Education News: CG शिक्षकों को झटका: शिक्षकों के फेवर वाले हाईकोर्ट के इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती...

Education News: क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर को शिक्षिका सोना साहू के मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले को चुनोती देते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी है। सरकार के इस कदम से प्रदेश के 50 हजार शिक्षकों को झटका लगा है।

Update: 2024-12-14 08:35 GMT

Education News: बिलासपुर। शिक्षाकर्मियों व शिक्षक एलबी जिन्होंने 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है, जिन्होंने क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, राज्य शासन के ताजा फैसले से जोर का झटका लगा है। राज्य शासन ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनोती देते हुये सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी है।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुते महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि राज्य शासन ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनोती देते हुये सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी है।

ये है मामला

01.05.2012 को याचिकाकर्ता एवं अन्य समान स्थिति वाले शिक्षकों, जिन्होंने 07 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, को 23.07.2013 के आदेश के तहत समयमान वेतनमान स्वीकृत किया गया था। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 17.05.2013 को परिपत्र जारी किया था, जिसके अनुसार 08 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके शिक्षक (पंचायत संवर्ग) सरकारी शिक्षकों के समकक्ष वेतनमान पाने के हकदार हैं। 17.05.2013 के आदेश के अनुपालन में याचिकाकर्ता सोना साहू एवं अन्य समान स्थिति वाले शिक्षकों को 06.04.2015 के आदेश के तहत संशोधित वेतनमान स्वीकृत किया गया था। विभाग द्वारा 02.11.2011 को यह निर्णय भी लिया गया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षाकर्मी जिन्होंने 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है तथा अभी तक पदोन्नत नहीं हुए हैं, उन्हें स्टेप-अप वेतनमान की पात्रता होग। ,बाद में परिपत्र 14.11.2014 के माध्यम से राज्य शासन द्वारा 02.11.2011 को नि रस्त कर दिया गया।

 कोर्ट के सामने पेश की दलीलें

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले ही 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, इसलिए वह पदोन्नत वेतनमान की हकदार है। क्योंकि उसे पदोन्नत नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि 10.03.2017 के परिपत्र के अनु- सार 10 वर्ष पूरे होने के बाद सहायक शि-क्षक प्रथम पदोन्नत वेतनमान पाने के हक-दार होंगे और 20 वर्ष बाद द्वितीय पदोन्नत वेतनमान के हकदार होंगे। उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले याचिकाकर्ता ने WP(S) संख्या 10282/2019 दायर की थी, जिसमें राजा राम सिंह एवं अन्य बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य पक्षकार हैं, और 06.12.2019 के आदेश के अनुसार इसका निपटारा किया गया था। जिसमें याचिकाकर्ताओं को अधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने की स्वतंत्रता दी गई थी और बदले में, अधिकारियों को अभ्या वेदन पर विचार करने का निर्देश दिया गया।

01.05.2012 को याचिकाकर्ता एवं अन्य समान स्थिति वाले शिक्षकों, जिन्होंने 07 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, को 23.07.2013 के आदेश के तहत समयमान वेतनमान स्वीकृत किया गया था। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 17.05.2013 को परिपत्र जारी किया था, जिसके अनुसार 08 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके शिक्षक (पंचायत संवर्ग) सरकारी शि- क्षकों के समकक्ष वेतनमान पाने के हकदार हैं। 17.05.2013 के आदेश के अनुपालन में याचिकाकर्ता एवं अन्य समान स्थिति वाले शिक्षकों को 06.04.2015 के आदेश के तहत संशोधित वेतनमान स्वीकृत किया गया था। विभाग द्वारा दिनांक 02.11.2011 को यह निर्णय भी लिया गया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षाकर्मी जिन्होंने 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है तथा अभी तक पदोन्नत नहीं हुए हैं, उन्हें स्टेप-अप वेतनमान की पात्रता होगी, तथापि, बाद में परिपत्र दिनांक 14.11.2014 के माध्यम से राज्य शासन द्वारा परिपत्र दिनांक 02.11.2011 को निरस्त कर दिया गया।

