Bihar Election 2025: मतदाता सूची पुनरीक्षण पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, चुनाव आयोग के फैसले को कई दलों ने दी है चुनौती

Bihar Election 2025: मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया पर रोक लगाई जाने की मांग की जा रही है. चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ 9 पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जिसपर आज सुनवाई होनी है

Update: 2025-07-10 03:51 GMT

Bihar Election 2025

Bihar Election 2025: बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव से पहले चुनाव आयोग मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण करवा रही है. मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) को लेकर बवाल मच गया है. मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया पर रोक लगाई जाने की मांग की जा रही है. चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ 9 पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जिसपर आज सुनवाई होनी है.

चुनाव आयोग के विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर आज गुरुवार,10 जुलाई को सुनवाई होगी. बता दें, चुनाव आयोग के इस अभियान को 'असंवैधानिक एवं मनमाना' बताते हुए चुनौती दी गई है. आज सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई पर टीकी हुई है. आखिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या होगा. क्या तदाता सूची संशोधन प्रक्रिया रूक जाएगी. या जारी रहेगा. 

दरअसल, वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण किया जा रहा है. जिसके लिए घर घर जाकर बूथ स्तर अधिकारी मतदाताओं से संपर्क कर उनके वोटर आईडी कार्ड का पुनरीक्षण कर रहे हैं. मतदाताओं को अपने नाम की पुष्टि के लिए कुछ विशेष दस्तावेज, विशेषकर माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र मांगे गए हैं. लेकिन आधार कार्ड, राशन, मनरेगा कार्ड मान्य है. ऐसे में विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग पर सवाल उठा रही है. कई राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों ने आरोप लगाए कि राज्य में मतदाता सूची के सत्यापन के नाम पर मतदाताओं, खासकर महिलाओं और गरीब लोगों के वोट का हक छिना जा रहा है. कई लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं. इसी को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, महुआ मोइत्रा, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने अलग-अलग याचिकाये दायर की हैं. 

याचिकाकर्ताओं की मांग की कि इस संशोधन प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए. याचिकाकर्ताओं का दावा है विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के तहत मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए जा रहे हैं. मतदाताओं, खासकर महिलाओं और गरीब लोगों के मतदान के हक़ हनन हो रहा है. मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया की वजह से बड़ी संख्या में मतदाता मतदान से वंचित रह जाएंगे.

याचिकाकर्ताओं का कहना है चुनाव आयोग जा यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 के साथ-साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 21ए का उल्लंघन है. इस आदेश को संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 325 और 326 का उल्लंघन मानते हुए रद्द किया जाना चाहिए. 

Tags:    

Similar News