Mahadev Gaming App: महादेव एप में कांग्रेस का बड़ा खुलासा: जिस गाड़ी से ईडी ने रकम जब्त किया वह बृजमोहन अग्रवाल का, आया जवाब जून में बेच चुके हैं गाड़ी
Mahadev Gaming App: महादेव गेमिंग एप को लेकर सियासी घमासन तेज हो गया है। कांग्रेस ने आज इस मामले में बड़ा खुलासा का दावा किया है। कांग्रेस ने ईडी की कार्रवाई को लेकर भाजपा पर फिर सीधा हमला बोला है।
Mahadev Gaming App: रायपुर। महादेव गेमिंग एप को लेकर आज भाजपा ने बड़े खुलासा का दावा किया है। कांग्रेस ने कहा कि ईडी ने जिस गाड़ी से 5 करोड़ रुपये से अधिक जब्त किया है, वह गाड़ी भाजपा नेता की है। राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि ईडी ही भाजपा है और भाजपा ही ईडी है। भाजपा की केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ के भाजपा के नेता और ईडी ने मिलकर छत्तीसगढ़ के चुनावों से जनता का ध्यान भटकाने प्रदेश के मुख्यमंत्री की छवि खराब करने का षड़यंत्र रचा है। भाजपा के कार्यकर्ता के बयान पर ईडी आरोप लगाती है भाजपा नेता के भाई की गाड़ी से कैश जप्त होता है, भाजपा अपने दफ्तर से वीडियो जारी करती है यह रिश्ता क्या कहलाता है?
कांग्रेस नेताओं ने बताया कि ईडी ने एक काले कलर की इनोवा कार से भी कैश जप्त किया था जो होटल के बेसमेंट में खड़ी थी। इस ब्लैक कार का नंबर CG 12 AR 6300 है इसका रजिस्ट्रेशन कोरबा जिले का है। आरटीओ में यह कार सनफ्लावर हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड (बृजमोहन अग्रवाल) के नाम पर रजिस्टर्ड है, (इस कंपनी के मालिक बृजमोहन अग्रवाल है जो बिलासपुर के पूर्व विधायक और भाजपा शासन में मंत्री रहे अमर अग्रवाल के भाई है। बृजमोहन अग्रवाल बिलासपुर में बिल्डर है।)
ईडी ने एक काले कलर की इनोवा कार से कैश जप्त किया था जो होटल के बेसमेंट में खड़ी थी। लेकिन अभी तक इस गाड़ी की डिटेल ईडी ने नहीं दी है। सूत्रों से जानकारी मिली है यह गाड़ी एक बड़े बिल्डर की है जो बीजेपी नेता का रिश्तेदार बताया जा रहा है। हालांकि गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कोरबा जिले का है। अब सवाल उठ रहे है कि आखिर बीजेपी नेता के रिश्तेदार बिल्डर की कार से जप्त कैश किसके लिए लाया गया था और इस रकम को कहां और किसे बांटा जाना था? लेकिन इस पूरे मामले में ईडी ने कार ड्राइवर असीम को आरोपी बना लिया पर कार मालिक से मामले में अभी तक कोई पूछताछ नहीं हुई है। सवाल यह भी है कि बिना मालिक के जानकारी के इतनी बड़ी रकम ड्राइवर कैसे ला सकता है? आखिर कार मालिक की इस मामले में क्या भूमिका है? कार का असली मालिक कौन है? भाजपा के कार्यकर्ता असीम दास से रकम जप्त होती है, और भाजपा नेता के रिश्तेदार की गाड़ी से पैसा जप्त होता है, आरोप कांग्रेस पर लगाया जाता है, सीधा मतलब यह सब चुनावी साजिश है।
बेच चुके हैं वह गाड़ी: अमर
इस मामले में अमर अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेसी जिस गाड़ी की बात कर रहे हैं, वह गाड़ी हम जून में ही बेच चुके हैं।
पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने किया सीएम पर पलटवार
पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने सीएम भूपेश बघेल पर निशाना साधते हुए कहा कि महादेव सट्टा एप को संरक्षण देने वाले ही आप खुद हो भूपेश बघेल जी। आपने सटोरियों से ₹508 करोड़ की रिश्वत खाकर कोई कार्रवाई नहीं की तो ईडी को आना पड़ा, अब ईडी कार्रवाई कर रही है तो आपका गला ख़राब हो रहा है। पहले ईडी को भाजपा का बताया अब खुद एप के संचालक ने आपका नाम ले लिया तो उसे भी भाजपा का आदमी बता रहे हैं। आपके भ्रष्ट अधिकारी महीनों से जेल में बंद हैं, बेल नहीं मिल रही, मुझे लगता है कि आप बहुत जल्द न्यायालय को भी भाजपा का बता देंगे। और चुनाव परिणाम के बाद कह देना कि जनता भी भाजपा से मिली हुई है।
महादेव एप को बैन कर सकती है लेकिन प्रदेश सरकार ने बैन नहीं किया- सिद्धार्थ नाथ सिंह
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय मीडिया संयोजक और प्रयागराज के विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि महादेव एप पर प्रतिबंध के सवाल को लेकर उन्होंने (सिंह ने) स्वयं पत्रकारों को प्रेस वार्ता में दो-तीन दफे बताया है कि राज्य सरकार को महादेव एप को बैन करने का अधिकार दिया हुआ है। कल भारत सरकार ने महादेव एप एवं अन्य को बैन किया है। सिंह ने कहा कि मैंने उस समय भी बताया था कि कुछ कारणों से केंद्र सरकार इसको बैन कर सकती है। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा, इंटरनल सुरक्षा, कोई रक्षा से संबंधित हो, कोई डाटा चुरा रहा हो या फिर टेररिज्म का कोई विषय आता है। सिंह ने कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी कल स्वयं कहा है कि 2 साल से राज्य की कांग्रेस सरकार महादेव एप की जांच कर रही थी। प्रदेश सरकार के पास कानून था 69-ए का कि वह इस महादेव ऐप को बैन कर सकती है लेकिन प्रदेश सरकार ने बैन नहीं किया और जब बैन नहीं किया और न ही उसने केंद्र सरकार को कोई रिक्वेस्ट भेजी। यह दोनों चीज कही है। 69-ए के तहत प्रदेश सरकार को अधिकार था जो दिया जाता है, या वह केंद्र को लिखकर भेजती हैं। जब मुख्यमंत्री बूपेश बघेल ने नहीं किया तो ईडी ने केंद्र को चिट्ठी भेजी कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का मैटर है और मनी लांड्रिंग के अंदर टेररिज्म मनी लॉण्ड्रिंग भी होती है, केंद्र सरकार ने इसको बैन किया है।