CG News: जल संसाधन विभाग में दो SOR का खेल, ठेकेदारों की मौज, सरकारी खजाने पर चोट

CG News: जल संसाधन विभाग में एक हीं दो SOR के जरिए ठेकेदारों से काम कराने की तैयारी चल रही है। अगर ऐसा हुआ तो सरकारी खजाने को जमकर चोट पहुंचेगी। जाहिर सी बात है, सरकारी खजाने को चोट पहुंचाकर ठेकेदारों को उपकृत करने का खेला होगा। ठेकेदारों का बल्ले-बल्ले हो ही जाएगा।

Update: 2025-08-16 10:19 GMT

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CG News: रायपुर। जल संसाधन विभाग में काम करने वाले ठेकेदारों की मौजा ही मौजा होने वाला है। विभाग ने एक नहीं अब दो SOR से काम कराने का अजीबो-गरीब फैसला ले लिया है। इससे सरकारी खजाने को चोट पहुंचाकर ठेकेदारों को उपकृत करने का खेला शुरू हो गया है। रिटायर्ड सीई की मानें तो एक डिपार्टमेंट में दो एसओआर हो ही नहीं सकता। नया एसओआर जारी होते ही पुराना एसओआर उसी दिन खत्म हो जाता है। जल संसाधन विभाग में उलटी गंगा बहाने का काम अफसर कर रहे हैं।

जल संसाधन विभाग में चल रहे एसओआर के खेला के बीच सवाल यह भी उठ रहा है,जब पुराने एसओआर पर ही कम दरें आ रहीं है तब नए एसओआर में 50 फीसदी की बढ़ोतरी किस मानदंड के आधार पर कर दी गई है। जब ठेकेदार पुराने एसओआर से कम दर पर काम कर हैं तो नए एसओआर जारी कर भारी भरकम बढ़ोतरी करने का तूक समझ से परे है। विभाग में काम करने वाले ठेकेदार और रिटायर्ड इंजीनियर की माने तो जब पुराने एसओआर से ज्यादा रेट पर ठेकेदार काम लेने लगते हैं तब नई एसओआर की नई दरें तय की जाती है। यहां तक अलग ही तरह का काम हो रहा है। आलम ये कि अब छत्तीसगढ़ के इकलौते जल संसाधन विभाग में दो तरह के एसओआर पर अलग-अलग तरह की निविंदा आमंत्रित की जाएगी। इसे लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

SOR जारी करने, इन नियमों व मापदंड का पालन करना जरुरी

रिटायर्ड सीई का कहना है कि नए एसओआर बनाते वक्त वर्तमान दौर में निर्माण सामग्रियों की कीमतें, लेबर चार्ज सहित विभिन्न पहलुओं पर गौर किया जाता है। इसके बाद इंजीनियर इन चीफ नए एसओआर जारी करता है। आमतौर पर पांच से दस साल में एसओआर रिवाइज्ड करते हैं। रिवाइज्ड करते समय नई परिस्थितियों को इनकारपोरेट किया जाता है। यह भी नियम है कि नए एसओआर बनाना भी जरुरी नहीं है। अगर बनाने की जरुरत पड़ी तो परिस्थितियों और टर्म कंडीशन को गौर किया जाता है। रिटायर्ड सीई का कहना है कि अगर आपने नए एसओआर को लागू कर दिया तो उसी समय से पुराने एसओआर खत्म हो जाता है। एसओआर में संशोधन की व्यवस्था भी की गई है। यह तब होता है जब नया जीएसटी आ गया या फिर सरकार की तरफ से टैक्स में संशोधन कर दिया जाता है। ऐसी परिस्थितियों में एसओआर मे संशोधन करने का प्रावधान है।

यह नहीं हो सकता-

रिटायर्ड सीई का कहना है कि राज्य सरकार के एक डिपार्टमेंट में दो एसओआर पर काम हो नहीं सकता। अगर हो रहा है तो यह पूरी तरह गलत है। एक ठेकेदार को दूसरा और दूसरे को कोई और आप्शन नहीं दिया जा सकता।

इसलिए महत्वपूर्ण होता है SOR

जब कभी किसी काम का इस्टीमेट बनता है तो एसओआर के आधार पर ही बनाया जाता है। कोई भी परसेंटेज ना जोड़ा जाता है और ना ही कम किया जाता है।

ऐसे होता है टेंडर प्रोसेज-

मान लीजिए रपटा बनाना है। सबसे पहले इस्टीमेटबनाया जाता है। तय एसओआर के अनुसार ही बजट तय होता है। बजट का पहले टीएस टेक्निकल एप्रुव्ह होता है। राज्य सरकार के पास एप्रुव्ह के लिए जाता है। राज्य सरकार से प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर काल किया जाता है।

ये जानना जरुरी-

टेंडर काल करने के बाद अगर पुराना एसओआर है तो ज्यादा रेट आएगा। करेंट एसओआर है तो वह बिलो भी आ सकता है। मान लेते हैं 10 फीसदी रेट बिला आया है। अगर राज्य सरकार ने काम की स्वीकृति दे दी तो यह शर्त भी जोड़ती है कि बिलो रेट आया है 10 करोड़ का काम है तो राज्य सरकार उसे 9 करोड़ में करके देने की शर्त ठेकेदार के सामने रखती है। साथ ही राज्य सरकार रिवाइज्ड प्रशासकीय स्वीकृति भी देती है। इसी टेंडर में अगर रेट 10 ज्यादा आया तो स्वीकृति देने की स्थिति में राज्य सरकार प्रशासकीय स्वीकृति देने के साथ ही ठेकेदार को 11 करोड़ में काम पूरा करके देने कहती है।

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