Supreme Court's decision in Jheeram case: झीरम कांड पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: छत्तीसगढ़ पुलिस करेगी जांच, एनआईए की याचिका खारिज
Supreme Court's decision in Jheeram case:बस्तर की झीरमघाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हुए नक्सली हमले के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस को अनुमति दे दी है।
Supreme Court's decision in Jheeram case: रायपुर। केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सुप्रीम कोर्ट से आज बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने एनआईए की याचिका को खारिज करते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस को मामले की जांच की अनुमति दे दी है। बात दें कि राज्य में सत्ता बदलने के बाद कांग्रेस ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। इसके साथ ही राज्य पुलिस ने एनआईए से मामले के दस्तावेज देने का आग्रह किया था। लेकिन एनआईए ने दस्तावेज देने से इनकार करते हुए राज्य पुलिस की जांच के आदेश को कोर्ट में चुनौती दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य पुलिस इस मामले की जांच कर सकेगी।
बताते चलें कि यह घटना 13 मई 2013 में हुई थी। कांग्रेस ने पूरे राज्य में परिवर्तन यात्रा का आयोजन किया था। इस यात्रा का बस्तर में आयोजन किया गया। इसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा सहित कई बड़े नेता शामिल थे। कांग्रेस नेताओं का यह काफिला जब झीरम घाटी से गुजर रहा था तब नक्सलियों ने हमला कर दिया। इस घटना में 30 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें कांग्रेस नेता और सुरक्षा कर्मी सहित अन्य शामिल थे।
(सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुए मुदलियार के वकील सुदीप श्रीवास्तव)
इस आधार पर जांच करना चाह रही है राज्य पुलिस
राज्य सरकार का कहना है कि एनआईए ने अपनी जांच में षडयंत्र के एंगल की जांच नहीं की है। इसी आधार पर राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद 2018 में नए सिरे से जांच की प्रक्रिया शुरू करी गई। सरकार ने एसआईटी का गठित की, लेकिन एनआईए ने दस्तावेज देने से मना कर दिया। एनआईए का तर्क था कि वह मामले की जांच कर रही है और चालान भी पेश कर चुकी है। इस बीच 2020 में झीरम हमले में मारे गए राजनांदगांव के पूर्व विधायक उदय मुदलियार के पुत्र जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाने में आवेदन दिया। इसके आधार पर पुलिस ने नया एफआईआर दर्ज किया और जांच करने लगी। एनआईए इस जांच को रोकने के लिए कोर्ट गई थी। लोवर कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक मामला चला, लेकिन सभी जगह राज्य पुलिस के पक्ष में फैसला आया।