Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने कहा- बीआरसी का पद अधिकार नहीं, केवल योजना के तहत एक अतिरिक्त प्रभार है...
Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने कलेक्टर द्बारा बीआरसी को पद से हटाने के खिलाफ पेश याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि बीआरसी का पद कोई स्थायी पद नहीं है; यह केवल योजना के तहत एक अतिरिक्त प्रभार है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। हाईकोर्ट ने कलेक्टर द्बारा बीआरसी को पद से हटाने के खिलाफ पेश याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि बीआरसी का पद कोई स्थायी पद नहीं है; यह केवल योजना के तहत एक अतिरिक्त प्रभार है। याचिकाकर्ता के पास ऐसे अतिरिक्त प्रभार पर बने रहने का कोई निहित या कानूनी रूप से लागू करने योग्य अधिकार नहीं है। कलेक्टर-सह-जिला मिशन निदेशक विधिवत आदेश जारी करने अधिकृत हैं। बाद में हुए प्रमोशन और बदली हुई वास्तविक परिस्थितियों के कारण याचिका निष्प्रभावी हो जाती है।
याचिकाकर्ता रामकपुर कुर्रे को 23. मार्च .2021 को हेडमास्टर, मिडिल स्कूल के पद पर पदोन्नत किया गया था। पदोन्नति से पहले, प्रशासनिक आवश्यकताओं के कारण, उन्हें 07. दिसंबर को ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर, ग्रामीण कोरबा के कर्तव्यों का अस्थायी रूप से कार्यभार सौंपा गया था। नियमों के तहत ब्लॉक कोऑर्डिनेटर का प्रभार हेडमास्टर के पद पर कार्यरत अधिकारी को सौंपना ज़रूरी है।
अर्बन कोरबा, जिला कोरबा में ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, उन्होंने कार्यालय में पदस्थ एक संविदा महिला लेखा पाल के खिलाफ जिला शिक्षा अधिकारी से कार्य नहीं करने एवं कार्यालय से नदारत रहने की शिकायत की थी। उसकी शिकायत में कार्रवाई करने के बजाया कलेक्टर सह समग्र शिक्षा मिशन के निदेशक कोरबा ने याचिकाकर्ता को 05.दिसंबर.2022 को एक आदेश जारी कर बीआरसी के पद से हटाते हुए सरकारी मिडिल स्कूल, कोरकोना में हेडमास्टर के पद में पदस्थ करने का आदेश जारी किया। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी।
याचिका में जस्टिस एके प्रसाद की कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई उपरांत कोर्ट ने बीआरसी का पद कोई स्थायी पद नहीं है; यह केवल योजना के तहत एक अतिरिक्त प्रभार है। याचिकाकर्ता के पास ऐसे अतिरिक्त प्रभार पर बने रहने का कोई निहित या कानूनी रूप से लागू करने योग्य अधिकार नहीं है। कलेक्टर-सह-जिला मिशन निदेशक विधिवत आदेश जारी करने अधिकृत हैं। बाद में हुए प्रमोशन और बदली हुई वास्तविक परिस्थितियों के कारण याचिका निष्प्रभावी हो जाती है। इसके साथ याचिका को खारिज किया है।