Premanand Ji Maharaj Biography: विराट कोहली से लेकर मोहन भागवत तक हैं इनके अनुयायी, जानिए प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय
Premanand Ji Maharaj Biography: भक्ति और आस्था की शक्ति क्या होती है, यह अगर किसी जीवित संत से जाननी हो तो प्रेमानंद जी महाराज का जीवन अच्छा उदाहरण है. एक गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्मे, घर-परिवार से बाल्यकाल में ही विरक्त होकर साधु जीवन अपनाने वाले प्रेमानंद जी महाराज आज श्री राधा रानी के परमहंस भक्तों में गिने जाते हैं. उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और सेवा की अद्भुत मिसाल है. आइये जानते हैं (Premanand Ji Maharaj Biography) प्रेमानंद जी महाराज के जीवन की पूरी जानकारी.

Premanand Ji Maharaj Biography: जहाँ एक तरफ कलयुग में लोगों के जीवन की दिशा बदल दी है, ऐसे समय में एक संत, जो भगवान की भक्ति में लीन हैं, अपने जीवन से लाखों लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं वे हैं प्रेमानंद जी महाराज. आज भी जब वे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, तब भी हर सुबह भक्तों के बीच पहुंचते हैं और भक्ति का संदेश देते हैं. उनकी खराब किडनियां भी उनके आध्यात्मिक जीवन में रुकावट नहीं बनीं, बल्कि उन्होंने उन्हें ‘राधा’ और ‘कृष्ण’ नाम देकर अपनी भक्ति का प्रतीक बना दिया. आइये जानते हैं (Premanand Ji Maharaj Biography) कौन हैं प्रेमानंद जी महाराज.
प्रेमानंद जी महाराज का प्रारंभिक जीवन (Premanand Ji Maharaj Date Of Birth)
प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है. उनका जन्म 30 मार्च 1969 में उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके परिवार का वातावरण धार्मिक और आध्यात्मिक था. उनके दादा एक संयासी थे, माता-पिता नियमित रूप से मंदिरों में सेवा करते थे और बड़े भाई संस्कृत के विद्वान थे. इस परिवेश में अनिरुद्ध जी का मन बहुत जल्दी भक्ति की ओर आकर्षित हो गया.
बचपन में ही लगा भगवान से नाता
महज पांचवीं कक्षा से ही उन्होंने भगवद गीता पढ़ना शुरू कर दिया था. घंटों ध्यान, पूजा और जप में लीन रहते. मन में हमेशा एक प्रश्न उठता क्या माता-पिता का प्रेम सदा बना रहता है? इस प्रश्न ने उन्हें सांसारिक माया से हटकर ईश्वर की ओर मोड़ दिया.
13 साल की उम्र में त्याग दिया घर
आध्यात्मिक सत्य की खोज में प्रेमानंद जी ने महज 13 साल की उम्र में घर छोड़ दिया. सुबह 3 बजे चुपचाप निकल पड़े किसी को कुछ बताए बिना. बनारस, हरिद्वार, नंदेश्वर धाम जैसे अनेक स्थलों पर उन्होंने तप किया. आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी और फिर स्वामी आनंदाश्रम के रूप में उन्होंने जीवन की शुरुआत की.
वाराणसी की गलियों से वृंदावन तक का सफर
वाराणसी के तुलसी घाट पर उन्होंने गंगा के तट पर तप किया, वहीं रासलीला देखकर उनका मन राधा-कृष्ण भक्ति की ओर मुड़ गया. इस खोज ने उन्हें मथुरा-वृंदावन की ओर खींचा.
श्रीधाम वृंदावन में आध्यात्मिक जीवन का नया अध्याय
मथुरा पहुंचने के बाद उन्होंने बांके बिहारी जी के दर्शन किए और वृंदावन की परिक्रमा में लीन हो गए. एक दिन एक संत की सलाह पर वे राधावल्लभ मंदिर पहुंचे, जहाँ उनका जीवन बदल गया. उन्होंने हित गौरांगी शरण जी महाराज को गुरु रूप में स्वीकार किया और राधावल्लभी संप्रदाय में दीक्षा ली.
गुरु भक्ति और साधना में समर्पण
प्रेमानंद जी महाराज ने अपने गुरु हित गौरांगी शरण महाराज की 10 वर्षों तक सेवा की. गुरु की कृपा और राधा रानी के आशीर्वाद से उनका जीवन पूर्णतः सहचरी भाव में रंग गया. श्री राधा के चरणों में उनकी अटूट भक्ति विकसित हुई और वे लाखों लोगों के लिए भक्ति मार्ग के प्रेरणा स्रोत बन गए.
