CG Crime News: रायपुर मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के नाम पर 55 लाख की रिश्वत, CBI ने 6 आरोपी डॉक्टरों को रिमांड पर लिया
मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने और सीट बढ़ाने के नाम से रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआई ने एक दिन पहले छापा मार कर 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपियों में से तीन मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के डॉक्टर हैं। गिरफ्तार सभी आरोपियों को सीबीआई कोर्ट में पेश कर सीबीआई ने 5 दिन की रिमांड ली है। सभी आरोपियों से वीआईपी रोड़ स्थित सीबीआई कार्यालय में पूछताछ की जाएगी। पूछताछ में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है
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रायपुर। रावतपुरा सरकार आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान (एसआरआईएमएसआर) को मान्यता दिलाने और सीटे बढ़ाने के नाम पर 55 लाख की रिश्वत लेने वाले 6 आरोपियों के रैकेट को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपियों को रायपुर सीबीआई कोर्ट में पेश कर पूछताछ के लिए 5 दिनों की रिमांड ली गई है। गिरफ्तार छह आरोपियों में से तीन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य डॉक्टर है। गिरफ्तार आरोपियों से वीआईपी रोड स्थित सीबीआई के दफ्तर में पूछताछ की जाएगी।
मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाए जाने को लेकर देशभर के विभिन्न निजी कॉलेजों में लेनदेन करने की शिकायत सीबीआई को मिली थी। मिले इनपुट के आधार पर सीबीआई ने एक दिन पहले ही छत्तीसगढ़ समेत मध्यप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तरप्रदेश के विभिन्न शहरों में छापेमारी की। साथ ही रायपुर और बेंगलूरु में छापेमारी कर आरोपियों को गिरफ्तार किया और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए।
गिरफ्तार आरोपियों में कर्नाटक स्थित मंड्या इस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के प्रोफेसर डॉ. मंजुप्पा सीएन, डॉ चैत्रा एमएस (निरीक्षण टीम की सदस्य) डॉ अशोक शैलके, रावतपुरा सरकार के निदेशक अतुल कुमार, सतीश ए और के रविचंद्र शामिल हैं। गिरफ्तार किए गए छह आरोपियों में से 3 मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से संबद्ध डॉक्टर हैं। उक्त सभी को गिरफ्तार करने के बाद सभी को सीबीआई कोर्ट में पेश कर पांच दिन का रिमांड सीबीआई ने लिया है। इनसे सीबीआई दफ्तर वीआईपी रोड रायपुर में पूछताछ की जाएगी।
यह है मामला-
सीबीआई के अनुसार एनएमसी द्वारा नामित 4 मूल्यांकनकर्ताओं वाली निरीक्षण टीम 30 जून 2025 को एसआरआईएमएसआर रायपुर में निरीक्षण के लिए पहुंची। इस दौरान निरीक्षण दल के सभी 4 सदस्यों ने एसआरआईएमएसआर के निदेशक अतुल कुमार तिवारी के साथ गोपनीय बैठक की। साथ ही कॉलेज को मान्यता देने और सीटे 150 से 250 करने के एवज में अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट जारी करने के लिए सौदा हुआ था। इसमें से करोड़ो रुपए की रिश्वत का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने की जानकारी भी मिली है। यह सारा कुछ फोन पर डील किया गया था।
मान्यता दिलाने और सीटे बढ़ाने के नाम पर 1 करोड़ 62 लाख रुपए पहले ही दिए जाने की जानकारी मिली है। ओके रिपोर्ट देने के नाम पर 55 लाख रुपए की दूसरी किस्त दी जा रही थी। यह रकम बेंगलूरु के डॉ. रविंद्र और सतीश को दिए गए थे। सीबीआई ने छापेमारी कर 16.62 लाख रुपए डॉ. चैत्रा के पति रविंद्रन के पास से और 38.38 लाख रुपए सतीश ए. के पास से बरामद करने का दावा किया गया है।
मेडिकल कॉलेज मान्यता देने के लिए गठित टीम के डॉक्टरों और अफसरों ने कॉलेज प्रबंधन से मिलीभगत कर निरीक्षण टीम की जानकारी पहले लीक कर दी थी। इसके बाद मेडिकल कॉलेजों ने घोस्ट फैकल्टी, नकली मरीज और फर्जी उपस्थिति जैसे फॉर्मूले अपनाकर निरीक्षण को अनुकूल दिखाया। इसी फर्जीवाडे़ के एवज में निरीक्षण टीम को रिश्वत दी गई।