 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, इसलिए वह पदो न्नत वेतनमान की हकदार

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले ही 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, इसलिए वह पदो न्नत वेतनमान की हकदार है क्योंकि उसे पदोन्नत नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि 10.03.2017 के परिपत्र के अनु- सार 10 वर्ष पूरे होने के बाद सहायक शि- क्षक प्रथम पदोन्नत वेतनमान पाने के हक- दार होंगे और 20 वर्ष बाद द्वितीय पदोन्नत वेतनमान के हकदार होंगे। उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले याचिकाकर्ता ने WP(S) संख्या 10282/2019 दायर की थी, जिसमें राजा राम सिंह एवं अन्य बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य पक्षकार हैं, और दिनांक 06.12.2019 के आदेश के अनुसार इसका निपटारा किया गया था, जिसमें याचिकाकर्ताओं को अधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन करने की स्वतंत्रता दी गई थी और बदले में, अधिकारियों को अभ्या- वेदन पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। याचिकाकर्ता ने जनपद पंचायत सीईओ के समक्ष अभ्यावेदन दिया, जिसने याचि-काकर्ता के दावे को 29.02.2020 के आदेश के आधार पर इस आधार पर खारिज कर दिया कि 02.11.2011 के परिपत्र को पूर्वव्यापी प्रभाव से रद्द कर दिया गया है और इसलिए, शिक्षक (पं-चायत संवर्ग), जिन्होंने 30.04.2013 के बाद 08 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है और जिन्हें पदोन्नत नहीं किया गया है, उन्हें पदो-न्नत नहीं किया जाएगा।

 उन्नत वेतनमान पाने के हकदार

याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा लिया गया निर्णय 10.03.2017 के परिपत्र के विपरीत, 14.11.2014 के परिप- त्र द्वारा निरस्त कर दिया गया है। 23.09.2019 के परिपत्र द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के पंचायत निदेशालय ने 10 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों को स्टेप अप वेतनमान प्रदान करने के संबंध में मार्गदर्शन जारी किया है। 23.09.2019 के पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि जिन शिक्षकों ने 30.04.2013 के बाद 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है और जिन्हें पदोन्नति नहीं दी गई है, वे स्टेप अप वेतनमान के हकदार नहीं हैं।

 अभ्यावेदन को किया अस्वीकार

इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ता को 29.07.2005 को शिक्षाक- ग्रेड- III के पद पर नियुक्त किया गया था। 01.05.2012 को याचिकाकर्ता और इसी तरह के अन्य शिक्षकों ने 07 वर्ष की सेवा पूरी कर ली थी और उन्हें 23.07.2013 के आदेश के अनुसार समय मान वेतन दिया गया था। 02.11.2011 को पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षाकर्मियों को स्टेप अप वेतनमान देने के लिए एक परिपत्र जारी किया था, जिन्होंने 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, लेकिन पदोन्नति नहीं हुई है। हालांकि, बाद में, परिपत्र/आदेश 14.11.2014 के तहत, राज्य सरकार ने 02.11.2011 के परिपत्र को पूर्वव्यापी प्र भाव से रद्द कर दिया। तत्पश्चात, राज्य सरकार ने पुनः पत्रांक 23.09.2019 द्वारा मार्गदर्शन जारी किया, जिसके द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि जिन शिक्षकों ने 30.04.2013 के बाद 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है तथा उन्हें पदोन्नति नहीं दी गई है, कर ली है तथा उन्हें पदोन्नति नहीं दी गई है, वे स्टेप-अप वेतनमान के हकदार नहीं हैं।

हाई कोर्ट का फैसला

दस्तावेजों के अवलोकन से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने 30.04.2013 के बाद 10 वर्ष की सेवा पूरी नहीं की है, इसलिए, याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन को मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जनपद पंचायत रामानुजनगर, जिला सूरजपुर (छ.ग.) द्वारा सही तरीके से खारिज कर दिया गया है। परिणामस्वरूप, याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत याचिका स्वीकार किए जाने योग्य है।

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