Bilaspur High Court: जूनियर अपने सीनियर अफसरों के आदेश की कर रहे अवहेलना: नाराज हाई कोर्ट की तल्खी
Bilaspur High Court: सरफेसी एक्ट के तहत बंधक जमीन का कब्जा दिलाने के लिए कलेक्टर ने तहसीलदार को निर्देश जारी किया था। तहसीलदार ने कलेक्टर के आदेश का क्रियान्वयन की जिम्मेदारी अतिरिक्त तहसीलदार को सौंपी थी। उसने केवल खानापूर्ति कर दी है। बैंक प्रबंधन ने अफसरों द्वारा किए जा रहे टालमटोल को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर किया है। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की नाराजगी सामने आई। नाराज कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्यजनक बात है कि मातहत अफसर अपने सीनियर के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। पढ़िए हाई कोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर को क्या आदेश जारी किया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। सरफेसी एक्ट के तहत बंधक जमीन का कब्जा दिलाने के लिए कलेक्टर ने तहसीलदार को निर्देश जारी किया था। तहसीलदार ने कलेक्टर के आदेश का क्रियान्वयन की जिम्मेदारी अतिरिक्त तहसीलदार को सौंपी थी। उसने केवल खानापूर्ति कर दी है। बैंक प्रबंधन ने अफसरों द्वारा किए जा रहे टालमटोल को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर किया है। मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की नाराजगी सामने आई। नाराज कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्यजनक बात है कि मातहत अफसर अपने सीनियर के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीनियर अफसर द्वारा जारी किए गए आदेश को 11 महीने बीते गए हैं। इस पर आजतलक अमल नहीं हो पाया है।
याचिकाकर्ता एयू स्माल फाईनेंस बैंक लिमिटेड ने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। दायर याचिका में कहा है कि सरफेसी एक्ट के तहत बंधक संपत्ति का 30 दिनों के भीतर दिलाने के लिए कलेक्टर ने तहसीलदार को निर्देश जारी किया था। तहसीलदार ने कलेक्टर के आदेश का क्रियान्वयन करने के लिए मामला अतिरिक्त तहसीलदार रिद्धि गवेल को सौंप दिया था। याचिकाकर्ता फाइनेंस कंपनी ने अपनी याचिका में कहा है कि कलेक्टर बिलासपुर द्वारा7.12.2023 को पारित आदेश के परिपालन में कार्यपालक मजिस्ट्रेट तहसीलदार द्वारा बैंक को 11 महीने बाद भी कब्जा प्रदान नहीं किया गया। याचिका के अनुसार अतिरिक्त तहसीलदार रिद्धि गवेल द्वारा जारी बेदखली वारंट औपचारिकता निभाने वाला ही साबित हुआ। जिसमें दोनों ही अवसरों पर त्रुटिपूर्ण बेदखली वारंट के कारण आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
चालाकी या लापरवाही
याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त तहसीलदार द्वारा जारी बेदखली वारंट का जिक्र करते हुए कहा है कि जारी वारंट को त्रुटिपूर्ण कहा जाए या फिर लापरवाही या चालाकी। बेदखली वांरट में ए.यू स्माल फाइनेंस बैंक लिमिटेड के स्थान पर छ.ग राज्य ग्रामीण बैंक बिलासपुर को कब्जा सौपने का वारंट अतिरिक्त तहसीलदार बिलासपुर द्वारा जारी किया गया था। जिसकी वजह से आजतलक कब्जा नहीं मिल पाया है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कलेक्टर बिलासपुर को नोटिस जारी कर अपने ही आदेश का परिपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है।
क्या है सरफेसी एक्ट
SARFAESI अधिनियम उधारकर्ता को बैंकों और वित्तीय संस्थानों के किसी भी अवैध और धोखाधड़ी वाले कार्य से बचाने के लिए अधिकार प्रदान करता है। उधारकर्ता बिक्री पूरी होने से पहले किसी भी समय बकाया राशि का भुगतान कर सकते हैं। उधारकर्ता अधिकृत अधिकारियों द्वारा किए गए किसी भी अवैध कार्य के लिए मुआवजे के हकदार हैं।
क्या है सरफेसी अधिनियम 2002
बैंकिंग सिस्टम को मजबूत करने के लिए सरफेसी एक्ट लागू किया गया था।
यह अधिनियम अदालतों या कानून के हस्तक्षेप के बिना लेनदारों पर सुरक्षा हितों को लागू कर सकता है। बैंक या वित्तीय संस्थान अधिनियम के माध्यम से चूककर्ता को डिमांड नोटिस जारी कर सकते हैं। साठ दिनों के भीतर, चूककर्ताओं को सभी दायित्वों को पूरा करने की आवश्यकता है।
सरफेसी अधिनियम, 2002 बैंकरों या वित्तीय संस्थानों को उधारकर्ताओं के खिलाफ कानूनी उपाय करने की शक्ति देता है। बैंक RBI के नियमों के तहत कोई कब्जा या ऋण प्रतिबंध बेच सकते हैं या ले सकते हैं।
इस अधिनियम के तहत, बैंक या वित्तीय संस्थान उधारकर्ता से संपत्ति ले सकते हैं यदि वे ऋण नहीं चुका सकते हैं। वे बैंकों या NBFC द्वारा दिए गए ऋण से बनी संपत्ति ले सकते हैं।