Chhattisgarh DGP: बड़े बेआबरु होकर हटे थे डीजीपी विश्वरंजन, छत्तीसगढ़ पुलिस हिल गई थी...
Chhattisgarh DGP: छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा अगले महीने रिटायर होने जा रहे हैं। जुनेजा के आखिरी के छह महीने में नक्सल मोर्चे पर ऐसी कामयाबियां मिली, जो हमेशा के लिए यादगार रहेगी। मगर छत्तीसगढ़ के सभी डीजीपी जुनेजा जैसे नसीब वाले नहीं रहे। छत्तीसगढ़ के सबसे हाई प्रोफाइल डीजीपी विश्वरंजन के साथ जो हुआ, उससे पुलिस महकमा हिल गया था।
Chhattisgarh DGP: रायपुर। छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा अगले महीने 4 अगस्त को रिटायर हो जाएंगे। आखिरी टाईम में नक्सली मोर्चे पर मिली सफलता से जाहिर है, उनकी बिदाई सम्मानजनक ढंग से होगी। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के बाद बस्तर में फोर्स ने माओवादियों के खिलाफ बड़ा आपरेशन चलाते हुए उन्हें बैकफुट पर घकेल दिया है। जाहिर है, जुनेजा का कद इससे बढ़ा है। इन्हीं कामयाबियों को देखते उन्हें एक्सटेंशन देने की अटकले भी चलती रहती है। बहरहाल, पोस्टिंग के मामले में सबकी किस्मत अशोक जुनेजा जैसी नहीं होती। पुलिस महकमे और उससे जुड़े ट्रांसपोर्ट से लेकर युवा कल्याण और गृह सचिव जैसा कोई भी पदास्थापना उनसे छूटा नहीं। मगर बात आज छत्तीसगढ़ के छठवे डीजीपी विश्वरंजन के बारे में।
1973 बैच के आईपीएस अधिकारी विश्वरंजन को छत्तीसगढ़ सरकार ने डेपुटेशन से बुलाकर जुलाई 2007 में सूबे का डीजीपी बनाया था। मध्यप्रदेश के बंटवारे में विश्वरंजन को छत्तीसगढ़ कैडर मिला था, मगर 2007 के पहले वे कभी छत्तीसगढ़ नहीं आए थे। वे मध्यप्रदेश के समय से ही आईबी में प्रतिनियुक्ति पर पोस्टेड थे। वे एडिशनल डायरेक्टर तक पहुंच गए थे। मगर जब उनके जूनियर को आईबी का डायरेक्टर बना दिया गया तो उन्हें वहां रहना फिर संभव नहीं था।
हाई प्रोफाइल के डीजीपी
छत्तीसगढ़ सरकार के रणनीतिकारों ने उनसे बात कर छत्तीसगढ़ लौटने के लिए तैयार किया। चूकि विश्वरंजन को बात करके बुलाया गया था, सो उनका रुतबा गजब का रहा। विश्वरंजन छत्तीसगढ के अब तक के सबसे हाई प्रोफाइल के डीजीपी रहे। उस समय उनसे पांच बरस जूनियर पी0 जाय उम्मेन छत्तीसगढ़ के चीफ सिकरेट्री थे। आईएएस, आईपीएस में सबसे सीनियर होने के नाते विश्वरंजन का जलजला था। रमन सिंह सरकार में उनका इतना दबदबा था कि उनका कहा कोई काट नहीं सकता था। अमन सिंह जैसे कद्दावर सिकरेट्री टू सीएम विश्वरंजन को पुराने मंत्रालय के लिफ्ट तक सीऑफ करने जाते थे। मंत्री लोगों को उनसे बात करने से पहले सोचना पड़ता था। तत्कालीन गृह मंत्री ननकीराम कंवर से हमेशा उनकी तनातनी चलती रही। गृह मंत्री मीडिया से लेकर सीएम तक उनकी शिकायतें करते रहे। नक्सली मामलों को लेकर कई बार पुलिस की अक्षमता पर भी उन्होंने बयान दिया था। मगर विश्वरंजन के सम्मान को लेकर सरकार काफी संजीदा थी। वे छत्तीसगढ़ के पहले डीजीपी होंगे, जिनका कारकेट चलता था। आगे पायलट गाड़ी, पीछे फॉलो वाहन। विश्वरंजन का ये रुआब था कि वे जिस रास्ते से निकल जाते थे, ट्रैफिक रोक दी जाती थी। किसी कार्यक्रम में गए तो उनके आगे-पीछे 10-20 जवान होते थे। कह सकते हैं कि उन्होंने छत्तीसगढ़ में डीजीपी के तौर पर फुल इन्ज्वाय किया।
चुनाव आयोग ने हटाया
2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान रायपुर में चुनाव के संबंध में मीटिंग थी। इसमें डीजीपी को भी बुलाया गया था। अब विश्वरंजन जैसे आईपीएस जूनियर आईएएस, आईपीएस के साथ बैठे...इसमें गड़बड़ तो होना ही था। मीटिंग में तत्कालीन मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से उनकी किसी बात पर नोकझोंक हो गई। अब सरकार के वे बेहद करीबी तो थे ही....केंद्र में उस समय यूपीए की सरकार थी। सो, सरकार की मदद का आरोप लगाते उन्हें हटा दिया गया। चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़ सरकार से तीन नामों को पेनल मंगा कर अनिल नवानी को डीजीपी अपाइंट कर दिया था। आचार संहिता हटने के बाद हालांकि सरकार ने फिर से उन्हें डीजीपी नियुक्त कर दिया था।
बेआबरु होकर तेरे कुचे से निकले
विश्वरंजन करीब पौने चार साल डीजीपी रहे। जुलाई 2007 से लेकर 13 जुलाई 2011 तक। बीच में लोकसभा चुनाव के समय दो महीने अनिल नवानी डीजी पुलिस रहे। विश्वरंजन ने जिस जलजले के साथ डीजीपी की पारी खेली, उनकी बिदाई उतने ही खराब रही। बेआबरु होकर बोल सकते हैं। साल 2011 आते-आते सरकार के साथ उनकी खटर-पटर शुरू हो गई थी। तब भी बातें अंदर ही रही। कभी सतह पर नहीं आई। सिवाय गृह मंत्री ननकी राम के बयानों के अलावे। मगर पता नहीं अंदरखाने में ऐसा क्या हुआ कि रमन सिंह को बड़ा और आश्चर्यजनक फैसला लेने पर विवश कर दिया। 13 जुलाई 2011 को वे बेटी से मिलने अहमदाबाद जा रहे थे। यहां से सुबह दिल्ली गए और वहां से फिर करीब तीन बजे अहमदाबाज एयरपोर्ट पर लैंड किए। फ्लाइट से निकलकर वे बैग लेने गए, उसी समय उनके मोबाइल फोन की घंटी बजी। फोन चीफ सिकरेट्री पी0 जाय उम्मेन का था। उन्होंने एक लाईन का सरकार का संदेश उन्हें दिया...आपकी जगह अनिल नवानी को छत्तीसगढ़ का नया डीजीपी बनाया गया है। समझा जा सकता है कि विश्वरंजन पर क्या गुजरी होगी। विश्वरंजन को होम गार्ड के डीजी के साथ पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन का प्रमुख बनाया गया। सरकार के इस फैसले से पुलिस महकमा ही नहीं, पूरी ब्यूरोक्रेसी हिल गई थी।