सूचना आयोग का 5 मामलों में सवा लाख का जुर्माना: छत्तीसगढ़ में हाथी के मामले में DFO को 25 हजार जुर्माना, अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश
रायपुर। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार एवं प्रशासन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 प्रभावशील है। सरकार के क्रियाकलापों के संबंध में नागरिकों को जानकार बनाने के लिए यह अधिनियम मिल का पत्थर साबित हो रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयुक्त ए.के.अग्रवाल ने 5 प्रकरणों पर जनसूचना अधिकारी को 25-25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए एक जनसूचना अधिकारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने अनुशंसा की है।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत रायपुरा के गोरेलाल साहू ने जनसूचना अधिकारी एवं सहायक वन संरक्षक (कैम्पा), मुख्य कार्यपालन अधिकारी कैम्पा महासमुंद को 27 मार्च 2021 को आवदेन किया, सितंबर 2020 से फरवरी 2021 तक कार्यालय में उपलब्ध कैम्पा फार्म 14 की प्रमाणित प्रति की मांग की थी। जानकारी नहीं मिलने पर आयोग में 3 जून 2021 को शिकायत प्रस्तुत किया।
राज्य सूचना आयुक्त ए.के.अग्रवाल ने प्रकरण की सुनवाई में पाया कि आवेदक के शिकायत आवेदन पर जनसूचना अधिकारी का जबाव संतोषजनक और समाधान कारक नहीं पाये जाने के कारण तत्कालीन जनसूचना अधिकारी एवं सहायक वनसंरक्षक (कैम्पा), मुख्य कार्यपालन अधिकारी कैम्पा महासमुंद डी के एस मौर्य को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत 25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए प्रधान मुख्य वनसंरक्षक अरण्य भवन नवा रायपुर को निर्देशित किया है कि संबंधित से अर्थदण्ड की राशि की वसूली कर आयोग को जानकरी प्रेषित करें।
इसी प्रकार नितिन सिंघवी रायपुरने 15 जनवरी 2020 को जनसूचना अधिकारी एवं वनमंडलाधिकारी महासमुंद को आवेदन में हाथियों को रेडियो कालर लगाने के पश्चात हाथियों के विचरण क्षेत्र से संबंधित जानकारी के वह दस्तावेज जो wildlife SOS ने महासमुंद वनमडल मं जमा करवाएं हैं, उन दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां को सूचना का अधिकार के तहत प्रदाय करने कहा। जनसूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी के विनिश्चय से असंतुष्ट होने पर 18 अगस्त 2020 को आयोग के समक्ष द्वितीय अपील प्रस्तुत की। राज्य सूचना आयुक्त अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान पाया कि तत्कालीन जनसूचना अधिकारी मयंक पाण्डेय वनमंडलाधिकारी सामान्य वनमंडल महासमुंद वर्तमान पदस्थापना वनमंडलाधिकारी बालोद द्वारा विधि सम्मत निराकरण नहीं करने और आयोग को अपने पक्ष समर्थन में कोई जवाब नहीं भेंजने के कारण सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत 25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित करते हुए सचिव वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को अनुशासनात्मक कार्यवाही करने अनुशसां की है।
आवेदक वीरेन्द्र पाण्डेय न्यू शांति नगर रायपुर ने जनसूचना अधिकारी अनुभाग अधिकार सामान्य प्रशासन विभाग को प्राप्त आवेदन जनसूचना अधिकारी लोक निर्माण विभाग मंत्रालय महानदी भवन को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(3)(III) के तह अंतरित किया। आवेदन में पी डब्ल्यू डी में हुए डामर घोटाले की शिकायत वर्ष 2013 में प्रस्तुत की, जिसकी जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से कराने का निर्णय लिया गया था। जांच न होने की स्थिति में हमने समय समय पर जांच करवाकर कार्यवाही हेतु 10 स्मरण पत्र लिखे गए हैं। शिकायत दिनांक से आवेदन दिनांक तक उपयोग में लाए गए नोटशीट की प्रतिलिपि और स्मरण पत्रों पर की गई कार्यवाही एवं समस्त पत्र व्यवहार की प्रतिलिपि की मांग की। राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष जनसूचना अधिकारी सी तिर्की ने अपने जवाब में कहा कि माननीय उच्च न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने के कारण जानकारी दिया जाना संभव नहीं, उनके जवाब में राज्य सूचना आयुक्त अग्रवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम धारा 8(1)(B) का उल्लेख करते हुए तत्कालीन जनसूचना अधिकारी सी तिर्की लोक निर्माण विभाग वर्तमान पदस्थापना उपसचिव छ ग शासन आवास एवं पर्यावरण विभाग मंत्रालय नवा रायपुर को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत 25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित किया।
आवेदक दशरथ कुमार वर्मा रायपुर ने अपने दो आवेदन में छत्तीसगढ गृह निर्माण मंडल संभाग-3 रायपुर अनुबंध क्रमांक 238 और 244 से संबंधित समस्त नस्ती एम बी बुक की प्रति और भुगतान व्हाउचर की प्रमाणित प्रति की मांग की। जनसूचना अधिकारी ने अवेदक के द्वारा चाही गई जानकारी को अस्पष्ट बताया गया, जिससे आवेदक ने प्रथम अपील प्रस्तुत की। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने अवेदक के द्वारा चाही गई जानकारी को 15 दिवस के भीतर उपलब्ध कराने विनिश्चय किया। द्वितीय अपील में राज्य सूचना आयुक्त अग्रवाल ने प्रकरण की सुनवाई में पाया कि जनसूचना अधिकारी ने आवेदक के आवेदन पर विधि सम्मत कार्यवाही नहीं करते हुए आयोग के सूचना पत्रों का संतोषजनक और समाधान कारक जवाब नहीं देने पर तत्कालीन जनसूचना अधिकारी छत्तीसगढ गृह निर्माण मंडल संभाग-3 रायपुर श्रीराम ठाकुर को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के तहत 25-25 हजार रूपए का अर्थदण्ड अधिरोपित कर आयुक्त छत्तीसगढ गृह निर्माण मंडल दुर्ग जिला दुर्ग को निर्देशित किया गया कि अधिरोपित अर्थदण्ड की राशि की वसूली कर शासकीय कोष में जमा कराकर आयोग को सूचित करें।