CG Liquor Scam: शराब घोटाले में अनवर ढेबर समेत दो गिरफ्तार, एसीबी की बड़ी कार्रवाई
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CG Liquor Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल में कथित तौर पर हुए तीन हजार करोड़ के शराब घोटाला में ईडी की गिरफ्तारी के बाद से जेल बंद अरविंद सिंह को एसीबी ईओडब्लू ने कल शाम फिर से गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया है। ईडी की एफआईआर पर एसीबी के द्वारा, इस मामले में पहली गिरफ्तारी है। ब्यूरो ने आज इसी मामले में रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया है। ढेबर इसी मामले में पहले भी गिरफ्तार हो चुके हैं। अभी वे जमानत पर थे, लेकिन एसीबी ने आज फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
एसीबी सूत्रों के अनुसार कुम्हारी टोल प्लॉजा के पास से अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों के अनुसार अरविन्द सिंह इस घोटाले की अहम कड़ी रहा है। वह रकम कलेक्शन के साथ साथ बोतलों में लगने वाले होलोग्राम युक्त ढक्कन बनाने वाली फर्म का संचालक भी था। वह ईडी की गिरफ्त में आने के बाद से जेल में बंद था। 2 अप्रैल को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद अरविंद कल शाम जेल से रिहा हुआ था और एसीबी ने जेल से निकलते ही उसे हिरासत में लिया। रात भर पूछताछ के बाद आज दोपहर विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में रिमांड लेने आवेदन पेश किया। एसीबी ने अरविन्द सिंह को सात दिन की रिमांड पर मांगा है।
शराब घोटाला: कौन है शराब घोटाले का मास्टर माइंड, किसे कितना मिलता था हिस्सा, पढ़ें ED के आवेदन पर EOW में दर्ज FIR
रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए कथित शराब घोटला का मास्टर माइंड कौन है। यह घोटल हुआ कैसे। ईडी की सूचना पर जिन 68 लोगों के नाम पर एफआईआर दर्ज की गई है घोटाला में उनकी भूमिका क्या है। शराब से हुई कमाई का कितना हिस्सा किस अफसर और नेता को मिला। इस पैसे को नेताओं और अफसरों ने कहां और कैसे निवेश किया। इन सभी प्रश्नों का जवाब एफआईआर में भी मौजूद हैं।
जानिए...कौन है शराब घोटाला का मास्टर माइंड
ईडी की सूचना के आधार पर ईओडब्ल्यू में दर्ज एफआईआर में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्टर माइंड बताया गया है। एफआईआर में शामिल बाकी आईएएस व अन्य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस अफसर हैं, जब यह घोटाला हुआ तब वे वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी थे। वहीं, ढेबर कारोबारी हैं। एफआईआर के अनुसार ढेबर और टुटेजा ने मिलकर पूरी प्लानिंग की थी।
इन लोगों ने परिवार के सदस्यों के नाम पर किया निवेश
एफआईआर के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं, त्रिपाठी ने अपनी पत्नी अपनी पत्नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। वहीं, ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया।
जानिए...शराब घोटाला में क्या है विवेक ढांड की भूमिका
एफआईआर में छत्तीगसढ़ के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का भी नाम है। ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। रिपोर्ट के अनुसार इस बात का खुलासा 2020 में ढांड के यहां आयकर विभाग के सर्च के दौरान मिले दस्तावेजों से हुआ है।
जानिए.. मंत्री लखमा और सचिव दास को कितना मिलता था कमीशन
प्रदेश में बड़े स्तर पर हुए शराब घोटाला में तत्कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये हिस्सा मिलता था। एफआईआर के अनुसार लखमा के साथ ही विभागीय सचिव आईएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की तरफ से 50 लाख रुपये हर महीने दिया जा रहा था।