CG Land Scam: पावर कंपनी की अर्जी कलेक्टर ने खारिज कर दी...हुआ करोड़ों का मुआवजा कांड, 68 पेज की जांच रिपोर्ट से कलेक्टर के फैसले की धज्जियां उड़ी...
CG Land Scam: छत्तीसगढ़ के गारे पेलमा कोल ब्लॉक के मुआवजे में करोड़ों का खेला हुआ है, उसे अगर कलेक्टर ने राज्य सरकार की पावर जेनरेशन कंपनी की अपील पर सही निर्णय दिया होता तो सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना नहीं लगा होता। खबर के नीचे देखिए कलेक्टर का फैसला, जिसमें उन्होंने मुआवजे के लिए किए गए एसडीएम के मूल्यांकन को विधि सम्मत और त्रुटि रहित करार दिया था। मगर राज्य स्तरीय जांच कमेटी ने हालांकि कलेक्टर के फैसले की धज्जियां उड़ा दी है।
CG Land Scam
CG Land Scam: रायपुर। एक तरह से कहें तो गारे पेलमा कोल ब्लॉक का मुआवजा कांड कलेक्टर, एसडीएम और पावर जेनरेशन कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत रही। एसडीएम ने 478 करोड़ का अवार्ड पारित किया। उसके खिलाफ पावर जेनरेशन कंपनी के कार्यपालन अभियंता ने कलेक्टर के पास अपील की। कलेक्टर का नीचे देखिए अगस्त 2021 का आदेश, उन्होंने एसडीएम के फैसले को साफ तौर पर त्रुटि रहित करार दिया। पावर जेनरेशन कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत इसलिए कह सकते हैं कि एसडीएम ने मुआवजा के लिए अनाप-शनाप रेट तय किया मगर कलेक्टर के फैसले के बाद जेनरेशन कंपनी के अधिकारियों ने तुरंत पैसे एसडीएम के पास जमा करा दिया। जबकि, छत्तीसगढ़ में बिजली विभाग हमेशा मुख्यमंत्री के पास रहता है। बिजली विभाग के अधिकारी कलेक्टर और एसडीएम की कारस्तानियों की जानकारी मुख्यमंत्री को दी होती तो हो सकता था कि इस पर एक्शन होता और सरकारी खजाने का करोड़ों रुपए बच जाता।
छत्तीसगढ़ सरकार की बिजली परियोजना के लिए भारत सरकार ने रायगढ़ जिले घड़घोड़ा ब्लॉक के गारे पेलमा में कोल ब्लॉक आबंटित किया था। घड़घोड़ा एसडीएम अशोक कुमार मार्बल ने किसानों से अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के एवज में मुआवजे के लिए 30 जनवरी 2021 को 478 करोड़ रुपए का अवार्ड पारित किया। इसके बाद भूअर्जन की प्रक्रिया शुरू हुई।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, एसडीएम समेत राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने कागजों में करोड़ों रुपए का मुआवजा बांट डाला। खेतों में मजदूरों के लिए बनाई गई झोपड़ियों को मार्बल, ग्रेनाइट लगी हेवली शो कर करोड़ों रुपए का बंदरबांट कर किया गया। सरकारी खजाने को चूना लगाने के लिए मेड़ों पर धान की खेती कर बर्जर भूमि को उपजाउ बना दिया। जिस इलाके में एक भी पेड़ नहीं, वहां सागौन जैसे महंगे पेड़ दिखाकर पैसे लूटे गए।
एसडीएम सस्पेंड
मुआवजे की बंदरबांट की राज्य की बिजली जेनरेशन कंपनी ने कलेक्टर से शिकायत की तो तत्कालीन कलेक्टर ने शिकायत को खारिज कर दिया। इसके बाद बिजली कंपनी कमिश्नर के पास अपील की। कमिश्नर के जरिये ये मामला राज्य सरकार के पास पहुंचा। अगस्त 2023 में इस केस को सरकार ने जांच के लिए कमेटी गठित की। राज्य सरकार के निर्देश पर कमिश्नर लैंड रेवेन्यू की कमेटी ने इसकी जांच की। राज्य स्तरीय जांच दल ने 13 सह जांच टीम बनाई। महीने भर की मशक्कत के बाद कमेटी ने मई 2024 को 68 पेज की रिपोर्ट राजस्व विभाग को सौंपी। इसके बाद 5 जून को सरकार ने तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार मार्बल को सस्पेंड कर दिया।
एक साल तक कोई कार्रवाई नहीं
जांच कमेटी ने मई 2024 में राजस्व विभाग को 68 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंप दी थी। मगर राजस्व विभाग इसे दबाए बैठा रहा। एनपीजी न्यूज की खबर के बाद मामला जब सरकार की नोटिस में आई तो 5 जून की डेट में तत्कालीन एसडीएम अशोक मार्बल को सस्पेंड किया गया। मगर निलंबन आदेश को भी 10 दिन तक दबा दिया गया।
कलेक्टरों का बेहद प्रिय
घड़घोड़ा के एसडीएम अशोक मार्बल छत्तीसगढ़ के कलेक्टरों के इतने प्रिय रहे कि तहसीलदार से प्रमोट होने के बाद वहीं पर उसे एसडीएम की कुर्सी सौंप दी गई। मार्बल वहां चार साल से अधिक समय तक एसडीएम रहे। मई 2020 में राज्य सरकार ने ट्रांसफर किया तो हाई कोर्ट से स्टे ले आए। उसके बाद भी वे 7 जून 2022 तक एसडीएम बने रहे। इस दौरान रायगढ़ के कलेक्टरों की उन पर जमकर कृपा बरसती रही। हालांकि, मुआवजा वितरण में कलेक्टर की भूमिका नहीं होती मगर जिले का मुखिया होने के कारण उसे अपने मातहतों पर नजर रखने का कर्तव्य तो बनता है। फिर एक कलेक्टर ने तो बिजली कंपनी की गलत मुआवजा बांटने की शिकायत खारिज कर दी।
एक्सक्लूजिव जांच रिपोर्ट
एनपीजी न्यूज के पास 68 पेज की जांच रिपोर्ट है। पीडीएफ ओपन कर आप भी इसे पढ़िये कि किस तरह सरकारी खजाने को चूना लगाया गया। छोटे-छोटे किसानों को दो-दो करोड़ रुपए बांट दिए गए। कहीं बड़े खेतों को छोटे टुकड़ों में बदल दिया गया तो कहीं खाली खेतों में कागजों में महल बता दिया गया।