Chief Secretary Posting: जानिये राज्यों में चीफ सिकरेट्री की नियुक्ति कौन करता है, इसके लिए क्या होती है पात्रता

Chief Secretary Posting: राज्य के चीफ सिकरेट्री प्रशासनिक मुखिया होता है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के सबसे वरिष्ठ अधिकारी को चीफ सिकरेट्री बनाया जाता है। उसकी मानिटरिंग में सारे विभाग कार्य करते हैं। चीफ सिकरेट्री का पद इतना महत्वपूर्ण है कि उसके अनुमोदन के बिना राज्य में पत्ता नहीं हिलता। मुख्यमंत्री के पास जाने वाली सारी फाइलें चीफ सिकरेट्री से होकर गुजरती है। चीफ सिकरेट्री के अनुमोदन से ही फाइल मुख्यमंत्री के पास जाती है। कैबिनेट का सिकरेट्री होने की वजह से कैबिनेट की बैठकें भी चीफ सिकरेट्री आयोजित करते हैं।

Update: 2024-12-07 04:03 GMT

Chief Secretary Posting: रायपुर। किसी भी राज्य का चीफ सिकरेट्री सबसे शक्तिशाली अफसर होता है। जिस तरह केंद्र सरकार में कैबिनेट सिकरेट्री देश का सबसे बड़ा अफसर होता है, उसी तरह राज्यों में चीफ सिकरेट्री का सबसे बड़ा ओहदा होता है। हालांकि, प्रोटोकॉल में वह विधायक से नीचे होता है मगर पावर में वह मंत्री से उपर होता है। कैबिनेट का सिकरेट्री होने के नाते कैबिनेट की बैठकों का एजेंडा चीफ सिकरेट्री फाइनल करते हैं। कैबिनेट की बैठकों में चीफ सिकरेटी मुख्यमंत्री के बगल में बैठते हैं। वे ही विषय रखते हैं फिर मंत्रिपरिषद उस पर चर्चा उपरांत मुहर लगाती है।

30 साल की सेवा

चीफ सिकरेट्री बनने के लिए आईएएस में 30 साल की सेवा अनिवार्य होती है। उसके बिना एडिशनल चीफ सिकरेट्री में प्रमोशन नहीं मिलता। 30 साल की सर्विस कंप्लीट होने के बाद ही डीपीसी एसीएस प्रमोट करने के लिए हरी झंडी देता है। एसीएस में से ही राज्य सरकारें चीफ सिकरेट्री नियुक्त करती हैं।

मुख्यमंत्री को विशेषाधिकार

राज्य के चीफ सिकरेट्री की नियुक्ति के लिए कोई अलग से नियम नहीं है। इसकी एकमात्र आहर्ता है कि आईएएस में 30 साल की सर्विस होनी चाहिए। चूकि राज्य का प्रशासनिक मुखिया होता है चीफ सिकरेट्री, लिहाजा उसकी छबि अच्छी होनी जरूरी होती है। वैसे चीफ सिकरेट्री सलेक्शन का पूरा अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है। इसके लिए न तो कोई डीपीसी होती और न ही भारत सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता पड़ती। एडिशनल चीफ सिकरेट्री में से मुख्यमंत्री जिसे योग्य समझते हैं, उन्हें चीफ सिकेरट्री अपाइंट कर दिया जाता है।

सीनियरिटी को प्रमुखता

आमतौर पर चीफ सिकरेट्री की नियुक्ति में सीनियरिटी को महत्व दिया जाता है। मगर कुछ सालों से मुख्यमंत्री अपनी पसंद के हिसाब से एसीएस में जूनियर अफसर को भी चीफ सिकरेट्री अपाइंट कर देते हैं। देश के अनेक राज्यों में आमतौर पर ऐसा हो रहा कि सीनियरिटी को ओवरलुक कर अब अपने पसंद के एसीएस को चीफ सिकरेट्री पोस्ट किया जा रहा है। बिहार, यूपी जैसे कई राज्यों में सात-सात, आठ-आठ सीनियर अफसरों को ओवरलुक कर चीफ सिकरेट्री अपाइंट किया गया है।

सबको मौका नहीं

चीफ सिकरेट्री बनने के लिए आयु सीमा भी मैटर करता है। अगर जल्दी आईएएस में सलेक्शन हो गया है तो लंबे समय तक एडिशनल चीफ सिकरेट्री रहने का मौका मिलता है। चीफ सिकरेट्री नियुक्ति से पहले सरकारें यह भी देखती है कि उसके रिटायमेंट में कितना वक्त बचा है।

एज लिमिट

डीजीपी की तरह चीफ सिकरेट्री नियुक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। कई बार रिटायरमेंट में छह महीने भी समय बचा रहता है तो चीफ सिकरेट्री नियुक्त कर दिया जाता है। वैसे, आदर्श स्थिति यह है कि चीफ सिकरेट्री को कम-से-कम डेढ़-साल का वक्त मिलना चाहिए, तभी वह अपना हुनर दिखा सकता है। मगर सरकारें विश्वस्त अफसरों को उपकृत करने के लिए कई बार कम समय बचा होने के बाद भी मुख्य सचिव बना देती हैं।

केंद्र से एक्सटेंशन

चीफ सिकरेट्री को रिटायमेंट के बाद एक्सटेंशन भी देने का प्रावधान है। मगर उसके लिए भारत सरकार से अनुमति लेनी होती है। अभी तक छह-छह महीने का एक्सटेंशन देने के दृष्टांत हैं। कई राज्यों के चीफ सिकरेट्री को एक्सटेंशन मिले हैं। इसके लिए राज्य सरकार केंद्र की डीओपीटी को प्रस्ताव भेजती है। डीओपीटी की नोटशीट प्रधानमंत्री तक जाती है। प्रधानमंत्री के अनुमोदन के बाद ही चीफ सिकरेट्री को एक्सटेंशन मिल सकता है।

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