारी थी, न कि कर्मचारी की।
बुजुर्गों के सम्मान और आर्थिक सुरक्षा पर सवाल यह मामला सिर्फ पैसों की वसूली का नहीं, बल्कि उन बुजुर्गों के सम्मान से भी जुड़ा है जिन्होंने अपनी पूरी उम्र बिजली विभाग को रोशन करने में लगा दी। सेवानिवृत्त कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें कभी इस बात की जानकारी ही नहीं दी गई कि उन्हें गलत छूट मिल रही है। वे हर महीने विभाग द्वारा भेजे गए बिल का भुगतान ईमानदारी से करते रहे। अब बुढ़ापे के इस पड़ाव पर, जब दवाइयों और जीवनयापन का खर्च पहले ही बढ़ चुका है, विभाग द्वारा थोपा गया यह 'बिजली का झटका' उनके मानसिक और आर्थिक स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि इस वसूली को तुरंत बंद नहीं किया गया और पुराने नियम के तहत इसे निरस्त नहीं किया गया, तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।