CS Vikas Sheel: भागते-दौड़ते सिकेट्री, डायरेक्टर...मुख्य सचिव विकास शील के तीखे तेवर से कांपे अफसर, एक-एक की लगाई क्लास, 31 दिसंबर का टारगेट भी
CS Vikas Sheel: मुख्य सचिव विकास शील ने मंत्रालय में आज अधिकारियों की बड़ी मीटिंग कर विकास कार्यों का रिव्यू किया। सुनिल कुमार के बाद ऐसी समीक्षा बैठक मंत्रालय में पहली बार हुई, जिसमें सिकेट्री और डायरेक्टरों के चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थी। सीएस ने इस बार सिकेट्री को सामने बैठा सीधे एचओडी याने डायरेक्टर्स और एमडी से बात की। बजट का पैसे खर्च न करने की वजह पूछी। कुछ डायरेक्टरों ने आंकड़ों में उलझाने की कोशिश की, उन्हें जमकर झाड़ मिल गई।
CS Vikas Sheel: रायपुर। टाईम आज सुबह 9.50 बजे। महानदी मंत्रालय भवन के गेट पर अचानक करीब 100 गाड़ियां का रेला। किसी में सिकेट्री बैठे, किसी में डायरेक्टर और एमडी। जाम देख कार का गेट खोल दौड़ते-भागते मंत्रालय में घुसते अफसर। गेट पर कोई बायोमेट्रिक से अटेंडेंस लगा रहा था, तो कई दौड़ते हुए मोबाइल ऐप्प से हाजिरी लगा रहे थे। भीतर गए तो तीनों लिफ्ट के पास लाइन। लिफ्ट में टाईम इसलिए लग रहा था, क्योंकि सभी पांचवे फ्लोर पर नवनिर्मित आडिटोरियम जा रहे थे।
दरअसल, आज अक्टूबर में ज्वाईन करने के बाद मुख्य सचिव विकास शील ने आज एक बड़ी रिव्यू मीटिंग बुलाई थी। बैठक का एजेंडा पिछले एक हफ्ता से अफसरों को परेशान कर रखा था। क्योंकि, छत्तीसगढ़ में उस तरह कभी पूंजीगत व्यय टाईम पर क्यों नहीं हुआ, कभी किसी ने बड़े अफसरानों से पूछा ही नहीं। और आज जब पूछा गया तो सबकी कलई खुल गई। आलम यह था कि बजट स्वीकृति के बाद दो-दो साल लग जा रहा प्रशासकीय स्वीकृति लेने में। प्रशासकीय स्वीकृति अपने मंत्री से ली जाती है। मगर इस काम में भी सचिव और डायरेक्टर दो-दो साल लगा दे रहे। अब आप समझ सकते हैं कि छत्तीसगढ़ का डेवलपमेंट क्यों ठहर गया है?
बहरहाल, हांफते-कांपते सिकेट्री और एचओडी 9.55 बजे तक ऑडिटोरियम में अपनी कुर्सी पर बैठे ही कि उसके चार मिनट बाद चीफ सिकरेट्री कक्ष में दाखिल हुए। विकास शील के चेहरे से लग रहा था कि आज ढीले-ढाले अधिकारियों की खैर नहीं। और वैसा ही हुआ। 10 बजे से करीब 12.30 बजे तक मीटिंग चली, उसमें सीएस ने बिना लाग-लपेट के ऐसी क्लास लगाई कि सारे अधिकारी आवाक थे।
डायरेक्टरों से सीधे संवाद
रिव्यू मीटिंग में सचिवों को बुलाया जरूर गया था मगर सीएस ने सीधे बात की डायरेक्टरों और एमडी से। कुछ सचिवों ने बीच में बोल अपने अफसरों की बचाने की कोशिश की तो उन्हें झिड़की मिल गई। एसएनए-स्पर्श प्रणाली में ऑनबोर्डिंग और पेमेंट की अद्यतन स्थिति दर्ज न करने पर कई डायरेक्टरों को जमकर फटकार लगी। कुछ डायरेक्टरों ने सीएस को आंकड़ों की बाजीगरी में उलझाने का प्रयास किया, इस पर उनकी क्लास लग गई।
बजट खर्च न होने पर सीएस नाराज
वित्त विभाग पूंजीगत व्यय में आधे दर्जन विभागों की स्थिति बेहद चिंताजनक पाई गई। बजट खर्च को लेकर सीएस ने जब अधिकारियों से पूछा तो पता चला, अभी तक कई विभागों ने प्लान तो बना लिया मगर उसकी प्रशासनिक स्वीकृति नहीं ले पाए। कई बार एक साल के बजट में मिले पैसे से दो-दो साल में काम शुरू नहीं हो पाते। इस पर मुख्य सचिव विकास शील काफी नाराज हुए। उन्होंने कहा, जब क्षमता नहीं होती तो उतने प्लान क्यों बना लेते हैं आपलोग? उतने ही प्लान बनाएं जितना कर सकते हैं।
31 दिसंबर तक का दिया टाईम
मुख्य सचिव ने कहा कि क्षमता से 20-25 परसेंट अधिक प्लान लिया जा सकता है मगर ऐसा नहीं कि दोगुने-तीगुने कर लिए। इसमें भी प्रायरिटी के हिसाब से प्रशासनिक स्वीकृति लेनी चाहिए। उन्होंने 31 दिसंबर तक का टाईम लिमिट दिया कि इस दिन तक इतने काम का भुगतान और कामों की प्रशासनिक स्वीकृति लेनी है। इसके लिए उन्होंने सभी से पूछपूछकर नोटबुक में लिखा कि 31 दिसंबर तक कौन कितना कर पाएगा? अगले महीने फिर इसका रिव्यू किया जाएगा। अधिकारियों को फिर बताना होगा, उसमें से वे कितना कर पाए।
सीजीएमएससी का काम निर्माण नहीं?
