Bilaspur Highcourt news:– पॉलिटेक्निक कॉलेज के अनुभव के आधार पर आईटीआई में ट्रेनिग ऑफिसर के पद पर नियुक्ति नहीं, पद सुरक्षित रखने के निर्देश

Update: 2023-09-27 16:34 GMT

Bilaspur Highcourt news:– पॉलिटेक्निक कॉलेज के अनुभव के आधार पर आईटीआई में ट्रेनिग ऑफिसर के पद पर नियुक्ति नहीं, पद सुरक्षित रखने के निर्देशबिलासपुर। आईटीआई में ट्रेनिंग ऑफिसर के रिक्त पदों पर हो रही भर्ती में पॉलिटेक्निक कालेज के अनुभव प्रमाण पत्र को अमान्य करने पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने सभी याचिकाकर्ताओं के लिए एक एक पद सुरक्षित रखने के निर्देश देते हुए मामले का दस दिन में निराकरण करने का आदेश दिया।

बिलासपुर जिले के तखतपुर निवासी रमाकांत चंद्राकर को ट्रेनिंग ऑफिसर (कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग असिस्टेंट) के पद पर नियुक्ति हेतु अपात्र किए जाने के विरुद्ध उन्होंने अधिवक्ता मतीन सिद्धिकी द्वारा याचिका दायर की थी।

याचिका में उन्होंने बताया कि रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा तृतीय श्रेणी के प्रशिक्षण अधिकारी के पदों पर नियुक्ति हेतु विभागीय विज्ञापन जारी किया गया था जिसमें प्रशिक्षण अधिकारी कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग असिस्टेंट के पद हेतु मान्यता प्राप्त बोर्ड से हाई स्कूल अथवा समतुल्य अथवा पुरानी पद्धति से 11वीं परीक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए तथा अनुभव संबंधित क्षेत्र के व्यवसाय संकाय में 1 वर्ष का शैक्षणिक अनुभव होना चाहिए उपरोक्त आहर्ताएं पूर्ण होने पर रमाकांत चंद्राकर द्वारा प्रशिक्षण अधिकारी के पद हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिस पर विभाग द्वारा 18 अगस्त 2023 को दस्तावेज सत्यापन हेतु पत्र जारी किया था दस्तावेज सत्यापन हेतु 20 अगस्त 2023 को उपस्थित होने पर छानबीन समिति द्वारा यह कहकर रामाकांत चंद्राकर को अपात्र कर दिया कि उनके द्वारा जमा की गई अनुभव प्रमाण पत्र आईटीआई पॉलिटेक्निक या इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा जारी नहीं किया गया है तथा आय प्रमाण पत्र अपलोड नहीं है। जिससे क्षुब्ध होकर रमाकांत चंद्राकर ने अधिवक्ता मतिन सिद्दीकी और घनश्याम कश्यप और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की।

याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल के सिंगल बेंच कोर्ट में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी द्वारा यह आधार लिया गया कि विज्ञापन में यह कहीं भी उल्लेख नहीं था कि अनुभव प्रमाण पत्र आईटीआई पॉलिटेक्निक या इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा जारी किया गया हो। तथा याचिकाकर्ता ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर संवर्ग से है तथा वेरिफिकेशन के समय इनके द्वारा आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया था। इसलिए इनको अपात्र करना न्याय संगत नहीं है।

उपरोक्त आधारों पर न्यायालय ने उत्तर वादी संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण को निर्देशित किया कि प्रशिक्षण अधिकारी (कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग असिस्टेंट) का एक पद याचिकाकर्ता हेतु सुरक्षित रखें। तथा याचिकाकर्ता को भी यह निर्देश दिया गया कि एक विस्तृत आवेदन उत्तरवादी संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण के समक्ष पांच दिवस के अंतर्गत प्रस्तुत करेंगे। तथा संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण 10 दिवस के अंतर्गत प्रकरण का निराकरण संबंधित नियम एवं कानून के तहत निराकरण करना हेतु निर्देश दिए हैं। इसी प्रकार अजय कुमार यादव, त्रिभुवन प्रकाश बंजारे, मनोज, गिरीश कुमार देशमुख, धर्मेंद्र कुमार साहू, श्याम वर्मा, माधुरी वर्मा, धनेश्वरी सूर्यवंशी, जय श्री साहू, प्रीति मौर्या और और सुप्रिया बंजारे द्वारा दायर किए गए याचिकाओ पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने याचिकताओ के लिए एक-एक पद सुरक्षित रखने के निर्देश देते हुए अभ्यावेदन का निराकरण करने के निर्देश दिए हैं।

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