प्रेमानंद जी महाराज का कठिन समय
35 वर्ष की उम्र में उन्हें अचानक पेट में तेज़ संक्रमण हुआ. रामकृष्ण मिशन अस्पताल में भर्ती होने पर पता चला कि उनकी दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं. डॉक्टरों ने उन्हें कुछ साल का जीवन बताया. लेकिन उनकी भक्ति, संकल्प और राधा रानी की कृपा ने उन्हें आज तक जीवित रखा है.
राधा-कृष्ण नाम से जिंदा हैं उनकी किडनियां
उनकी डायलिसिस रोज होती है, फिर भी वह हर दिन आश्रम में प्रवचन देते हैं, पदयात्रा करते हैं और भक्तों से मिलते हैं. जब कई भक्तों ने उन्हें किडनी दान करने की पेशकश की, तो उन्होंने स्पष्ट मना कर दिया और कहा, "मेरे एक गुर्दे का नाम राधा और दूसरे का नाम कृष्ण है. मैं इन्हीं के सहारे जी रहा हूं."
प्रेमानंद महाराज का आश्रम
वृंदावन के वराह घाट के श्रीहित राधा केली कुंज आश्रम में उनका निवास है. हर रात लगभग तीन बजे, वह दो किलोमीटर की पैदल यात्रा करके श्री कृष्ण शरणम सोसाइटी से रमणरेती में अपने आश्रम आते हैं. उनके पीछे हजारों भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है. पहले वे संपूर्ण वृंदावन की परिक्रमा भी करते थे, पर अब स्वास्थ्य कारणों से यह संभव नहीं है.
प्रवचनों से बदल रहे हैं लाखों जीवन
आज प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन देशभर में लाखों लोग सुनते हैं. यूट्यूब, सोशल मीडिया और टीवी चैनलों के माध्यम से उनका संदेश युवा पीढ़ी तक पहुंच रहा है. उनका उद्देश्य है "राधा रानी के प्रेम में सभी को डुबो देना." उनकी भाषा सरल, लेकिन प्रभावशाली होती है जो सीधे दिल को छू जाती है.
विराट कोहली से लेकर मोहन भागवत तक हैं अनुयायी
प्रेमानंद जी महाराज के भक्तों में आम आदमी से लेकर देश की नामचीन हस्तियां तक शामिल हैं. क्रिकेटर विराट कोहली, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, और अनेक राजनेता एवं उद्योगपति उनके प्रवचनों से प्रभावित हैं.
प्रेमानंद जी महाराज की संपत्ति (Premanand Ji Maharaj Net Worth)
प्रेमानंद जी महाराज की संपत्ति और जीवनशैली को लेकर अक्सर कई तरह की बातें होती हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनके पास कोई निजी संपत्ति नहीं है. न उनके नाम पर कोई बैंक खाता है, न जमीन, फ्लैट या घर. वे पूरी तरह से एक संन्यासी जीवन जीते हैं और सांसारिक चीजों से पूर्ण रूप से दूर रहते हैं. उनका कहना है कि यदि कोई उनसे सिर्फ 10 रुपये भी मांगे, तो वे देने में असमर्थ होंगे क्योंकि उनके पास खुद के नाम पर कुछ भी नहीं है. प्रेमानंद जी को कई बार एक महंगी ऑडी कार में देखा जाता है, जिसे लेकर लोग भ्रमित हो जाते हैं, लेकिन उन्होंने बताया कि वह कार उनके किसी भक्त की है जो उनकी सेवा के लिए उपयोग में लाई जाती है.
उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति मंदिर में घंटी बजाने से नहीं, त्याग, साधना और सेवा से प्राप्त होती है. चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाई क्यों न आए, अगर राधा रानी की कृपा है तो हर संकट छोटा है. प्रेमानंद जी महाराज का जीवन श्रद्धा, सेवा, और संकल्प की परिभाषा है . उनका संघर्ष, त्याग और भक्ति आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है. जब दुनिया शरीर की दुर्बलता से हार मान लेती है, प्रेमानंद जी महाराज उसी शरीर से भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण बन जाते हैं.
FAQS
प्रश्न- प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम क्या है?
उत्तर- प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है.
प्रश्न- प्रेमानंद जी महाराज की जन्म तारीख क्या है?
उत्तर- प्रेमानंद जी महाराज की जन्म तारीख 30 मार्च 1969 है
प्रश्न- प्रेमानंद जी महाराज कितने साल के हैं?
उत्तर- प्रेमानंद जी महाराज 56 साल के हैं.
प्रश्न- प्रेमानंद जी महाराज का जन्म कहाँ हुआ है?
उत्तर- महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव में हुआ है.