Petrol Diesel Rate Today 27 August: पेट्रोल-डीजल पर कंपनियां कमा रही हैं मोटा मुनाफा, लेकिन ग्राहकों की जेब पर अब भी बोझ?

Petrol Diesel Price Today: कच्चे तेल के सस्ते होने के बावजूद पेट्रोल-डीजल कंपनियां 11 रुपये लीटर तक का मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन ग्राहकों को कोई राहत नहीं मिल रही।

Update: 2025-08-28 03:53 GMT

Petrol Diesel Rate Today 27 August: जरा सोचिए… आप हर हफ़्ते अपनी बाइक या कार में पेट्रोल डलवाने जाते हैं। मीटर जैसे ही 500 या 1000 रुपये पार करता है, जेब ढीली होने का एहसास होता है। अब ज़रा यह जान लीजिए कि कच्चा तेल यानी क्रूड ऑयल, जिससे पेट्रोल-डीजल बनता है, वह कई महीनों से सस्ता हो रहा है। रूस से तो भारत को पहले से भी ज्यादा छूट पर तेल मिल रहा है। लेकिन फिर भी पेट्रोल-डीजल के दाम वही पुराने हैं। यानी आपके लिए कोई राहत नहीं।

दरअसल, यहां पूरा खेल कंपनियों का है। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी बड़ी सरकारी तेल कंपनियां इन दिनों जबरदस्त मुनाफा कमा रही हैं। आंकड़े चौंका देने वाले हैं पेट्रोल पर रीब 11 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 8 रुपये प्रति लीटर का फायदा हो रहा है। यही वजह है कि अप्रैल से जून के बीच इन कंपनियों ने 16,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का मुनाफा अपनी झोली में डाल लिया।

आप सोच रहे होंगे कि जब कच्चा तेल सस्ता है तो फायदा जनता को क्यों नहीं मिल रहा? असल में कंपनियां कह रही हैं कि उन्हें एलपीजी जैसी दूसरी सब्सिडी पर घाटा हुआ है, उसकी भरपाई इस मुनाफे से हो रही है। सरकार ने भी अप्रैल में पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी, लेकिन उपभोक्ताओं पर बोझ न पड़े इसलिए कंपनियों ने क्रूड की सस्ती कीमत से मिले मार्जिन को वहीं एडजस्ट कर दिया। यानी सीधी भाषा में कहें तो क्रूड ऑयल सस्ता हुआ, कंपनियों का मुनाफा बढ़ा, लेकिन आपकी जेब पर बोझ जस का तस है।

मामला सिर्फ आंकड़ों का नहीं है। यह उस किसान की कहानी भी है जो ट्रैक्टर में डीजल भरवाकर खेत जोतता है। यह उस मिडिल क्लास परिवार का दर्द भी है जो महीने के बजट में पेट्रोल का खर्च जोड़कर बाकी खर्चे काटता है। और यह उस छोटे व्यापारी की चिंता भी है जो माल ढुलाई पर लगने वाले डीजल खर्च को झेलता है। तो बड़ा सवाल यह है क्या कंपनियों का मुनाफा जनता से ऊपर है? क्या सरकार को दखल देकर पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने चाहिए? या फिर हमें यूं ही पुराने दाम चुकाते रहना होगा, जबकि कंपनियां अरबों का फायदा उठाती रहेंगी?

अभी हालात यही बता रहे हैं कि कंपनियां ग्राहकों को राहत देने के मूड में नहीं हैं। लेकिन अगर आम जनता की नाराजगी बढ़ी तो सरकार पर दबाव बनेगा और शायद कुछ राहत देखने को मिले।

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