Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने कहा: यौन अपराध के मामलों में नरमी बरतने से समाज में जाएगा गलत संदेश, अपराधियों का बढ़ेगा हौसला...इसलिए हाई कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा

Bilaspur High Court: नाबालिग के साथ गैंगरैप के मामले में हाई कोर्ट ने दुष्कर्मियों के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा है कि बच्चों के साथ यौन अपराध के मामले में नरमी बरतना उचित नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश जाएगा,इसके अलावा अपराध में संलिप्त अपराधियों का हौसला बढ़ेगा। इस टिप्पणी के साथ डिवीजन बेंच ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए अपील खारिज कर दी है। निचली अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों को 20 साल की सजा सुनाई है।

Update: 2025-06-15 08:04 GMT

Bilaspur High Court

Bilaspur High Court: बिलासपुर। नाबालिग के साथ गैंगरैप के मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें आरोपियों को 20 साल की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि बच्चों के साथ यौन अपराध से जुड़े मामलों में नरमी बरतना उचित नहीं है। आरोपियों को कानून के अनुसार कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। डिवीजन बेंच ने सत्र न्यायाधीश FTC कोंडागांव के आदेश को बरकरार रखते हुए गैंगरैप के दोषी पंकू कश्यप, मनोज बघेल और पिंकू कश्यप की अपील को खारिज कर दिया है।

घटना 26 अप्रैल 2019 की है। नाबालिग लड़की विवाह समारोह में शामिल होने गई थी। रात तकरीबन 11 बजे वह अपनी सहेली के साथ वाशरूम जा रही थी, तभी चार युवकों ने उसे जबरदस्ती खींच लिया और खेत में ले जाकर गैंगरैप किया। नाबालिग ने घटना के दौरान मोबाइल टार्च की रोशनी में आरोपियों को पहचान ली थी। रात में ही मां को घटना की जानकारी दी। इसके बाद कोंडागांव थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस ने एक नाबालिग समेत चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया।

फास्ट ट्रैक कोर्ट कोंडागांव ने तीनों आरोपियों को पाक्सो एक्ट की धारा 6 तथा आइपीसी की धारा 376 डी (सामूहिक बलात्कार) के तहत दोषी ठहराते हुए 20-20 साल सश्रम कारावास और 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। जुर्माने की राशि जमा न करने पर 3-3 साल की अतिरिक्त सजा भुगताने का निर्देश दिया था।

डिवीजन बेंच ने कहा कि घटना के समय पीड़िता की आयु 18 वर्ष से कम थी, और वह बालिका की श्रेणी में आती थी। अभियुक्तों ने उसकी इच्छा और सहमति के बिना सामूहिक दुष्कर्म किया, जो धारा 376 डी के तहत स्पष्ट रूप से सामूहिक दुष्कर्म की परिभाषा में आता है। यौन अपराध में पीड़िता की एकमात्र गवाही भी दोष सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हो सकती है, यदि वह विश्वसनीय और ठोस हो.

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