Bilaspur High Court: धान उठाव काे लेकर हाई कोर्ट पहुंची प्रदेश की सहकारी समितियां: मार्कफेड ने कहा- माैसम का बेजा लाभ उठाने की फिराक में है समितियां, हाई कोर्ट ने कुछ ऐसा दिया आदेश

Bilaspur High Court: धान उठाव में लेटलतीफी और नुकसान की आशंका जताते हुए छत्तीसगढ़ की दो दर्जन से ज्यादा सेवा सहकारी समितियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मार्कफेड ने अपने जवाब में कोर्ट को बताया कि समितियां मौसम का बेजा फायदा उठाने की फिराक में है। बारिश का बहाना बनाकर क्वालिटी और वजन के साथ खेला करने की तैयारी में है समितियां। याचिकाकर्ता समितियों व मार्कफेड के जवाब को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कुछ इस तरह का फैसला सुनाया है।

Update: 2025-06-01 09:06 GMT

Bilaspur High Court

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की दो दर्जन से ज्यादा सेवा सहकारी समितियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर खरीदी केंद्रों से धान का शीघ्र उठाव की मांग की है। समितियों का कहना है कि खरीदी केंद्रों में धान को सुरक्षित रखने का प्रबंध ना होने के कारण क्वालिटी से लेकर वजन में अंतर आएगा। उठाव के वक्त मार्कफेड क्वालिटी देखेगा। इसका खामियाजा समितियों को भुगतना पड़ेगा। मार्कफेड ने अपने जवाब में कहा कि याचिकाकर्ता समितियां मौसम का फायदा उठाना चाहती है। मौसम के बहाने गुणवत्ताविहीन धान खपाने के फिराक में है। हाई कोर्ट ने खरीदी केंद्रों से तय समय पर धान उठाव के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। याचिकाकर्ता समितियों को राज्य सरकार के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने कहा है। अभ्यावेदन पर 90 दिनों के भीतर राज्य शासन को निर्णय लेना होगा।

याचिकाकर्ता समितियों ने अपनी याचिका में बताया है कि 2024-25 में धान की खरीदी की थी। धान अभी भी खरीदी केंद्रों में रखा हुआ है। खुले आसमान के नीचे धान डंप होने के कारण सूख रहा है। बारिश के कारण धान भीग रहा है और उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। क्वालिटी खराब होने के साथ ही वजन भी घट रहा है। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि धान की खरीदी के साथ ही सुरक्षित उठाव की जिममेदारी राज्य सरकार की है।

उठाव की तिथियों में बदलाव

याचिकाकर्ता समितियों ने बताया धान खरीदी के बाद राज्य शासन ने एक आदेश जारी कर 31 जनवरी 2025 तय की गई थी। इसके बाद इसे फिर बढ़ाया गया और 19 फरवरी के बाद इसे बढ़ाकर 28 फरवरी 2025 किया गया। इसके बाद भी खरीदी केंद्रों से धान का उठाव अब तक नहीं हो पाया है। याचिकाकर्ता समितियों ने धान उठाव में राज्य शासन की ओर से लगातार हो रहे विलंब को कारण बताते हुए मात्रा की कमी होने की स्थिति में उसे समायोजित करने की मांग की है। इसके लिए राज्य शासन को निर्देशित करने की मांग हाई कोर्ट से की है।

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