रिव्यू में जब सीजीएमएससी का नंबर आया तो मुख्य सचिव ने एमडी से पूछा...सीजीएमएससी का मूल काम दवाइयां और स्वास्थ्य उपकरण खरीदना है। निर्माण कार्य उसे क्यों करना चाहिए। विकास शील ने कहा कि मेरे स्वास्थ्य सचिव रहने के दौरान सीजीएमएससी का गठन हुआ था, उस समय निर्माण कार्य शामिल नहीं था। उन्होंने कहा कि पीडब्लूडी के पास इंजीनियरों की टीम होती है, तजुर्बा होता है, जिसको जिस काम में दक्षता हो, वह काम करना चाहिए। मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा कि आपलोग विचार करके बताइये कि सीजीएमएससी को निर्माण कार्य में क्यों इंवाल्व होना चाहिए।
बजट में घोषणा और परफर्मेंस
विधानसभा में सरकार की बजट घोषणाओं की स्थिति के बारे में चीफ सिकरेट्री ने पूछा तो सभी विभागों का हाल लगभग एक जैसा ही था। उन्होंने इसकी भी समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिए कि सरकार की घोषणाओं पर टॉप प्रायरिटी से अमल करें।
ई-ऑफिस, ई-एसीआर
मुख्य सचिव विकास शील ने अधिकारियों से ई-ऑफिस पर अपडेट लिया। उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग से कहा कि वे जल्द-से-जल्द जिला कार्यालयों को भी ई-ऑफिस से जोड़ें। उन्होंने ऑनलाइन एसीआर लिखे जाने की प्रगति की रिपोर्ट ली। जाहिर है, कर्मचारियों और अधिकारियों की सुविधा को देखते भारत सरकार की तरह छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन एसीआर सिस्टम की कवायद की जा रही है।
सीएस का तगड़ा होमवर्क
बैठक से बाहर निकले कई अधिकारियों ने एनपीजी न्यूज को बताया कि सीएस का गजब का होमवर्क है। एक-एक डेटा पर वे काम करके मीटिंग में आए थे। यही वजह है कि कोई उन्हें बातों और आंकड़ों में उलझा नहीं पाया। अफसरों का कहना है कि अफसरों को अब अपने विभाग की एक-एक चीजों से अपडेट रहना होगा, वरना भरी मीटिंग में स्थिति खराब होगी।
सचिवों को ये निर्देश
मुख्य सचिव विकास शील की अध्यक्षता में आज मंत्रालय स्थित सभागार में राज्य की योजनाओं की समीक्षा की गई। विकास शील ने सचिवों को निर्देशित किया कि अपने विभाग के लिए अगले तीन वर्षों की कार्ययोजना तैयार करें, ताकि प्रदेश में कुशलता के साथ और तीव्र गति से काम हो सकें। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य जनता के हित में सतत् कार्य करना है।
बैठक में वर्ष 2025-26 के बजट में शामिल नवीन मद प्रस्तावों, योजनाओं और निर्माण कार्यों की प्रगति का विस्तृत मूल्यांकन किया गया। लक्ष्य और उपलब्धि के आधार पर विभागवार प्रस्तुति भी दी गई। बैठक में केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के एसएनए-स्पर्श प्रणाली में ऑनबोर्डिंग व पेमेंट की अद्यतन स्थिति, प्रमुख योजनाओं की क्रियान्वयन प्रगति, नवीन मद के प्रस्तावों की स्थिति, वर्ष 2024-25 एवं 2025-26 के निर्माण कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति, तथा पूंजीगत व्यय की जानकारी सहित सभी प्रमुख बिंदुओं की गहन समीक्षा की गई। साथ ही बजट प्रावधान के विरुद्ध व्यय और ई-ऑफिस के क्रियान्वयन की वर्तमान स्थिति पर भी विशेष चर्चा की गई।
इसके अलावा मुख्य सचिव ने आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली को विभागों में सही ढंग से लागू करने, ई-ऑफिस को संचालनालय के साथ-साथ जिला स्तर पर भी आगामी वर्ष में पूरी तरह सुचारु रूप से संचालित करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी विभागों के स्थापना प्रभारी यह सुनिश्चित करें कि e-HRMS पोर्टल पर सभी अधिकारी एवं कर्मचारी पूर्ण रूप से ऑनबोर्ड हो जाए। मुख्य सचिव ने निर्धारित समय-सीमा के भीतर सभी आवश्यक सुधारात्मक एवं प्रगतिशील कदम उठाने के निर्देश दिए। बैठक में सभी विभागों के प्रमुख सचिव, सचिव और संचालनालय स्तर के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।