CG Higher Education: उच्च शिक्षा विभाग में जारी है अटैचमेंट का खेला: कालेजों में पढ़ना छोड़, जुगाड़ के जरिए प्रशासनिक पदों पर हैं काबिज
Higher Education: उच्च शिक्षा विभाग में अलग ही खिचड़ी पक रही है। कई प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक ऐसे भी हैं जो जुगाड़ में ज्यादा भरोसा रखते हैं और इसी तर्ज पर कालेजों में पढ़ाना और रिसर्च करना छोड़ प्रशासनिक पदों पर बैठे हैं। उच्च शिक्षा के आला अफसर अपने ही बनाए नियमों की ना केवल धज्जियां उड़ा रहे हैं।
CG Higher Education: रायपुर। उच्च शिक्षा में बैठे आला अधिकारी अपनी अलग खिचड़ी पका रहे हैं। राज्य शासन के दिशा निर्देशों की धज्जियां उड़ाते अपनों को नियमों के विपरीत उपकृत भी कर रहे हैं। कालेजों में अध्ययन अध्यापन व शोध कार्य करने के बजाय कई ऐसे भी प्राध्यापक व सहायक प्राध्यपक हैं जो प्रशासनिक पदों पर बैठे हैं। यह सब अटैचमेंट और डेपुटेशन का खेल खेल रहे हैं। नई स्थानांतरण नीति जारी करने के साथ ही राज्य शासन ने सभी विभागों से अटैचमेंट को खत्म करने का निर्देश भी जारी कर दिया है। लगता है उच्च शिक्षा विभाग राज्य सरकार के इस आदेश से परे है,तभी तो यहां अब भी अटैचमेंट का खेल जारी है।
उच्च शिक्षा विभाग में बैठे आला अधिकारी कैसे अपनो को उपकृत करने और दूसरों को खो करने में ज्यादा भरोसा करते हैं,इसका ताजा उदाहरण भी सामने आया है। उच्च शिक्षा विभाग ने 5 दिसंबर 2012 को एक आदेश जारी किया था,यह आदेश आज भी प्रभावशील है। इसके अनुसार 62 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके प्राध्यापकों, सहायक प्राध्यापकों एवं प्राचार्य को प्रशासनिक पदों पर पदस्थ नहीं किया जा सकता है।
इस आदेश के मद्देनजर उच्च शिक्षा संचालनालय में अपर संचालक के पद पर पदस्थ रहे डॉ. एच.पी. खैरवार, जो कि पीजी प्रिंसिपल है, को 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने के कारण उच्च शिक्षा विभाग ने 4 जुलाई 2025 को आदेश जारी कर उच्च शिक्षा संचालनालय में अपर संचालक के पद से हटाकर शासकीय एमएमआर. पीजी महाविद्यालय, जांजगीर-चांपा में प्राचार्य के पद पर पदस्थ कर दिया गया है। उन्हें उच्च शिक्षा संचालनालय में अतिरिक्त प्रभार फिर से नहीं दिया गया है। खैरवार के मामले में विभागीय अधिकारियों ने शासन के आदेश का हवाला दिया और उनको कालेज के लिए रिलीव कर दिया। अफसरों का दोहरा मापदंड देखिए। इसी आदेश के तहत राजलक्ष्मी सेलट को 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने के कारण स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम महाविद्यालय, अटारी जिला-रायपुर के लिए पदस्थापना आदेश जारी कर दिया। इस आदेश के ठीक एक सप्ताह बाद उनको फिर से उच्च शिक्षा विभाग, मंत्रालय में OSD का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है। हायर एजुकेशन से जुड़े प्राध्यापक,सहायक प्राध्यापक से लेकर शैक्षणिक संस्थान के लोग इस आदेश का कारण खोजने में लगे हुए हैं। आखिर ऐसा कौन सा कारण है कि राज्य शासन के आदेश की अफसर धज्जियां उड़ा रहे हैं।
नियुक्ति के बाद कालेज जाने के बजाय पहुंच गए संचालनालय
उच्च शिक्षा संचालनालय में कुछ ऐसे सहायक प्राध्यापकों को भी अटैच किया गया है, जिनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त नहीं हुई है। अचरज की बात ये कि नियुक्ति के बाद महाविद्यालय में शैक्षणिक एवं शोध कार्य करने के बजाय संचालनालय में गैर शैक्षणिक कार्य में संलग्न कर दिया गया है या फिर ये खुद ही अटैचमेंट का जुगाड़ लगा लिए हैं।
प्रशासनिक पदों पर काबिज हैं प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक
उच्च शिक्षा संचालनालय में सहायक संचालक, उप संचालक, संयुक्त संचालक और अपर संचालक के पदों पर महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक, प्राध्यापक और प्राचार्य वर्षों से जमे हुए हैं। नियमानुसार ये सभी प्रशासनिक पद है। इन पदों पर प्रशासनिक अधिकारियों को ही पदस्थ किया जाना चाहिए। जिससे कि महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापकों, प्राध्यापकों और प्राचार्य की कमी ना हो और महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को बेहतर गुणवत्ता के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मापदंडों के अनुसार शिक्षा प्राप्त हो सके।