CG IAS News: रिटायर IAS की बेटी पर फर्जी जाति सर्टिफिकेट बनाने का आरोप, आरक्षित सीट से चुनी गई जिला पंचायत अध्यक्ष, जांच कमेटी गठित

CG IAS News: छत्तीसगढ़ के एसीएस पद से रिटायर आईएएस अधिकारी की बेटी के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप लगा है। मोहला-मानपुर जिला प्रशासन ने इसकी जांच के लिए छानबीन कमेटी का गठन किया गया है। बताते हैं, आईएएस ओड़िसा के रहने वाले थे, उनकी बेटी का जन्म भी ओड़िसा में हुआ मगर जाति प्रमाण पत्र बना छत्तीसगढ़ में। जबकि, नियमानुसार जाति प्रमाण पत्र ओडिसा में बनना था।

Update: 2025-06-20 06:58 GMT

CG IAS News: रायपुर। छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला सामने आया है। जिला पंचायत अध्यक्ष नम्रता सिंह पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी अनुसूचित जनजाति (एसटी) प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर चुनाव लड़ा और आरक्षित सीट से जीतकर अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुई।

शिकायत के अनुसार, नम्रता जैन द्वारा प्रस्तुत एसटी प्रमाण पत्र 26 दिसंबर 2019 को जारी हुआ था, लेकिन उसकी वैधता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। आरोप यह भी है कि यह प्रमाण पत्र तत्कालीन संयुक्त कलेक्टर चंद्रिका प्रसाद बघेल द्वारा बिना उचित सत्यापन के जारी कर दिया गया था, जो अब भ्रष्टाचार के दायरे में आ गया है।

जन्म ओडिशा में, जाति प्रमाण पत्र छत्तीसगढ़ से

शिकायत में कहा गया है कि नम्रता सिंह के पिता स्व. नारायण सिंह ओडिशा के मूल निवासी थे। वे छत्तीसगढ़ कैडर के 1977 बैच के आईएएस अधिकारी रहे। 1950 से पहले परिवार का छत्तीसगढ़ से कोई संबंध नहीं है। निवास प्रमाण, न राजस्व रिकॉर्ड, और न ही ग्राम सभा की अनुशंसा।

संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार, एक राज्य की अनुसूचित जनजाति पहचान दूसरे राज्य में मान्य नहीं होती। यानी ओडिशा की जनजातीय पहचान छत्तीसगढ़ में वैध नहीं है। फिर भी प्रमाण पत्र जारी होना गंभीर सवाल खड़ा करता है।

758 मामलों में 267 फर्जी प्रमाण पत्र

सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 से 2020 तक छत्तीसगढ़ में 758 फर्जी एसटी प्रमाण पत्र के मामले उजागर हुए हैं, जिनमें से 267 प्रमाण पत्र रद्द किए गए। ऐसे में मोहला का यह ताजा मामला प्रशासनिक व्यवस्था की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है।

जांच कमेटी गठित

एसडीएम मोहला द्वारा 26 मई 2025 को जारी पत्र में नम्रता सिंह जाति केस में जांच समिति के गठन की पुष्टि की गई है। शिकायतकर्ता विवेक सिंह ने मांग की है कि जांच 15 दिनों के भीतर पूरी कर दोषी पाए जाने पर तुरंत कार्रवाई हो। साथ ही पंचायत राज अधिनियम के तहत अध्यक्ष को पदमुक्त किया जाए।

आईएएस थे आदिवासी

नारायण सिंह छत्तीसगढ़ में एसीएस रहे। उसके बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल का चेयरमैन बने और वहीं से 2013 में रिटायर हुए। इसके बाद सरकार ने उन्हें पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग देते हुए बिजली विनियामक आयोग का चेयरमैन बनाया था। नारायण सिंह बेशक आदिवासी थे मगर उनकी बेटी ने ओड़िसा की बजाए छत्तीसगढ़ से जाति प्रमाण पत्र क्यों बनवाया, यह अपने आप में एक सवाल है। इस संदर्भ में एनपीजी न्यूज ने नम्रता सिंह से बात करने का प्रयास किया मगर उनसे संपर्क नहीं हो पाया।



 


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