Sansad Sunil Soni Biography in Hindi: सांसद सुनील सोनी का जीवन परिचय...

Sanasd Sunil Soni Biography:– सांसद सुनील सोनी भाजपा की टिकट रायपुर लोकसभा से 2019 से पहली बार सांसद निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद दुबे को तीन लाख 48 हजार 664 मतों के भारी अंतर से चुनाव हराया है। सुनील सोनी बचपन से संघ के बाल स्वयं सेवक रहें है। उन्होंने राजनीति की शुरुआत छात्र राजनीति से की है। प्रदेश के कद्दावर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के पांच विधानसभा चुनावों का संचालन सुनील सोनी ने किया है। निगम की राजनीति करते हुए सुनील सोनी पहले पार्षद चुने गए, सभापति रहें, आरडीए के अध्यक्ष रहें। सुनील सोनी रायपुर नगर निगम के दो बार महापौर भी रहें।

Update: 2024-01-29 16:20 GMT

Sansad Sunil Soni Biography in Hindi: छत्तीसगढ़ के रायपुर लोकसभा सीट पर सांसद चुने जाने से पहले रायपुर में दो बार सुनील सोनी महापौर रहें हैं।संगठन के कई पदों पर भी किया काम। लंबे समय तक राजधानी रायपुर में नगर निगम के मेयर के पद पर रहे सुनील सोनी आज रायपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं। 17वीं लोकसभा चुनावों में बड़े अंतर से जीत दर्ज कर संसद पहुंचने वाले सुनील सोनी ने शुरुआत गली मोहल्ले की राजनीति से की। शुरुआत में कदम-कदम पर हार मिली। टिकट जुगाड़ने तक के लिए हौसला न रहा। लगा यह लड़ाई पहुंच वालों की है, अमीरों की है। उनके जैसे तंग हाथ वालों के लिए नहीं। पर मन था कि राजनीति में ही रम बैठा था। फिर हिम्मत जुटाई और आखिर एक मुकाम पर पहुंचे। कैसा रहा अब तक का सफर... आइए जानते हैं...

पिता से मिली संघर्ष की सीख

सुनील सोनी का जन्म 28 नवंबर 1961 में रायपुर के एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। पिता कंवर लाल सोनी और माता रुक्मणी देवी सोनी की छह संतानों में वे सबसे छोटे हैं। उनके पिता सोने-चांदी की कटिंग और रोलिंग का काम करते थे। परिवार बड़ा था, आमदनी कम। पिताजी जख्मी हाथों से बहते खून की परवाह किए बिना हर वक्त काम में जुटे रहते थे। जिम्मेदारियां जो इतनी थीं, लेकिन फिर भी उन्होंने सुनील का कालीबाड़ी स्कूल में दाखिला करवाया। उन दिनों उस स्कूल में दाखिला बड़ी बात थी। कालीबाड़ी में संपन्न परिवार से आए बच्चे भी पढ़ा करते थे। सोनी को जो जेब खर्च मिलता था, वह औरों के मुकाबले कम था। ऐसे में चंद्रमल्लिका पत्रिका के लिए काम किया। मैट्रिक के बाद दुर्गा कॉलेज में प्रवेश लिया। यहीं से राजनीति में आगे बढ़ने की भूख जागी।

100 रुपए नहीं मिले तो लगी ठेस

सुनील के पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में जाया करते थे। उनकी देखा-देखी सुनील भी सप्रे शाला में संघ की शाखा में जाने लगे। संघ, विद्यार्थी परिषद और भाजपा से जुड़ाव एक तरह से पिताजी की बदौलत ही हुआ। दुर्गा कॉलेज में बीकॉम करते वक्त उन्होंने कॉलेज सचिव पद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन देवजी पटेल से हार गए। एम. कॉम करते वक्त वे अध्य्क्ष पद के लिए चुनाव में खड़े हुए, लेकिन फिर हार ही हाथ लगी। सोनी के हाथ में डेढ़ सौ रुपए महीना पॉकेट मनी आती थी। अन्य छात्र नेताओं के साथ कदम मिलाना मुश्किल हो रहा था। ऐसे ही एक मौके पर सौ रुपए की जरूरत पड़ी। पिताजी रुपए देने को तैयार नहीं हुए। बहुत ठेस लगी। उन्होंने तय कर लिया कि अब पिताजी से पैसे नहीं लेने हैं। 1983 में अध्यक्ष पद के लिए दोबारा खड़े हुए। आर्थिक रूप से कमतर थे, जीत को लेकर नाउम्मीद भी थे, लेकिन छात्राओं ने जबरदस्त समर्थन दिया और सुनील सोनी चुनाव जीत गए।

