Bilaspur High Court- कर्मचारी हित में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का किया है जिक्र...

Bilaspur High Court-बिलासपुर हाई कोर्ट ने रिटायर कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई के बाद महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच का यह फैसला कर्मचारियों को राहत देने के साथ ही उनके हित में है। पढ़िए कोर्ट ने अपने फैसले में क्या लिखा है।

Update: 2025-04-26 08:01 GMT
Bilaspur High Court- कर्मचारी हित में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का किया है जिक्र...
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Bilaspur High Court-बिलासपुर। एशिया के सबसे बड़े आईटीआई कोनी से रिटायर कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच ने कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी रिकवरी आदेश को रद्द करते हुए 1,15,760 रुपये की गई वसूली को वापस लौटाने का निर्देश राज्य शासन काे दिया है। याचिकाकर्ता के लंबित ग्रेज्युटी की राशि का भुगतान छह सप्ताह के भीतर करने की मोहलत राज्य शासन काे दी है।

लक्ष्मण दास माणिकपुरी शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ITI Koni बिलासपुर में तृतीय श्रेणी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे। अर्धवार्षिकी आयु पूरा करने के बाद 29 फरवरी 2020 को रिटायर हुए। रिटायरमेंट के बाद विभाग ने सेवाकाल के दौरान वेतन के रुप में अतिरिक्त भुगतान की जानकारी देते हुए रिकवरी आदेश जारी कर दिया। विभाग ने याचिकाकर्ता को सेवाकाल के दौरान 1,15,760 रुपये की राशि ज्यादा देने की बात कहते हुए इतनी राशि वसूल कर ली। राज्य शासन के इस आदेश को चुनौती देते हुए लक्ष्मण दास मानिकपुरी ने अधिवक्ता श्रीजन पांडेय के माध्यम से हाई कोर्ट में यााचिका दायर की।

मामले की सुनवाई जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने स्टेट आफ पंजाब बनाम रफीक मसीह (2015) के मामले में फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के ऐसे कर्मचारी जिसने अपने सेवाकाल के दौरान ईमानदारी के साथ काम किया हो और किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना की हो तब रिटायरमेंट के बाद इन ऐसे कर्मचारियों सेस वेतन की वसूली नहीं की जा सकती। रिटायरमेंट के बाद ऐसे कर्मचारियों से वसूली के जरिए जारी रिकवरी आदेश कानून के हिसाब से अनुचित है।

0 रिवकरी आदेश को कोर्ट ने किया रद्द,लौटानी होगी राशि

मामले की सुनवाई जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस गुरु ने राज्य शासन के वसूली आदेश को रद्द करते हुए अपने फैसले में लिखा है कि याचिकाकर्ता तृतीय श्रेणी कर्मचारी हैं और उनसे की गई वसूली सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के विपरीत है। सेवाकाल के दौरान याचिकाकर्ता ने किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा नहीं किया है और ईमानदारी के साथ अपनी सेवा की है। ऐसी स्थिति में वसूल की गई राशि याचिकाकर्ता को लौटानी होगी। कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता से वसूली गई राशि को लौटाए और लंबित ग्रेज्युटी का भुगतान छह सप्ताह के भीतर करे।

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