जिन्दल स्टील एंड पावर को जल संरक्षण एवं मृदा प्रबंधन में सीएसआर एवं सस्टेनेबिलिटी अवार्ड...

एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन परियोजनाओं के माध्यम से ओडिशा के अंगुल में किसानों की तरक्की में योगदान के लिए मिला सम्मान

Update: 2024-02-19 09:39 GMT

रायपुर 18 फरवरी 2024। जिन्दल स्टील एंड पावर (जेएसपी) को एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन परियोजनाओं के माध्यम से ओडिशा के अंगुल में किसानों की तरक्की में योगदान करने के लिए जल संरक्षण एवं मृदा प्रबंधन श्रेणी में सीएसआर एवं सस्टेनेबिलिटी अवार्ड - 2024 से सम्मानित किया गया है। यह परियोजना नाबार्ड ( नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) के सहयोग से चलाई जा रही है।

जेएसपी को यह सम्मान राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने 15 फरवरी 2024 को नई दिल्ली में आयोजित प्रभावी सतत व्यापार प्रथाओं पर राष्ट्रीय सम्मेलन (नेशनल कॉन्क्लेव ऑन इम्पैक्टफुल सस्टेनेबिल बिजनेस प्रैक्टिसेज) में कंपनी के प्रतिनिधि को प्रदान किया। ऑल इंडिया बिजनेस एंड कम्युनिटी फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस सम्मान समारोह में केंद्र लाल बहादुर शास्त्री फाउंडेशन के अध्यक्ष सुनील शास्त्री और वरिष्ठ राजनेता डॉ. विजय जॉली की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

जेएसपी ने अपने चेयरमैन नवीन जिन्दल के नेतृत्व में अंगुल जिले के तुबे, कुलेई, देरजंग, मराटीरा और मढियामुंडा गांवों में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और कृषि विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जेएसपी की सामाजिक शाखा जेएसपी फाउंडेशन ने देरजंग और तुबे में वाटरशेड परियोजनाओं के माध्यम से मिट्टी का कटाव कम करने और भूजल पुनर्भरण (ग्राउंडवाटर रिचार्ज) को अधिकतम करने में अभूतपूर्व सफलता पाई है, जिससे कृषि उत्पादन और किसानों की आमदनी में वृद्धि हुई है।

टीम को बधाई देते हुए जेएसपी फाउंडेशन की चेयरपर्सन शालू जिन्दल ने कहा, "जेएसपी स्थानीय पारिस्थितिकी में सतत सुधार का हिमायती है और यह वाटरशेड परियोजना किसानों को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।" उन्होंने इस सम्मान के लिए निर्णायक मंडल का धन्यवाद किया। 2012 में नाबार्ड के सहयोग से शुरू की गई वाटरशेड परियोजनाओं के कारण अंगुल क्षेत्र में मिट्टी की नमी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। इससे उत्साहित किसानों ने नकदी फसल की नई किस्मों को आजमाया और फसल प्रणाली बदलकर एक के बजाय दो और तीन फसल उगाने लगे। आज नकदी फसल उनकी प्राथमिकता बन गई है। इस पहल से पलायन थमा है और स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है। किसानों की आय में इजाफा हुआ है और वे 1.5 लाख से 5.5 लाख रुपये से भी अधिक कमाने लगे हैं। जेएसपी फाउंडेशन ने स्थानीय किसानों के सशक्तीकरण के लिए गांवों में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन में भी महत्वपूर्ण सहयोग किया है।

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