Bilaspur High Court News: छत्तीसगढ़ की नदियों का संरक्षण: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार ने मांगा ठोस प्लान
Bilaspur High Court News: छत्तीसगढ़ की नदियों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से ठोस प्लान पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने समयबद्ध कार्यक्रम की जानकारी भी मांगी है, जिसके जरिए नदियों के संरक्षण को लेकर गंभीरता के साथ काम किया जा सके। अरपा नदी के उद्गम स्थल के आसपास की निजी भूमि के अधिग्रहण और भू अर्जन को लेकर जरुरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।
CG Ki Nadiyon Ka Sanrakshan: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की नदियों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से ठोस प्लान पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने समयबद्ध कार्यक्रम की जानकारी भी मांगी है, जिसके जरिए नदियों के संरक्षण को लेकर गंभीरता के साथ काम किया जा सके। अरपा नदी के उद्गम स्थल के आसपास की निजी भूमि के अधिग्रहण और भू अर्जन को लेकर जरुरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।
छत्तीसगढ़ की नदियों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जरुरी रिपोर्ट पेश करने कहा है। कोरबा की लीलागर, गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की सोनपन व तिपान नदी के अलावा बिलासपुर की अरपा नदी के उद्गम स्थल की सुरक्षा और पुनर्जीवन को लेकर हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। जनहित याचिका की बीते सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से शपथ पत्र के साथ जानकारी मांगी थी।
कोर्ट के निर्देश पर राज्य शासन ने शपथ पत्र पेश करते हुए नदियों के संरक्षण और उद्गम स्थल के सुरक्षा को लेकर किए जा रहे जरुरी उपाय के संबंध में जानकारी दी। राज्य शासन ने समिति बनाने की भी जानकारी दी है। डिवीजन बेंच ने कहा कि समिति बना देने और बैठकें कर लेने से ही आदेश का परिपालन नहीं हो जाता। नदियों के संरक्षण के लिए धरातल पर ठोस काम होते दिखाई देनी चाहिए। बेंच ने कहा कि समयबद्ध और ठोस वर्कप्लान की जानकारी राज्य सरकार को देनी होगी।
जल संसाधन विभाग के सचिव ने पेश की जानकारी
हाई कोर्ट के निर्देश पर जल संसाधन विभाग के सचिव ने शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश की। कोरबा और गौरेला,पेंड्रा,मरवाही के कलेक्टर्स ने नदियों के संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। जल संसाधन विभाग के सचिव ने पेश शपथ पत्र में कोर्ट को जानकारी दी कि तीनों नदियों के उद्गम की पहचान करने और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए राजस्व, पंचायत, वन, खनिज, जल संसाधन और नगर पालिका अधिकारियों की संयुक्त उप समितियां गठित की गई है।गौरेला,पेंड्रा,मरवाही जिले में 22 नवंबर को समिति की बैठक आयोजित की गई थी।
बेंच ने न्यायमित्रों से मांगे सुझाव
मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने न्याय मित्रों के अलावा याचिकाकर्ता और राज्य सरकार से सुझाव मांगे, पूछा कि नदियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए किन-किन विशेषज्ञों को शामिल किया जाना चाहिए। डिवीजन बेंच ने तकनीकी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, पर्यावरणविद, भू-गर्भ शास्त्री और अन्य अनुभवी व्यक्तियों को शामिल कर राज्य की सभी नदियों के संरक्षण और पुनर्जीवन की एक व्यापक योजना बनाने की बात कही।
हाई कोर्ट ने मांगी ये जानकारी
. नदी की उत्पत्ति की पहचान किस चरण में है?
. अब तक जमीन पर क्या काम हुआ?
. पुनर्जीवन के लिए क्या कार्रवाई की गई या प्रस्तावित है?