Bihaan Yojana: छत्तीसगढ़ सरकार की बिहान योजना से महिलाओं के जीवन में आ रहा एक बड़ा बदलाव, स्व सहायता समूह से जुड़कर बन रही लखपति दीदी...

Bihaan Yojana: ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) विशेष पिछड़ी जनजाति की महिलाओं के भी जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लेकर आ रहा है

Update: 2024-09-23 07:45 GMT

Bihaan Yojana रायपुर। ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) विशेष पिछड़ी जनजाति की महिलाओं के भी जीवन में एक बड़ा परिवर्तन लेकर आ रहा है। बिहान के माध्यम से मिली आर्थिक मदद, प्रशिक्षण और कड़ी मेहनत से अपनी आमदनी में वृद्धि कर वे अपने परिवार की एक मजबूत सहारा बन पा रही है। इसी परिवर्तन की एक शानदार मिसाल हैं विशेष पिछड़ी जनजाति कोरवा समुदाय की मझनी बाई जो कृष्णा स्व-सहायता समूह से जुड़कर कड़ी मेहनत और समर्पण से लखपति दीदी बनने का सफर तय किया।

स्व सहायता समूह से जुड़ने से पहले जशपुर जिला के मनोरा विकासखंड के ग्राम पंचायत गीधा की रहने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति की मझनी बाई कृषि कार्य से सलाना 35 हजार से 40 हजार के बीच कमा पाती थी। अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए मझनी बाई बिहान योजना के तहत स्व-सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया। समूह से जुड़ने के बाद मझनी बाई को आर.एफ. के तहत 15 हजार रूपए, सी.आई.एफ. के तहत 60 हजार रूपए और बैंक लिंकेज लोन के माध्यम से एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता मिली।

इस आर्थिक सहायता से मझनी बाई ने मिर्च की खेती और बकरी पालन का काम शुरू किया। मझनी बाई ने 2 एकड़ जमीन पर मिर्च की खेती में 20 हजार रूपए का निवेश किया। इससे उन्हें सालाना 1.10 लाख की आमदनी होने लगी। बकरी पालन से उसे 50 हजार रूपए की आय प्राप्त हुई। आज मिर्च उत्पादन और बकरी पालन के जरिए मझनी बाई की वार्षिक आमदनी 1.60 लाख रूपए तक पहुंच गई है। बिहान से मिली मदद और कड़ी मेहनत से मझनी बाई ने सफलता हासिल की है। आज वह अपने गांव में आत्मनिर्भरता की एक मिसाल बन चुकी हैं।

बिहान से जुड़कर किया अपनी आमदनी में इजाफा, बनी परिवार की एक मजबूत सहारा

महासमुंद जिला के ग्राम पंचायत कांपा की जय मां दुर्गा महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की अनोखी मिसाल पेश की समूह की महिलाओं ने मेहनत और हौसले से फ्लाई एश ब्रिक्स निर्माण का व्यवसाय स्थापित किया है। समूह की अध्यक्ष श्रीमती अहिल्या साहू और सचिव श्रीमती कल्याणी दुबे ने बताया कि उन्होंने अपने व्यवसाय के लिए बिहान योजना के तहत आर्थिक मदद प्राप्त की। उनके समूह में 10 महिलाएं और उन्होंने एक ऑपरेटर भी रखा है।

बिहान योजना से मिली आर्थिक सहायता का सही उपयोग करते हुए, कल्याणी और उनके समूह ने व्यवसाय को मजबूती से खड़ा किया। इस समूह के द्वारा अब तक लगभग तीन लाख फ्लाई ऐश ब्रिक्स (ईंट) का निर्माण कर लिया गया है, जिसको सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं में विक्रय कर चुकी है। इस व्यवसाय की शुरुआत में समूह को 1,50,000 रुपये की शुद्ध आय हुई। यह आय न केवल समूह के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक संबल बनी, बल्कि इसे महिलाओं के लिए एक नया मार्गदर्शन भी दिया कि वे भी अपने व्यवसाय को शुरू कर सकती हैं और आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अपने दृढ़ निश्चय से यह साबित कर दिया कि कोई भी चुनौती असंभव नहीं होती, यदि उसमें मेहनत और हौसला हो। फ्लाई ऐश ब्रिक्स निर्माण जैसे मर्दों के व्यवसाय में कदम रखकर उन्होंने यह दिखाया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकती हैं। उनका यह कार्य अन्य स्व सहायता समूहों के लिए प्रेरणा बन चुकी है, और जिले में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक बन गई हैं। जय मां दुर्गा महिला स्व सहायता समूह ने इस सफलता के साथ यह संदेश दिया है कि सही दिशा में मेहनत, हिम्मत, और आर्थिक सहयोग से महिलाएं भी किसी भी व्यवसाय में ऊँचाइयों को छू सकती हैं। ये महिलाएं विभिन्न काम करके अपने परिवारों को पालने और अपने जीवनस्तर में सुधार करने का संघर्ष कर अपनी क़िस्मत बदल रही है और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 


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