Bilaspur High Court: याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट में यह क्यों कहना पड़ा, कलेक्टर कर रहे हैं संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन
CG के एक कलेक्टर के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में कहा कि निविदा शुल्क की वापसी ना कर कलेक्टर संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन कर रहे हैं। दरअसल याचिकाकर्ता ने रेल खनन के लिए तय निविदा शुल्क जमा किया था। इसके बाद ठेके की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाए। नियमानुसार शुल्क की वापसी करनी है। जिला प्रशासन शुल्क की वापसी नहीं कर रहा है। पढ़िए हाई कोर्ट ने कलेक्टर को क्या निर्देश दिया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने रेत खनन निविदा शुल्क की वापसी के मामले में जिला कलेक्टर को निर्देश दिया
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रेत खनन पट्टों की नीलामी प्रक्रिया में निविदा शुल्क की वापसी को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बलौदाबाजार भाटापारा के कलेक्टर को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ताओं द्वारा जमा किए शुल्क की वापसी पर नियमानुसार कार्रवाई करने व याचिकाकर्ताओं को कलेक्टर के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने कहा है। कोर्ट ने कलेक्टर को चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता अभिजीत फ़्रेंकलिन, रीना तिवारी, अंकित तिवारी, अरविन्द कुमार सिंह एवं अहमेन्द्र बलियर ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीक़ एवं आधिवक्ता आभ्युदाय त्रिपाठी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। दायर याचिका में कहा है कि रेत खनन निविदा प्रक्रिया में भाग नहीं लेने के बावजूद शुल्क की वापसी के लिए दिए गए आवेदन पर कार्रवाई नहीं होने के चलते उच्च न्यायालय ने जिला कलेक्टर, बलौदाबाजार-भाटापारा को चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
मामला 11 अप्रैल 2023 से जुड़ा है, जब जिला कलेक्टर कार्यालय (खनिज शाखा) द्वारा रेत खनन पट्टों के आवंटन के लिए एक सार्वजनिक सूचना जारी की गई थी। यह आवंटन छत्तीसगढ़ लघु खनिज साधारण रेत (अन्वेषण और व्यापार) नियम 2019 के तहत रिवर्स नीलामी प्रक्रिया द्वारा किया जाना था। नीलामी 4 मई से 10 मई 2023 तक आयोजित की जानी थी, और पांच खनन क्षेत्रों—पिकारी, चंगोरी, रिवादीह, अमलडीहा, और दतान—के लिए बोलीदाताओं को प्रति क्षेत्र 10 हजार रुपये का निविदा शुल्क जमा करना था।
याचिकाकर्ता ने 6 मई 2023 को पांचों क्षेत्रों के लिए कुल 50 हजार रुपये का निविदा शुल्क जमा किया था। लेकिन अपरिहार्य कारणों से वह नीलामी प्रक्रिया में भाग नहीं ले सके। इसके बावजूद, जमा की गई राशि की वापसी नहीं की गई। इसके चलते याचिकाकर्ता ने 17 जुलाई 2023 को कलेक्टर कार्यालय को निविदा शुल्क की वापसी के लिए अभ्यावेदन दिया था, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला।
प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के खिलाफ है यह कार्रवाई
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सिद्धीकी ने कोर्ट के समक्ष तर्क पेश करते हुए कहा कि निविदा प्रक्रिया में भाग नहीं लेने के बावजूद शुल्क की वापसी करने के बजाय इसे रोकना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। यह प्रतिवादी के लिए अन्यायपूर्ण लाभ की स्थिति उत्पन्न करता है। साथ ही, उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया, जो राज्य के कार्यों में निष्पक्षता और गैर-मनमानी की गारंटी देता है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कलेक्टर बलौदाबाजार-भाटापारा को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले का निराकरण करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कलेक्टर के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने कहा है। अभ्यावेदन पर कलेक्टर को कार्रवाई करनी है।