CG Education News: समर कैंप के नाम पर वसूली तो नहीं! स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव के आदेश का बदल डाला स्वरुप, शिक्षकों का अपना तर्क

CG Education News: छत्तीसगढ़ में पहली बार शासकीय स्कूलों के बच्चों के लिए समर कैंप का आयोजन किया जा रहा है और इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिध्दार्थ कोमल परदेशी ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर स्पष्ट निर्देश भी जारी किया।

Update: 2024-05-16 15:51 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहली बार शासकीय स्कूलों के बच्चों के लिए समर कैंप का आयोजन किया जा रहा है और इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिध्दार्थ कोमल परदेशी ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर स्पष्ट निर्देश भी जारी किया। जिसमें पूरी व्यवस्था सहयोगात्मक रूप से करने की बात कही और यहां तक स्पष्ट किया की आयोजन करने से पहले शिक्षक पालक की समिति की सहमति ली जाए लेकिन आश्चर्यजनक रूप से नीचे पहुंचते पहुंचते जारी होने वाले आदेशों में से यह बिंदु गायब हो गया और इसकी जगह आदेशात्मक लहजे का प्रयोग होने लगा और सीधे तौर पर समर कैंप के आयोजन का स्वरूप ही बदलने लगा ।

सचिव सिध्दार्थ कोमल परदेशी ने जब कलेक्टरों को पत्र लिखा तो इसका विरोध किसी भी शिक्षक संगठन या ग्रुप में नहीं किया और सोशल मीडिया ग्रुप में भी इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया भी नहीं आई। लेकिन जिस प्रकार से ब्लॉक और जिला स्तर पर आदेशात्मक बिंदुओं का प्रयोग हुआ वह अब शिक्षकों को नागवार गुजर रहा है और इसके पीछे उनका अपना तर्क भी है। दरअसल सचिव ने पूरी स्थिति को समझते हुए समर कैंप को सहयोगात्मक रवैया से संपन्न कराने की बात कही थी और यह भी स्पष्ट किया था कि इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग से कोई बजट खर्च नहीं किया जाएगा ताकि राज्य सरकार के ऊपर कोई आर्थिक भार न आए लेकिन नीचे पहुंचते पहुंचते आदेशों में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु ही गायब हो गया और इसे लेकर जो आरोप लग रहे हैं वह इस बात के है की इसकी आड़ में निचले स्तर के अधिकारी वसूली का जरिया तलाश रहे हैं।

क्या है शिक्षकों का अपना तर्क

ये आदेश उन शिक्षकों के लिए तकलीफदायक है, जिनका कोई एप्रोच नहीं होने के कारण वे अपने गृह जिलों या अपने शहर में ट्रांसफर नहीं करा सके हैं। वे दूरस्थ इलाकों में पोस्टेड हैं। विकासखंड स्तर पर जो आदेश जारी हो रहे हैं उसमें शिक्षकों को तत्काल मुख्यालय पहुंचने के लिए आदेशित किया गया है और सभी शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है स्वाभाविक बात है कि जो शिक्षक वहां उपस्थित नहीं रहेंगे उन्हें कार्रवाई से बचाने के नाम पर वसूली का रास्ता निकल जाएगा। दरअसल समर कैंप महज 2 घंटे का है जिसमें अलग-अलग विद्या अलग-अलग दिन सिखाई जानी है और यह स्वैच्छिक भी है यानी जिन बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे वही समर कैंप अटेंड करेंगे ऐसे में सभी शिक्षकों को अनिवार्य रूप से स्कूल में उपस्थिती के लिए बाध्य करने का कोई तुक भी नही है और संस्था प्रमुख और शिक्षक मिलकर अपनी व्यवस्था के तहत इसे संपन्न कर सकते थे जैसा कि उन्होंने योजना भी बनाया था लेकिन अब उनकी योजना पर निचले स्तर के अधिकारी दमनात्मक रवैये के जरिए पानी फेरने में जुट गए हैं और कासाबेल विकासखंड से जारी हुए आदेश के साथ ही इस प्रकार की बातें अब सोशल मीडिया में तेजी से शेयर हो रही है और शिक्षकों की कड़ी प्रतिक्रियाएं आ रही है। अब देखना होगा कि उच्च कार्यालय इस पर किस प्रकार संज्ञान लेते हैं ।

Tags:    

Similar News