controversy in Collector: कबूतर बना कलेक्टर-SP में विवाद का विषय! बीमार कबूतर देने पर एसपी ने कलेक्टर को पत्र लिख कहा जांच कर कार्रवाई करें

controversy in Collector: छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के एसपी गिरिजाशंकर जायसवाल ने कलेक्टर राहुल देव का पत्र लिख 15 अगस्त को बीमार कबूतर देने पर जांच की मांग की है। हालांकि, सोशल मीडिया में कबूतर का नहीं उड़ना मजाक बन गया है। लोग पंचायत 3 के सीन से जोड़ते हुए भांति-भांति के कमेंट्स कर रहे हैं।

Update: 2024-08-21 13:53 GMT

controversy in Collector: मुंगेली। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिला मुख्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह में एक गजब का वाकया हुआ। मुख्य अतिथि के साथ कलेक्टर और एसपी को परंपरा के तहत कबूतर उड़ाने के लिए दिया गया। पूर्व मंत्री पुन्नूराम मोहले समारोह के चीफ गेस्ट थे। उनका और कलेक्टर का कबूतर आसमान में उड़ गया। मगर एसपी ने जैसे ही कबूतर को उड़ाया वह हाथ से छूटकर मंच से नीचे गिर गया। बताते हैं, कुछ देर फड़फड़ाने के बाद उसकी मौत हो गई।

एसपी के हाथ से कबूतर गिरने का वीडियो नीचे गिरने का वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया में कमेंट्स की झड़ी लग गई। लोग इसे वेब सीरिज पंचायत-3 से लगे तुलना करने। कोई लिख रहा, एसपी साब को कबूतर को जोर से दबाना नहीं चाहिए था, तो कोई लिख रहा एसपी को बीमार कबूतर क्यों थमा दिया गया?

उधर, कबूतर एपिसोड में नाटकीय मोड़ तब आया जब एसपी ने कलेक्टर को पत्र लिख घटना की जांच की मांग कर डाली। उन्होंने पत्र में लिखा है कि 15 अगस्त जैसे कार्यक्रम की संजीदगी से तैयारी की जाती है। जिम्मेदार लोगों की ड्यूटी लगाई जाती है। बावजूद इसके बीमार कबूतर मुझे उड़ाने के लिए दिया गया। इसकी जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी लिखा है कि अगर मुख्य अतिथि के हाथों से कबूतर गिरने की घटना हुई होती तो बवाल मच जाता। इसलिए इसकी जांच आवश्यक है। एसपी के पत्र से प्रतीत हो रहा कि वे इस घटना से बेहद आहत हैं। हालांकि, कलेक्टर ने ऐसे किसी पत्र से इंकार किए मगर बाद में माना कि एसपी का पत्र मुझे मिला है...इसकी जांच की जा रही है। कलेक्टर राहुल देव ने इस पूरे मसले पर जांच हेतु पशु चिकित्सा विभाग को आदेशित कर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

कलेक्टर-एसपी में तल्खी?

मुंगेली के कलेक्टर राहुल देव 2016 बैच के आईएएस हैं। कलेक्टर के तौर पर मुंगेली उनका पहला जिला है। वहीं, एसपी गिरिजाशंकर 2010 बैच के आईपीएस हैं। याने कलेक्टर से छह साल सीनियर। गिरिजाशंकर इस समय सलेक्शन ग्रेड से डीआईजी रैंक में प्रमोट हो चुके हैं। वे अभी तक चार जिले के एसपी रह चुके हैं। जाहिर है, दोनों में सीनियर-जूनियर का इश्यू हो सकता है। सवाल यह भी उठता है कि कलेक्टर-एसपी में अगर ताल्लुकात अच्छे होते तो एसपी पत्र लिख जांच करने की मांग नहीं करते। बल्कि, कलेक्टर से सीधे बात कर सकते थे। और कलेक्टर को भी चाहिए था कि इस तरह की घटना हुई तो नीचे वालों को डांट-डपट कर एसपी को संतुष्ट कर देते। मगर अब कबूतर प्रसंग छत्तीसगढ़ के ब्यूरोक्रेसी में तमाशा बन गया है। सोशल मीडिया में लोग खूब चटखारे ले रहे हैं।


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