Madhubani District Ka Itihas: मधुबनी जिला के निर्माण का इतिहास, नामकरण की कथा, सांस्कृतिक धरोहर और आज की स्थिति – जानिए कैसे बना मधुबनी बिहार का प्रमुख जिला
Madhubani (Bihar) District Ka Itihas: मधुबनी जिला का इतिहास काफी रोचक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। 1972 से पूर्व, मधुबनी एक स्वतंत्र जिला नहीं था बल्कि यह दरभंगा जिले का ही एक हिस्सा था।
Madhubani (Bihar) District Ka Itihas: मधुबनी जिला का इतिहास काफी रोचक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। 1972 से पूर्व, मधुबनी एक स्वतंत्र जिला नहीं था बल्कि यह दरभंगा जिले का ही एक हिस्सा था। समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी, तीनों एक ही प्रशासनिक इकाई में शामिल थे। लेकिन समय के साथ बढ़ती जनसंख्या और प्रशासनिक कठिनाइयों के कारण मधुबनी को अलग जिला घोषित किया गया।
कब बना मधुबनी एक अलग जिला
1972 में जब दरभंगा जिले को विभाजित किया गया, तब मधुबनी को एक स्वतंत्र जिला का दर्जा मिला। इसका मुख्य कारण प्रशासनिक भार को कम करना था। रिटायर्ड इतिहासकार प्रोफेसर जेपी सिंह के अनुसार, उस समय किसी एक जिला अधिकारी के लिए इतने बड़े क्षेत्र का प्रबंधन करना बेहद कठिन हो गया था। इसलिए प्रशासनिक सुविधा और जनता की भलाई को ध्यान में रखते हुए, मधुबनी को स्वतंत्र जिला बनाया गया।
प्रशासनिक और सांस्कृतिक कारण
मधुबनी को दरभंगा से अलग करने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी था कि बेगूसराय जैसे जिलों का सामाजिक प्रभाव दरभंगा और आसपास के क्षेत्रों पर पड़ने लगा था। चूंकि मधुबनी मृदुभाषी, सांस्कृतिक और शांतिप्रिय इलाका था, इसलिए इसे अशांत प्रभावों से अलग रखना आवश्यक समझा गया। मधुबनी को मां सीता की धरती माना जाता है और इसकी सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने की भावना भी इस निर्णय के पीछे एक मुख्य कारण थी।
मधुबन से मधुबनी तक का सफर
प्रोफेसर सिंह बताते हैं कि इस इलाके में पहले घना जंगल हुआ करता था, जिसे "मधुबन" कहा जाता था। यहां बड़ी संख्या में मधुमक्खियां पाई जाती थीं। समय के साथ इस स्थान का नाम मधुबन से मधुबनी पड़ गया। 1960 के दशक में यह क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ था। जब वे 1963 में यहां आए, तब पूरे मधुबनी में मात्र 60 से 70 पक्के मकान थे, बाकी सब खपरैल के घर थे। आर्थिक तंगी के बावजूद यहां के लोग विद्वान और प्रतिभाशाली थे। पारंपरिक पहनावे में कॉलेज जाने वाले छात्र आईएएस और आईपीएस बनते थे।
कला और शिक्षा का केंद्र
मधुबनी की पहचान उसकी विशिष्ट चित्रकला के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। आजादी से पहले ही इस क्षेत्र की चित्रकारी दुनियाभर में मशहूर हो चुकी थी। बड़े-बड़े प्रतिष्ठित लोगों के घरों की दीवारें मधुबनी पेंटिंग से सजी रहती थीं। इस क्षेत्र के लोग कवि, दार्शनिक और अध्यापक जैसे विद्वानों से भरे रहते थे, जो अपनी सादगी और बौद्धिकता के लिए प्रसिद्ध थे।
वर्तमान में मधुबनी जिला की स्थिति
आज मधुबनी जिला प्रशासनिक रूप से काफी विस्तृत है। यहां 21 प्रखंड, 11 विधानसभा क्षेत्र, 2 लोकसभा क्षेत्र, 399 पंचायतें, 5 अनुमंडल और 1111 गांव मौजूद हैं। जिले में दो मुख्य जेल भी स्थित हैं। मधुबनी अब केवल एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक क्षेत्र नहीं बल्कि शैक्षणिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से उन्नत जिला बन चुका है। यहां के निवासी न केवल देश बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुके हैं।