CG News: उम्रभर अनुसूचित क्षेत्र में दी सेवा, रिटायरमेंट से पहले हुआ ट्रांसफर, हाई कोर्ट ने शासन से पूछा सवाल

चिकित्सा क्षेत्र में कार्य करने वाले चिकित्सकों का रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष है। एक ऐसे भी चिकित्सक हैं जिन्होंने रिटारयमेंट के तीन साल पहले तक अनुसूचित क्षेत्र में नौकरी की। रिटायरमेंट के ठीक तीन साल पहले सामान्य क्षेत्र में तबादला किया गया था। एक बार फिर अनुसूचित क्षेत्र में तबादला कर दिया गया। डिप्टी डायरेक्टर डॉ तनवीर अहमद ने अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी व नरेंद्र मेहेर के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तबादला आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने कुछ इस तरह का फैसला सुनाया है।

Update: 2025-06-07 07:02 GMT

Bilaspur High Court

बिलासपुर। बलरामपुर रामानुजगंज जिले के पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग में उप संचालक के पद पर पदस्थ डॉक्टर तनवीर अहमद का स्थानांतरण जिला बलरामपुर रामानुजगंज से जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर कर दिया गया। शासन के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य शासन को वरिष्ठ सचिवों की कमेटी गठित करने और इस पर निर्णय लेने का आदेश दिया है। तब तक स्थानांतरण आदेश पर कोर्ट ने रोक लगा दी है।

जिला बलरामपुर रामानुजगंज के पशु चिकित्सा विभाग में उप संचालक के पद पर पदस्थ डॉक्टर तनवीर अहमद ने राज्य शासन के तबादला आदेश को चुनौती देते हुए अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता सिद्धीकी ने शासन के नियमों का हवाला देते हुए बताया कि चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत शासकीय चिकित्सकों के लिए रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष रखा गया है। याचिकाकर्ता की उम्र 63 वर्ष है। इसके अलावा वे दिल के मरीज हैं। अधिवक्ता सिद्धीकी ने बताया कि राज्य शासन ने याचिकाकर्ता के मामले में अपने ही बनाए नियमों और सर्कुलर का सीधेतौर पर उल्लंघन कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने याचिकाकर्ता का स्थानांतरण बलरामपुर रामानुजगंज से मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर कर दिया है। यह जिला अनुसूचित क्षेत्र है। राज्य शासन द्वारा 3 जून 2015 को जारी नियमों का हवाला देते हुए अधिवक्ता सिद्धीकी ने बताया कि सुर्कुलर में दिए गए प्रावधान के अनुसार 55 वर्ष से अधिक के कर्मचारियों को यथासंभव दुर्गम अनुसूची क्षेत्र में पदस्थापना से मुक्त रखने का उल्लेख है।

प्रथम नियुक्ति के समय कर्मचारियों को दुर्गम अनुसूचित क्षेत्र में कम से कम दो वर्ष के लिए अथवा सामान्य अनुसूची क्षेत्र में काम से कम 3 वर्ष के लिए पदस्थापना का स्पष्ट नियम है। जारी सर्कुलर में यह भी लिखा है कि शासकीय सेवक द्वारा अनुसूचित क्षेत्र में की गई सेवा अवधि के अनुसार उसकी पदस्थापना गैर अनुसूचित क्षेत्र में करने पर विचार किया जाएगा। स्पष्ट नियम व निर्देश के बाद भी याचिकाकर्ता के प्रकरण में विभागीय अफसरों ने नियमों का सीधेतौर पर उल्लंघन कर दिया है। याचिकाकर्ता द्वारा अनुसूचित क्षेत्र में की गई सेवाओं को राज्य सरकार ने ध्यान नहीं दिया।

पूरी सेवाएं अनुसूचित क्षेत्र, रिटायरमेंट के करीब आते ही एक बार फिर तबादला-

अधिवक्ता सिद्धीकी ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता का सर्विस रिकार्ड में अब तक पूरी सेवाएं उन्होंने अनुसूचित क्षेत्र में ही की है। याचिकाकर्ता पूर्व में अनुसूचित क्षेत्र में 63 वर्षों तक काम कर चुका है, याचिकाकर्ता की सेवाएं वर्तमान पदस्थापना स्थल पर मात्र 2 वर्ष की सेवा ही वे कर पाए हैं। अधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी शिक्षिका एलबी हैं और जिला सरगुजा में पदस्थ है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने विभाग के समक्ष पांच दिनों के भीतरअभ्यावेदन पेश करने कहा है। अभ्यावेदन का 15 दिनों के भीतर निराकरण करने का आदेश राज्य शासन को दिया है।

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