CG Officer: छत्तीसगढ़ में किसी मंत्री या संसदीय सचिव का भृत्य बनकर मंत्रालय में डिप्टी सिकरेट्री तक पहुंच सकते हैं...

CG Officer: छत्तीसगढ़ में अधिकारी बनने के लिए पीएससी या व्यापम की परीक्षा ही एकमात्र जरिया नहीं है। आप किसी मंत्री या संसदीय सचिव का भृत्य बन जाइये, मंत्रालय में सेक्शन ऑफिसर से लेकर डिप्टी सिकरेट्री तक पहुंच सकते हैं। इस समय मंत्रालय में भृत्य कैडर से 34 अफसर हैं।

Update: 2025-06-12 08:32 GMT

CG Officer: रायपुर। पिछले दिनों सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने अटैचमेंट समाप्त करने के संदर्भ में एक आदेश निकाला था, जिसमें उन्होंने कड़े लहजे में विभागों के सचिवों से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी थी। इसके पीछे मकसद यह था कि मंत्रालय में 200 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी बाहर से आकर काम कर रहे हैं। अधिकांश के बारे में जीएडी को सूचित भी नहीं गया है। बाहरी अधिकारियों, कर्मचारियों के चक्कर में मंत्रालय में अब बैठने की जगह का टोटा पड़ गया है।

जीएडी सिकरेट्री के इस पत्र के बाद पता चला कि विभागों के सचिव अपने अनुकूल काम कराने के लिए अपने पसंदीदा अधिकारियों, कर्मचारियों को मंत्रालय में अटैच कर लेते हैं। जाहिर है, इनमें कुछ काम वाले कर्मठ लोग होते हैं और कुछ अफसरों के बेहद करीब गुनतारा फिट करने वाले। मसलन, उनकी लेनेदेन का हिसाब रखने वाले।

मंत्रालय में अटैचमेंट की खबर पर रिसर्च करने पर पता चला कि मंत्रालय में एक बड़ा वर्ग भृत्य कैडर का है। इस समय 134 कर्मचारी, अधिकारी इसी वर्ग से ताल्लुकात रखते हैं। समय के साथ वे प्रमोशन पाकर अधिकारी का दायित्व संभाल रहे हैं। इस 134 में एक अंडर सिकरेट्री और 33 सेक्शन और असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर हैं। कुछ आरसा पहले तक एक डिप्टी सिकरेट्री भी रहे मगर उनका रिटायरमेंट हो गया है।

मंत्रियों और संसदीय सचिवों के भृत्य

मंत्रालय में सहायक ग्रेड से लेकर सेक्शन ऑफिसर, अंडर सिकरेट्री बनने वालों में आधे से अधिक मंत्रियों और संसदीय सचिवों के भृत्य होते हैं। चूकि, मंत्रालय में पांच साल में अनिवार्य प्रमोशन होता है। सो, मंत्रियों और संसदीय सचिवों के भृत्य मंत्रालय में जाने के पांच साल के बाद सहायक ग्रेड एक बन जाते हैं। उसके बाद फिर असिस्टेंट सेक्शन ऑसिफर, सेक्शन ऑसिफर से होते हुए अंडर सिकरेट्री और डिप्टी सिकरेट्री।

मंत्रियों और संसदीय सचिवों का कोटा

छत्तीसगढ़ सरकार ने मंत्रियों और संसदीय सचिवों के यहां काम करने वाले भृत्यों का कोटा तय कर रखा है। हर पांच साल में मंत्री को चार और संसदीय सचिवों के लिए दो पद का कोटा दिया गया है। याने इतने भृत्य हर पांच साल में मंत्रालय में रेगुलर भृत्य बनते हैं। हालांकि, मंत्रियों के यहां कलेक्टर दर पर काम करने वाले भृत्यों की संख्या असीमित होती है। मगर वे पांच साल बाद चार के नाम मंत्रालय में रेगुलर करने का प्रस्ताव भेज सकते हैं। छत्तीसगढ़ में अगर मुख्यमंत्री को मिलाकर 13 मंत्री हैं तो पांच साल में 52 लोग मंत्रालय में रेगुलर भृत्य बन जाते हैं। इसी तरह संसदीय सचिव 12 से 15 होते हैं तो दो के हिसाब से 24 से 30 उनके हो जाते हैं। मंत्रालय में रेगुलर होते ही ये भृत्य पांच साल बाद प्रमोशन प्राप्त करना प्रारंभ कर देते हैं। जाहिर है, यदि कोई भृत्य कम एज में मंत्री या संसदीय सचिव के यहां पहुंच गया होगा और उसका नाम रेगुलर के लिए मंत्रालय पहंच जाए तो वह डिप्टी सिकरेट्री तक पहुंच सकता है।

कोई मंत्री 15 साल तो...

छत्तीसगढ़ में 2003 से लेकर 2018 तक 15 साल बीजेपी की सरकार रही। उस दौरान 15 साल वाले कई मंत्री रहे। 15 साल वाले मंत्रियों के यहां से हर पांच साल में चार के हिसाब से मंत्रालय में 12 रेगुलर प्यून बनें। उनमें से अधिकांश आज की तारीख में सेक्शन या असिस्टेंट सेक्शन ऑसिफर बन गए हैं।

पहली बार ब्रेक हुआ

मंत्रियों द्वारा अनुशंसित दैनिक वेतन भोगी भृत्यों को मंत्रालय में रेगुलर करने का इस बार पहली बार ब्रेक हुआ है। 2018 में बीजेपी के चुनाव हारने के बाद कांग्रेस सरकार ने भाजपा सरकार के सभी मंत्रियों के भृत्यों को मंत्रालय में रेगुलर किया था। मगर दिसंबर 2023 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के भृत्यों को रेगुलर नहीं किया गया।

रिफार्म की कोशिश

विष्णुदेव सरकार द्वारा 2018 से 23 तक कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और संसदीय सचिवों के भृत्यों को रेगुलर नहीं करने के पीछे रिफार्म से जोड़कर देखा जा रहा है। सरकार में बैठे लोगों का मानना है कि पिछली सरकार के मंत्रियों के अधिकांश भृत्यों का सीआर अच्छा नहीं है। फिर मंत्रालय में रिफार्म की कोशिशें भी की जा रही हैं।

प्यून की भर्ती, वित को फायदा

यदि पिछली सरकार के मंत्रियों और संसदीय सचिवों के भृत्यों को रेगुलर किया जाता तो 80 से 85 भृत्य मंत्रालय को मिल जाते। मगर सरकार ने इससे इंकार कर दिया, सो जीएडी को 84 भृत्यों की भर्ती करनी पड़ गई। क्योंकि पिछले पांच साल में काफी संख्या में मंत्रालय के चपरासी रिटायर हो गए थे। हालांकि, इससे वित को फायदा हो गया। भृत्यों को रेगुलर करने पर उन्हें 40 हजार वेतन देना पड़ता, अब 20 हजार में चपरासी मिल गए हैं।

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