Bilaspur News: गांजा तस्करी का खेल, GRP के कांस्टेबलों के बैंक अकाउंट में करोड़ों का ट्रांजेक्शन
Bilaspur News: छत्तीसगढ़ में नशे के सामान की हो रही तस्करी और हेरा फेरी में क़ानून के रखवालों ने भी हाथ काला कर लिया है. ट्रेन के जरिये हो रही गांजे की तस्करी में जीआरपी के चार कांस्टेबलों की संलिप्तता सामने आई है. बैंक खाते में करोड़ों के लेनदेन का भी खुलासा हुआ है. चारों कांस्टेबल के खिलाफ फायनेंशियल इन्वेस्टिगेशन शुरू हो गया है.
Bilaspur News: बिलासपुर. गांजा की हेराफेरी में शामिल जीआरपी के चार आरक्षकों के खिलाफ financial investigation वित्तीय जांच व आय के श्रोत संबंधी जांच शुरू हो गई है। पुलिस अपने स्तर पर. तस्करी में संलिप्त आरक्षकों की संपत्ति की जांच कर रही है। प्रारम्भिक जांच मेबिह बात भी सामने आई है कि बीते कुछ सालों में उनके खातों से तीन करोड़ रुपए से अधिक का लेनदेन किया गया है. यह इतनी बड़ी रकम है कि कांस्टेबलों की सालाना आय से कई गुना ज्यादा है। जाँच अफसर भी इस बात को लेकर हैरान है क़ि इतनी बड़ी रकम किस माध्यम से इनके बैंक खतों में पहुंचता रहा है. जीआरपी में पदस्थ चारों जवान लक्ष्मण गइन, संतोष राठौर, सौरभ नागवंशी और मन्नू प्रजापति रेल एसपी के एंटी क्राइम यूनिट में थे।
0 ये थी इनकी ड्यूटी
ट्रेनों में होने वाली तस्करी, अपराध आदि पर लगाम लगाने इनको जिम्मेदारी दी गई थी.
0 इस तरह कर रहे थे गोलमाल
पद और रुतबे की आड़ में गांजा तस्करों को पकड़ने के बाद उनसे जब्त माल दूसरों को सप्लाई. कर रहे थे. तस्करों के खिलाफ बनाए गए प्रकरणों में गांजा की मात्रा कम बता कर बड़ी मात्रा में खुद ही तस्करी कर रहे थे.
0 रातभर सिविल लाइन थाने में होती रही पूछताछ
तस्करी के आरोपी कांस्टेबलों को पकड़ने के बाद पूरी रात सिविल लाइन थाने में रखकर पूछताछ करते रहे. दूसरे दिन शाम को कोर्ट में पेश कर दो लोगों को जेल दाखिल किया व दो को रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की गई। दूसरे दिन. दोनों आरक्षकों को भी जेल भेज दिया. इस पूरे मामले में पुलिस गोपनीयता के साथ ही अतिरिक्त सतर्कर्ता बरतते दिख रही है. कारण भी साफ़ है , महकमे की भद पिट रही है.
0. तस्करी का बड़ा चैनल
आरक्षक ट्रेनों में चढ़ते समय अपने साथ बाहरी भरोसेमंद लोगों को भी ले जाते थे। यही तस्करी के चैनल में साथ दिया करते थे. गांजा मिलने पर यही भरोसेमंद आधा माल लेकर ट्रेन से उतर जाते थे। फिर उसे सायरन व हूटर लगी पुलिस विभाग की तरह दिखने वाली एसयूवी कार से डीलर तक पहुंचाने का काम करते थे.
0 कहीं ये खाकी भी तो नहीं है राजदार
गांजा तस्करी के इस खेल और रैकेट में जिला पुलिस और क्राइम ब्रांच के जवानों की संलिप्तता की संभावना भी जाँच अफसर तलाश रहे है.