Bihar Election 2025: बिहार महागठबंधन में तकरार? सीटों पर भिड़ंत जारी ! भाकपा ने तेजस्वी से मांगी 24 सीटें, क्या RJD दे पायेगी इतनी बड़ी हिस्सेदारी?

Bihar Election 2025: भाकपा महासचिव डी. राजा की तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर हलचल तेज। जानिए किसे मिल सकती है कितनी सीट?

Update: 2025-06-26 12:11 GMT

Bihar Election 2025: बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव 2025 का शोर तेज़ हो रहा है, वैसे ही महागठबंधन (Grand Alliance) के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर घमासान होने लगा है। इसी कड़ी में भाकपा (CPI) के राष्ट्रीय महासचिव डी. राजा की नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से हुई मुलाकात ने सियासी हलचलों को और भी गति दे दी है। बुधवार को पटना स्थित राजद कार्यालय में हुई इस बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया कि अब गठबंधन के घटक दल अपने हिस्से को लेकर आक्रामक रणनीति पर उतर आए हैं।

भाकपा की डिमांड 24 सीटें 

सूत्रों के अनुसार, भाकपा ने तेजस्वी यादव के सामने 24 सीटों का प्रस्ताव रखा है। यह सीटें पार्टी के परंपरागत प्रभाव वाले क्षेत्रों जैसे बेगूसराय, आरा, दरभंगा और समस्तीपुर आदि जिलों में स्थित हैं। पार्टी का मानना है कि किसान आंदोलनों, छात्र राजनीति और अपने मजबूत जनाधार के कारण वह इन सीटों पर सशक्त दावेदारी रखती है। भाकपा ने एक सीट वाइज लिस्ट भी तेजस्वी यादव को सौंपी है, जिसमें वह खुद को "ज़मीन से जुड़ा हुआ दल" साबित करने की कोशिश कर रही है।

तेजस्वी यादव ने क्या जवाब दिया?

इस मुलाकात में तेजस्वी यादव ने संयमित रुख अपनाते हुए कहा कि सभी घटक दलों को सम्मानजनक हिस्सेदारी दी जाएगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि महागठबंधन की समन्वय समिति की आगामी बैठक में इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। यानी RJD की रणनीति साफ है – वह गठबंधन में एकता बनाए रखना चाहती है, लेकिन सीटें ‘ज़मीनी ताकत’ के हिसाब से ही बांटी जाएंगी।

सीट शेयरिंग का संभावित फॉर्मूला क्या हो सकता है?

अगर 2020 के चुनावी आंकड़ों को आधार बनाया जाए, तो संभावित बंटवारा कुछ इस प्रकार हो सकता है..........

घटक दल 2020 में लड़ी सीटें संभावित 2025 हिस्सेदारी

  • RJD 144 140-145
  • कांग्रेस 70 40-45
  • भाकपा-माले 19 20-25
  • भाकपा 6 15-20
  • माकपा 4 5-6
  • VIP/अन्य 5 5-10

सीट बंटवारे से परे विचारधारा की एकजुटता

यह बैठक सिर्फ सीटों की गिनती तक सीमित नहीं रही। डी. राजा और तेजस्वी यादव ने देश में कथित "तानाशाही प्रवृत्तियों" और "लोकतंत्र पर खतरे" को लेकर भी चर्चा की। यह संकेत है कि महागठबंधन अब सिर्फ जातीय समीकरण नहीं, बल्कि विचारधारा और जनसंघर्षों के मुद्दों को भी केंद्र में रखकर आगे बढ़ना चाहता है।

NDA की तैयारियों से दबाव में महागठबंधन?

एनडीए (NDA) इस बार सीट बंटवारे को लेकर पहले ही क्लियर है। भाजपा और जेडीयू के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। ऐसे में महागठबंधन के लिए सीट शेयरिंग का स्पष्ट संदेश देना जरूरी हो गया है, वरना यह आंतरिक संघर्ष चुनाव से पहले ही नुकसानदेह साबित हो सकता है।

2020 में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन ने गठबंधन की जीत में रुकावट डाली थी। अब वाम दलों की बढ़ती ताकत और कांग्रेस की आक्रामकता महागठबंधन को नया रूप दे सकती है—या फिर अंदरूनी खींचतान इसका भविष्य तय करेगी।

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