CG Liquor Scam: CG शराब घोटाला: अनवर ढेबर और अरविंद सिंह की रिमांड मंजूर, अब इस तारीख तक रहेंगे EOW की हिरासत में...

CG Liquor Scam: छत्‍तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला में गिरफ्तार रायपुर के मेयर के भाई अनव ढेबर और अरविंद सिंह को आज एसीबी-ईओडब्‍ल्‍यू ने कोर्ट में पेश किया। ब्‍यूरो ने दोनों आरोपियों की रिमांड की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।

Update: 2024-04-08 14:19 GMT

CG Liquor Scam: रायपुर। शराब घोटाला के आरोप में पकड़े गए रायपुर मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर और अरविंद सिंह अब 12 अप्रैल तक ईओडब्‍ ल्‍यू- एसीबी की हिरासत में रहेंगे। दोनों आरोपियों की रिमांड की मियाद पूरी होने पर ब्‍यूरो ने उन्‍हें रायपुर के स्‍पेशल कोर्ट में पेश किया। ब्‍यूरो ने आरोपियों से पूछताछ के लिए रिमांड बढ़ाने की मांग की, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। दोनों आरोपी अब 12 अप्रैल तक ब्‍यूरो की रिमांड पर रहेंगे। बता दें  कि छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल में कथित तौर पर हुए तीन हजार करोड़ के शराब घोटाला में ईडी की गिरफ्तारी के बाद से जेल बंद अरविंद सिंह और अनवर ढेबर को एसीबी-ईओडब्‍ल्यू ने 4 दिन पहले गिरफ्तार किया था।

शराब घोटाला: कौन है शराब घोटाले का मास्‍टर माइंड, किसे कितना मिलता था हिस्‍सा, पढ़ें ED के आवेदन पर EOW में दर्ज फिर

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में हुए कथित शराब घोटला का मास्‍टर माइंड कौन है। यह घोटल हुआ कैसे। ईडी की सूचना पर जिन 68 लोगों के नाम पर एफआईआर दर्ज की गई है घोटाला में उनकी भूमिका क्‍या है। शराब से हुई कमाई का कितना हिस्‍सा किस अफसर और नेता को मिला। इस पैसे को नेताओं और अफसरों ने कहां और कैसे निवेश किया। इन सभी प्रश्‍नों का जवाब एफआईआर में भी मौजूद हैं।

ईडी की सूचना के आधार पर ईओडब्‍ल्‍यू में दर्ज एफआईआर में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्‍टर माइंड बताया गया है। एफआईआर में शामिल बाकी आईएएस व अन्‍य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्‍सा इन्‍हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस अफसर हैं, जब यह घोटाला हुआ तब वे वाणिज्‍य एवं उद्योग विभाग के संयुक्‍त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्‍तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी थे। वहीं, ढेबर कारोबारी हैं। एफआईआर के अनुसार ढेबर और टुटेजा ने मिलकर पूरी प्‍लानिंग की थी।

एफआईआर के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्‍त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं, त्रिपाठी ने अपनी पत्‍नी अपनी पत्‍नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। वहीं, ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया।

एफआईआर में छत्‍तीगसढ़ के पूर्व मुख्‍य सचिव विवेक ढांड का भी नाम है। ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। रिपोर्ट के अनुसार इस बात का खुलासा 2020 में ढांड के यहां आयकर विभाग के सर्च के दौरान मिले दस्‍तावेजों से हुआ है।

प्रदेश में बड़े स्‍तर पर हुए शराब घोटाला में तत्‍कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये हिस्‍सा मिलता था। एफआईआर के अनुसार लखमा के साथ ही विभागीय सचिव आईएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की तरफ से 50 लाख रुपये हर महीने दिया जा रहा था।

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