IAS KK Pathak News: केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए चर्चित IAS केके पाठक, सेंट्रल गवर्नमेंट में इस पद पर मिली जगह, शिक्षा विभाग मेंं रह चूका है दबदबा

IAS KK Pathak News: बिहार में प्रशासनिक सख्ती और अपने तेज तर्रार रवैये के चलते आईएएस अधिकारी केके पाठक सुर्खियों में रहे हैं। वहीँ अब केंद्र सरकार ने आईएएस केके पाठक(IAS KK Pathak) को नई और बेहद अहम जिम्मेदारी दी है।

Update: 2025-04-19 06:02 GMT
IAS KK Pathak News: केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए चर्चित IAS केके पाठक

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IAS KK Pathak News: बिहार में प्रशासनिक सख्ती और अपने तेज तर्रार रवैये के चलते आईएएस अधिकारी केके पाठक सुर्खियों में रहे हैं। वहीँ अब केंद्र सरकार ने आईएएस केके पाठक(IAS KK Pathak) को नई और बेहद अहम जिम्मेदारी दी है।

दरअसल, केंद्र सरकार 1990 बैच केआईएएस केके पाठक को दिल्ली में कैबिनेट सचिवालय का अपर सचिव बनाया है। वे वर्तमान में केके पाठक वर्तमान में बिहार राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष हैं। केके पाठक अब बिहार राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष पद से देश की केंद्रीय नौकरशाही में अपनी ड्यूटी निभाएंगे। केके पाठक इससे पहले भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं। इससे पहले वो मद्य निषेध विभाग और शिक्षा विभाग की कमान संभाल चुके हैं। जिसकी खूब चर्चा भी हुई। तो चलिए जानते हैं आईएएस केके पाठक के बारे में...

कौन है आईएएस केके पाठक

आईएएस केके पाठक का पूरा नाम केशव कुमार पाठक है। उनका जन्म उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में 15 जनवरी 1968 को हुआ था। उनके पिता मेजर जीएस पाठक बिहार में लघु जल संसाधन विभाग में प्रमुख सचिव रह चुके है। आईएएस केके पाठक ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। जिसके बाद अर्थशास्त्र में ही स्नातकोत्तर ( एमफिल) किया। डिग्री लेने के बाद केशव कुमार पाठक ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की उन्होंने यूपीएससी में 40 वन रैंक लाया था केशव कुमार पाठक को बिहार कैडर मिला और वह 1990 बैच के आईएएस बने।

ट्रेनिंग के बाद के के पाठक की पहली पोस्टिंग कटिहार में हुई थी। फिर गिरिडीह में भी एसडीएम रहे। फिर बेगूसराय, शेखपुरा और बाढ़ में भी एसडीएम रहें। 1996 में पाठक पहली बार डीएम बने और उन्हें संयुक्त बिहार के गिरिडीह जिले की क्लेक्टरी मिली। राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री रहते केके पाठक को लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज की कलेक्टरी मिली। गोपालगंज में कलेक्टर रहने के दौरान उन्होंने सुर्खिया बटोरी।

आईएएस केशव कुमार की अर्थव्यवस्था दुरस्त करने के साथ ही लोक प्रशासन और सामाजिक नीति विश्लेषण में खासी रुचि रही है। केके पाठक 1997 से 2001 तक फाइनेंस और कंपनी अफेयर्स मामलों के मंत्रालय में अंडर सेकेट्री और डिप्टी सेकेट्री के पद पर रहे। 2002 में उन्हें बिहार स्टेट क्रेडिट एंड इंवेस्टमेंट मैनेंजिंग डायरेक्टर बनाया गया था। केशव कुमार को बिहार स्टेट क्रेडिट एंड इंवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन में मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया है। फिर केके पाठक राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक भी बने। 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनी तो केके पाठक को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण के एमडी की जिम्मेदारी मिली। वे एड्स कंट्रोल सेल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के साथ ही ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, शहरी हाउसिंग डेवलपमेंट में अध्यक्ष, बिहार स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट में एमडी रह चुके हैं।।

2010 में पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। 2015 में नीतीश सरकार ने उन्हें वापस बुलवाया। 2016 में शराब बंदी अभियान में आबकारी नीति लागू करने में केके पाठक की महत्व्पूर्ण भूमिका निभाई। 2017– 2018 में फिर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। वे केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव रहे। राजस्व परिषद में अपर सदस्य रहे। वे मद्य निषेध एवं निबंधन विभाग में प्रमुख सचिव रहे। केंद्र सरकार में रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय में मैनेंजिंग डायरेक्टर, नेशनल हाईवेज एंड इंस्फ्रास्टक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन में रहे।

शिक्षा विभाग में लिए कई महत्वपूर्ण फैसले

बता दें, केके पाठक का नाम उनके सख्त फैसले की वजह से जाना जाता है। बिहार के शिक्षा विभाग के अपर सचिव रहने के दौरान कई कड़े फैसले लिए। जून 2023 में जब उन्हें बिहार के शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव रहते हुए उनका कार्यकाल काफी चर्चा में रहा था। स्कूलों में छुट्टियां को कम करने और अध्ययन की अवधि बढ़ाने को लेकर भी केके पाठक ने कड़े फैसले लिए हैं। जिसका खूब विरोध भी हुआ लेकिन वो पीछे नहीं हटे।

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