Kayamuddin Ansari: ना कैश, ना कारोबार, पत्नी आंगनबाड़ी सेविका, जानिए कौन हैं सबसे गरीब उम्मीदवार कयामुद्दीन अंसारी, जनता के चंदे से लड़ रहे हैं चुनाव
Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में CPI(ML) के कयामुद्दीन अंसारी चर्चा में हैं। बिना गाड़ी, बंगला या पैसा, वे जनता के चंदे से चुनाव लड़ रहे हैं और ईमानदारी की राजनीति को नया स्वरूप दे रहे हैं।
Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के शोरगुल और करोड़ों की संपत्ति वाले उम्मीदवारों के बीच एक नाम अपनी गरीबी और सादगी से चर्चा में है कयामुद्दीन अंसारी। आरा सीट से CPI(ML) के प्रत्याशी अंसारी के पास न गाड़ी है, न बंगला, न भारी बैंक बैलेंस। वे पूरी तरह जनता के चंदे पर चुनाव लड़ रहे हैं और खुद को जनता का उम्मीदवार कहते हैं।
जनता के भरोसे चुनावी जंग
50 वर्षीय अंसारी का कहना है कि मेरे पास पैसा तो नहीं है लेकिन जनता का प्यार और भरोसा भरपूर है। मैं लोगों से 10, 50, 100 रुपये का चंदा लेकर यह चुनाव लड़ रहा हूं ताकि देश में ये संदेश जाए कि लोकतंत्र में गरीबों की भी आवाज जिन्दा0 है। उनके समर्थक गांव-गांव घूमकर चंदा जुटा रहे हैं और सोशल मीडिया पर कयामुद्दीन को जिताओ, ईमानदारी बचाओ कैंपेन चला रहे हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन उनका एजेंडा
कयामुद्दीन अंसारी ने अपने घोषणापत्र को आम लोगों की जरूरतों पर केंद्रित किया है, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन उनके चुनावी वादों के सेंटर में हैं। उनका मानना है कि राजनीति को पैसे और ताकत के प्रभाव से मुक्त कर ईमानदारी के धारे की जरूरत है।
सीमित संपत्ति, लेकिन बड़ा इरादा
उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार कयामुद्दीन के पास कुल 2.32 लाख रुपये की संपत्ति है जिनमें 20 हजार रुपये नकद, 13 हजार बैंक खाते में और लगभग 59,500 रुपये के गहने शामिल हैं। वह एक छोटे से घर में रहते हैं और उनके पास कोई गाड़ी या जमीन नहीं है।
सामाजिक पृष्ठभूमि और पिछले चुनाव
कयामुद्दीन अंसारी जाति से अंसारी (जुलाहा) हैं और अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं। उन्होंने एमएचडी जैन कॉलेज, आरा से उर्दू में एमए किया है। इससे पहले वह दो बार आरा से चुनाव लड़ चुके हैं। वर्ष 2020 में वे भाजपा उम्मीदवार अमरेन्द्र प्रताप सिंह से केवल 3,002 वोटों से हार गए थे, लेकिन उनकी सादगी और संघर्ष की चर्चा उस वक्त भी हुई थी।
अंसारी के खिलाफ आपराधिक मामले
अंसारी के खिलाफ आरा के थानों में सात मुकदमे दर्ज हैं जिनमें हत्या का प्रयास, सरकारी कार्य में बाधा और शांति भंग जैसे आरोप शामिल हैं। हालांकि अब तक किसी भी मामले में वे दोषी साबित नहीं हुए हैं। समर्थकों का कहना है कि उनके खिलाफ केस राजनीतिक विरोधियों ने दबाव बनाने के लिए दर्ज करवाए गए हैं।
मजबूत दावेदारों के बीच ईमानदारी की लड़ाई
आरा सीट पर इस बार भाजपा के संजय सिंह टाइगर और जन सुराज के डॉ विजय कुमार गुप्ता जैसे दिग्गज उम्मीदवार मैदान में हैं। इसके बावजूद कयामुद्दीन जनता के बीच अपनी सादगी और ईमानदारी से पहचान बना चुके हैं। उनका कहना है अगर जनता का साथ मिला तो यह गरीब उम्मीदवार सत्ता के गलियारे में गरीबों की आवाज उठाएगा।