Shweta Mishra Raid: भ्रष्ट महिला अधिकारी! बिहार से लेकर UP तक कई ठिकानों पर रेड, मिली करोड़ों की संपत्ति, मंगानी पड़ी नोट गिनने की मशीन

Shweta Mishra Raid: आय से अधिक संपत्ति के मामले में कटिहार जिले में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहाँ स्पेशल विजिलेंस यूनिट की टीम ने छापा मारा है.

Update: 2025-06-06 06:21 GMT

Shweta Mishra Raid: बिहार विधानसभा चुनाव आने वाला है. इससे पहले बिहार की नीतीश सरकार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है. इसी कड़ी में आय से अधिक संपत्ति के मामले में कटिहार जिले में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहाँ स्पेशल विजिलेंस यूनिट की टीम ने छापा मारा है.  

लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहाँ छापा

जानकारी के मुताबिक़, गुरुवार को स्पेशल विजिलेंस यूनिट की टीम ने कटिहार में तैनात लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी श्वेता मिश्रा के कई ठिकानों पर छापा मारा. कटिहार, पटना से लेकर यूपी के प्रयागराज और और गाजियाबाद में भी श्वेता मिश्रा के ठिकानों पर भी टीम ने रेड मारी. आय से अधिक संपत्ति अर्जित और अपने पद का दुरुपयोग करने के मामले में यह कार्रवाई की गयी है. 

उनके घर और कार्यालय पर तलाशी ली गई. छापेमारी के दौरान उनके ठिकानों से अब तक साढ़े छह लाख नकद, 16 लाख रुपये के जेवरात के साथ ही पटना, प्रयागराज और गाजियाबाद में अचल संपत्ति के भी दस्तावेज मिले हैं. नोट गिनने के लिए मशीने मंगाई गयी.  आरोप है अपने पद का दुरुपयोग करते हुए श्वेता मिश्रा ने 80 लाख रुपये से ज्यादा की अधिक अवैध संपत्ति अर्जित की है. श्वेता मिश्रा राजस्व विभाग की पूर्व पदाधिकारी रह चुकी है. 

क्या है मामला 

बता दें कि श्वेता मिश्रा पर पहले भी रिश्वत मांगने और गलत तरीके से काम करने का आरोप भी लग चुका है. घूसखोरी के चलते श्वेता मिश्रा को आरा सदर की भूमि सुधार उप समाहर्ता पद से तबादला कर कटिहार के मनिहारी अनुमंडल में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी बनाया गया था. श्वेता मिश्रा के घूसखोरी का खुलासा आरा सदर की भूमि सुधार उप समाहर्ता रहने के दौरान हुआ था. 

भोजपुर के तत्कालीन डीएम राजकुमार को श्वेता मिश्रा के खिलाफ कई बार रिश्वतखोरी की शिकायत मिली थी. आरोप था कि दाखिल-खारिज के आवेदन पास करने के बदले श्वेता मिश्रा ने रिश्वत की मांग की थी. इतना ही नहीं बिना सूचना के अपील मामलों की सुनवाई  रद्द कर दिया था. इनका मामला जिला मुख्यालय से होते हुए बिहार विधान परिषद तक भी पहुंच चुका था. जिसके बाद भोजपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने उनके ऑफिस पर छापा मारा था. जहाँ बाहरी व्यक्ति को काम करते हुए पाया गया था. मामले में श्वेता मिश्रा पर कार्रवाई हुई थी. इसी जांच के तहत उनके यहाँ छापेमारी की कार्रवाई हुई है. 

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