Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने कहा- छोटी विभागीय सजा पाए अधिकारी व कर्मचारियों का एक वर्ष ही बाधित होगा प्रमोशन

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सब इंस्पेक्टर की याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी अधिकारी व कर्मचारी को विभाग प्रमुख द्वारा छोटी सजा सुनाई जाती है तो एक साल बाद वह पदोन्नति सहित अन्य सभी सुविधाओं का हकदार होगा। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के न्याय दृष्टांत का भी हवाला दिया है। याचिकाकर्ता सब इंस्पेक्टर कमल किशोर पटेल ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

Update: 2024-11-16 13:23 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सब इंस्पेक्टर की याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी अधिकारी व कर्मचारी को विभाग प्रमुख द्वारा छोटी सजा सुनाई जाती है तो एक साल बाद वह पदोन्नति सहित अन्य सभी सुविधाओं का हकदार होगा। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के न्याय दृष्टांत का भी हवाला दिया है।

सब इंस्पेक्टर कमल किशोर पटेल ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पदोन्नति का लाभ देने की गुहार लगाई है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कोर्ट को बताया है कि वर्ष 2021-22 में जिला रायगढ़ में पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ था। इस दौरान उसके विरूद्ध शिकायत प्राप्त होने पर एसपी रायगढ़ ने विभागीय जांच के पश्चात् छोटी सजा "एक वेतनवृद्धि एक वर्ष के लिये असंचयी प्रभाव से रोकने" के दंड से दण्डित किया था। जिसका प्रभाव एक वर्ष पश्चात् समाप्त हो जाता है। उसके बावजूद भी पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोशन से उसे वंचित कर दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई।

याचिकाकर्ता की ओर से सिंगल बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूनियन ऑफ इण्डिया विरूद्ध एससी. पाराशर के मामले में वर्ष 2006 में दिए गए फैसले व छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा डीएसपी मैक्सी मिलियन मिंज के मामले में दिए गए फैसले का हवाला दिया। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि असंचयी रूप से वेतनवृद्धि रोकने की विभागीय छोटी सजा प्राप्त होने पर उक्त अधिकारी व कर्मचारी को सिर्फ एक वर्ष के लिये वेतनवृद्धि एवं आगामी प्रमोशन से वंचित किया जायेगा। याचिकाकर्ता को 15.07.2022 को उक्त लघु दण्ड से दंडित किया गया था जिसका प्रभाव 01.07.2023 से प्रारंभ होकर 30.06.2024 तक होगा। उसके पश्चात् याचिकाकर्ता वेतनवृद्धि एवं उच्च पद पर प्रमोशन का पात्र होगा। अधिवक्ता पांडेय ने कोर्ट को बताया कि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा 11 अक्टूबर 2024 को जारी प्रमोशन आदेश में याचिकाकर्ता को लघु दण्ड के कारण इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन से वंचित कर दिया है।

 फैसले में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्याय दृष्टांत का किया जिक्र

मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि 30 जून 2024 को उक्त लघु दण्ड का प्रभाव समाप्त हो जाने पर याचिकाकर्ता 11 अक्टूबर 2024 को इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन के पात्र है। कोर्ट ने सचिव, गृह विभाग एवं पुलिस महानिदेशक को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता का लघु दंड समाप्त होने पर पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नति दी जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से विभाग के समक्ष नए सिरे से अभ्यावेदन पेश करने कहा है। कोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के न्याय दृष्टांत का भी हवाला दिया है

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