और इस तरह मना लिया

अटलजी कोदुर्गा कॉलेज का अध्यक्ष बनने के बाद कुछ खास करने का मन हुआ जो ताउम्र यादों में दर्ज हो जाए। बहुत नामचीन व्यक्तियों के व्याख्यान हुए। सुनील के मन में ख्वाहिश जागी कि काश व्याख्यान माला का समापन अटल बिहारी बाजपेयी जी के व्याख्यान के साथ हो। वे बताते हैं "उन दिनों अटल जी कार्यसमिति की बैठक में भाग लेने रायपुर आए हुए थे। मैं उनसे आग्रह करने पहुंचा। पटवा जी, कैलाश जोशी और सकलेचा जी से आग्रह किया। वे नहीं माने। पिताजी से लगभग अबोला चल रहा था, फिर भी जाकर सीधे उनसे बात की। मदद मांगी। पिताजी पुराने संघी थे। वे मुझे लेकर कैलाश जोशी के पास गए। कैलाश जी ने कहा कि अटल जी को कार्यसमिति के बाद वापस लौटना है। समयाभाव है। पिताजी ने तेज आवाज में कहा कि आप एक बार अटल जी से पूछ लें। वे ना मानें तो कोई बात नहीं। आवाज अटल जी तक पहुंची। उन्होंने हमें बुलवा लिया। मैंने अपनी ख्वाहिश उन्हें बताई। वे मान गए। कार्यक्रम का संचालन बृजमोहन अग्रवाल जी ने किया। अटल जी का आकर्षण, उनकी शैली सब कुछ बस "अद्भुत' था। व्याख्यान से ऐसा माहौल बना कि उसे शब्दों में बयां करना मेरे बस में नहीं। अटल जी खुद भी ऐसे खो गए कि कार्यसमिति की बैठक में ही नहीं गए।'

ऐसे बढ़ती गई बृजमोहन से करीबी

राजनीति में जब सुनील उतरे तब बृजमोहन अग्रवाल का छात्र राजनीति में डंका बजता था। उनकी संपन्नता, उनके खर्चीले तौर-तरीकों से सुनील घबराते थे, लेकिन साल दर साल आगे बढ़ते हुए वे भी अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए। एक समय ऐसा भी आया कि वे बृजमोहन के बेहद करीबी हो गए। यहां तक कि बृजमोहन के पांच विधानसभा चुनावों का संचालन सुनील सोनी के ही जिम्मे था।

आगे का सफर

इसके बाद सोनी भाजपा जिला कमेटी से जुड़े। रायपुर नगर निगम में पार्षद चुने जाने के बाद वे साल 2000 से 2003 तक सभापति रहे। 2004 से 2010 तक रायपुर नगर निगम के महापौर रहे। इसके बाद 2011 से 2013 तक रायपुर डेवलपमेंट अथॉरटी के अध्यक्ष रहे। 2014 में भाजपा संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष बने। मई 2019 मं1 सत्रहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।

सुनील सोनी के परिवार में उनकी पत्नी तारा देवी सोनी और दो बच्चे हैं। उन्हें रायपुर से बेहद लगाव है। इसकी गलियों से ही उन्होंने राजनीति का कखग सीखा। आज सांसद हैं पर महापौर के अपने कार्यकाल को आज भी याद करते हैं। मानते हैं कि शहर के विकास से ही प्रदेश का विकास होता है। रोजगार मिलते हैं और जनता के साथ देश का भी भला होता है। इसलिए चाहे आप किसी भी पार्टी से हों, दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने शहर, अपने राज्य, अपने देश के लिए साझा प्रयास करने चाहिए। सुनील सोनी का व्यवसाय ज्वैलर के साथ ही फार्मर का व्यवसाय है।

सुनील सोनी 2003 से 2010 तक दो बार रायपुर के महापौर रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ कर सुनील सोनी ने 837902 वोट हासिल किए। उनके प्रतिद्वंदी रहें कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद दुबे को 489664 वोट मिले थे। 13 अक्टूबर 2019 को वे संसद की स्टेंडिंग कमेटी ऑन हाउसिंग अर्बन अफेयर के मेंबर बने। 9 अक्टूबर 2019 को संसद की वेतन एवं भत्तों को लेकर बनी संयुक्त समिति के सदस्य बनें। वन एवं पर्यावरण जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के परामर्श दात्री कमेटी के सदस्य बनें।

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